ऐतिहासिक भूगोल
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ऐतिहासिक भूगोल किसी स्थान अथवा क्षेत्र की भूतकालीन भौगोलिक दशाओं का या फिर समय के साथ वहाँ के बदलते भूगोल का अध्ययन है।[1] यह अपने अध्ययन क्षेत्र के सभी मानवीय और भौतिक पहलुओं का अध्ययन किसी पिछली काल-अवाधि के सन्दर्भ में करता है या फिर समय के साथ उस क्षेत्र के भौगोलिक दशाओं में परिवर्तन का अध्ययन करता है। बहुत सारे भूगोलवेत्ता किसी स्थान का इस सन्दर्भ में अध्ययन करते हैं कि कैसे वहाँ के लोगों ने अपने पर्यावरण के साथ अंतर्क्रियायें कीं और किस प्रकार इन क्रियाओं के परिणामस्वरूप उस स्थान के भूदृश्यों का उद्भव और विकास हुआ।
आज के परिप्रेक्ष्य में भूगोल की इस शाखा का जो रूप दिखाई पड़ता है उसका सर्वप्रथम प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाओं में हेरोडोटस के उन वर्णनों को माना जा सकता है जिनमें उन्होंने नील नदी के डेल्टाई क्षेत्रों के विकास का वर्णन किया है[1], हालाँकि तब ऐतिहासिक भूगोल जैसी कोई शब्दावली नहीं बनी थी।
आधुनिक रूप में इसका विकास जर्मनी में फिलिप क्लूवर के साथ शुरू माना जाता है जिन्होंने जर्मनी का ऐतिहासिक भूगोल लिखकर इस शाखा का प्रतिपादक बनने का श्रेय हासिल किया।[2]
१९७५ में जर्नल ऑफ हिस्टोरिकल ज्याग्रफी के पहले अंक के साथ ही इसके विषय क्षेत्र और अध्ययनकर्ताओं के समूह जो एक व्यापक विस्तार मिला। अमेरिका में इस शाखा को सबसे अधिक बल कार्ल सॉअर के सांस्कृतिक भूगोल के अध्ययन से मिला जिसके द्वारा उन्होंने सांस्कृतिक भूदृश्यों के ऐतिहासिक विकास के अध्ययन को प्रेरित किया। हालाँकि अब वर्तमान समय में इसमें कई अन्य थीम शामिल हो चुकी हैं जिनमें पर्यावरण का ऐतिहासिक अध्ययन और पर्यावरणीय ज्ञान के ऐतिहासिक अध्ययन को भी शामिल किया जाता है।[3] अब ऐतिहासिक भूगोल रुपी भूगोल की यह शाखा इतिहास, पर्यावरणीय इतिहास और ऐतिहासिक पारिस्थितिकी इत्यादि शाखाओं से काफ़ी करीब मानी जा सकती है।[4]
इतिहास
[संपादित करें]प्राचीन यूनानी भूगोलवेत्ताओं के लेखन में भी ऐसे तत्व मिलते हैं जो भूगोल की आज की इस शाखा के समान हैं। उदाहरण के लिये प्रसिद्ध यूनानी विद्वान हेरोडोटस द्वारा नील नदी के डेल्टा के ऐतिहासिक विकास की व्याख्या करना।[1] बुटलिन ने अपनी पुस्तक में ऐतिहासिक भूगोल के इतिहास को तीन बड़े खण्डों में बाँटा है - १७०० से १९२० ई॰ तक, १९२० से १९५० तक (आधुनिक ऐतिहासिक भूगोल की शुरूआत) और १९५० के बाद का काल (बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में ऐतिहासिक भूगोल)।[5]
१९३२ में ब्रिटिश हिस्टोरिकल सोसायटी और ब्रिटिश ज्योग्राफिकल सोसायटी की संयुक्त बैठक में पहली बार इस प्रश्न पर विचार शुरू हुआ कि आखिरकार ऐतिहासिक भूगोल क्या है।[6] ई डब्ल्यू गिल्बर्ट ने मत प्रकट किया कि "...इसका (ऐतिहासिक भूगोल का) असली प्रकार्य बीते समय के प्रादेशिक भूगोल की पुनर्रचना करना है", और साथ ही तत्कालीन प्रचलित चार अन्य मतों का खंडन किया कि यह राजनीतिक सीमान्तों के परिवर्तन का अध्ययन नहीं है; भौगोलिक खोजों का अध्ययन नहीं है; न ही यह भौगोलिक विचारों और विधियों के इतिहास का अध्ययन है; और न ही यह भौगोलिक पर्यावरण के इतिहास पर पड़े प्रभावों का अध्ययन है।[6]
इसके बाद ब्रिटेन में ही एच॰ सी॰ डार्बी के नेतृत्व में इस विधा का विकास हुआ जब उन्होंने १९५० से १९७० के बीच अपनी सात खण्डों की कृति रिकंस्ट्रक्शन ऑफ़ ह्यूमन ज्याग्रफी ऑफ़ मेडिवल इंग्लैण्ड (मध्यकालीन इंग्लैण्ड के मानव भूगोल की पुनर्रचना) प्रकाशित की।[7]
समकालीन धाराएँ
[संपादित करें]यूके में ऐतिहासिक भूगोल के अंतर्गत हुए हालिया शोध कार्यों का जायजा लेकर एक अध्ययन[8] में इसकी कुछ प्रमुख धाराएँ चिह्नित की गयी हैं जो निम्नवत हैं:
- वैश्विक ऐतिहासिक भूगोल: जो १९९० के बाद हुए विश्वव्यापी वैश्वीकरण की घटना का अध्ययन करता है।
- भूगोल और साम्राज्य: की धारा के अंतर्गत साम्राज्य और साम्राज्यवाद के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं के अध्ययन हेतु ऐतिहासिक भूगोलवेत्ताओं ने नए अनुसंधान मॉडल विकसित किये हैं।
- भूगोल, विज्ञान और तकनीक: के ऐतिहासिक भूगोल के अंतर्गत अध्ययन ने वैज्ञानिक विकास के भौगोलिक प्रतिरूपों के अध्ययन को बढ़ावा दिया है।
- पर्यावरण के ऐतिहासिक भूगोल: के अंतर्गत अध्ययनों ने पर्यावरणीय परिवर्तनों के भौगोलिक प्रतिरूपों और उनमें समय के सापेक्ष बदलाव के अध्ययन द्वारा न सिर्फ़ नए आँकड़े प्रस्तुत किये हैं बल्कि नयी सोच और समझ विकसित करने में मदद की है।
- भूगोल की मूलभूत संकल्पनाएँ: उदाहरण के लिये स्थान, क्षेत्र, भूदृश्य इत्यादि ऐतिहासिक भूगोलवेत्ताओं के अध्ययन के विषय के रूप में अन्य विषय के शोधार्थियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
- भूगोल और दर्शन: के क्षेत्र में ऐतिहासिक भूगोलवेत्ताओं की रूचि गैर-निरूपणात्मक सिद्धांत में रही है जिसका प्रयोग उन्होंने भूदृश्यों और आवास क्षेत्रों के ऊपर दार्शनिक दृष्टि से लेखन करने में किया है।
- नक़्शे: अभी भी काफ़ी ऐतिहासिक भूगोलवेत्ता नक्शों के इतिहास और नक्शों के अध्ययन द्वारा इतिहास के अध्ययन को अपना प्रमुख विषय बनाये हुए हैं।
- ऐतिहासिक जीआइएस: ने एक नयी विधा के रूप में स्थान बनाया है और इसके अध्ययन ने ऐतिहासिक भूगोल के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किये हैं। ऐतिहासिक जीआइएस भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी॰आइ॰एस॰) की एक नयी शाखा के रूप में तेज़ी से उभरा है।[9]
- अन्य क्षेत्र: जो ऐतिहासिक भूगोलवेत्ताओं द्वारा अध्ययन के विषय के रूप में प्रस्तुत किये गये हैं उनमें भूगोलवेत्ताओं के जीवनीपरक अध्ययन से लेकर कला के विकास का भूगोल तक और जैवभूगोल के ऐतिहासिक अध्ययन तक कई पहलू शामिल किये जा सकते हैं।[8]
विधियाँ
[संपादित करें]प्रमुख अध्ययन
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ "Historical Geography" [ऐतिहासिक भूगोल]. britannica.com (in अंग्रेज़ी). ब्रिटानिका एनसाइक्लोपीडिया. Archived from the original on 5 सितंबर 2015. Retrieved 16 अगस्त 2015.
- ↑ "Philipp Clüver" [फिलिप क्लूवर]. britannica.com (in अंग्रेज़ी). ब्रिटानिका एन्साइक्लोपीडिया. Archived from the original on 6 सितंबर 2015. Retrieved 16 अगस्त 2015.
- ↑ "School of Geography:Cultural and Historical Geography" [भूगोल की चिंतनधारायें:सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भूगोल]. nottingham.ac.uk (in अंग्रेज़ी). नॉटिंघम विश्वविद्यालय. Archived from the original on 7 दिसंबर 2015. Retrieved 16 अगस्त 2015.
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(help) - ↑ बाली, विलियम (2006). "The Research Program of Historical Ecology" [ऐतिहासिक पारिस्थितिकी के अनुसंधान कार्य]. एनुअल रिव्यू ऑफ़ एन्थ्रोपोलोजी (in अंग्रेज़ी). 35 (1): 75–98.
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(help) - ↑ मार्कोस, ए॰ (1995). "पुस्तक समीक्षा:हिस्टोरिकल ज्याग्रफी - आर॰ ए॰ बुटलिन". GeoJournal (in अंग्रेज़ी). 36 (1): 56. Archived from the original on 7 मार्च 2016. Retrieved 17 अगस्त 2015.
- ↑ अ आ आर एच बेकर, एलन (2003). Geography and History: Bridging the Divide (in अंग्रेज़ी). कैम्ब्रिज: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. Archived from the original on 4 मार्च 2016. Retrieved 17 अगस्त 2015.
- ↑ Heffernan, Mike. "Historical geography". history.ac.uk (in अंग्रेज़ी). Archived from the original on 24 सितंबर 2015. Retrieved 17 अगस्त 2015.
- ↑ अ आ Driver, Felix (अक्टूबर 2013). "Research in historical geography and in the history and philosophy of geography in the UK, 2001–2011: an overview". जर्नल ऑफ़ हिस्टोरिकल ज्याग्रफी (in अंग्रेज़ी). 42: 203–211. doi:10.1016/j.jhg.2013.07.011. Archived from the original on 24 सितंबर 2015. Retrieved 17 अगस्त 2015.
- ↑ Gregory, Ian N.; Healey, Richard G. (अक्टूबर 2007). "Historical GIS: structuring, mapping and analysing geographies of the past". प्रोग्रेस इन ह्यूमन ज्याग्रफी (in अंग्रेज़ी). 31 (5): 638–653. doi:10.1177/0309132507081495. Archived from the original on 12 जुलाई 2015. Retrieved 16 अगस्त 2015.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- हिस्टोरिकल ज्याग्रफी (ऐतिहासिक भूगोल) जर्नल का होमपेज।
- जर्नल ऑफ़ हिस्टोरिकल ज्याग्रफी (ऐतिहासिक भूगोल का जर्नल), एल्सेवियर द्वारा प्रकाशित जर्नल।
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक भूगोल सम्बंधी प्रकाशन