एस्कर

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हिमानी के पिघलने पर उसके जलोढ़ निक्षेपों, विशेषकर बजरी, रेत, कंकड-पत्थर आदि के निक्षेपण से लम्बे, संकरे, लहरदार एवं किनारे तीव्र ढाल वाले टीलो को एस्कर कहते हैं। कभी-कभी कुछ अन्तर में एस्कर की मोटाई अधिक हो जाती हैं, ये चोड़े भाग एस्कर में इस तरह लगते हैं जैसे किसी ने रस्सी या धागे में दाने पिरो दिए हो। इस तरह के एस्कर को मालाकार एस्कर कहते हैं।

ग्रीष्म ऋतु में हिमनद के पिघलने से जल हिमतल के ऊपर से प्रवाहित होता है अथवा इसके किनारों से रिसता है या बर्फ के छिद्रों से नीचे प्रवाहित होता है। यह जल हिमनद के नीचे एकत्रित होकर बर्फ के नीचे नदी धारा में प्रवाहित होता है। ऐसी नदियाँ नदी घाटी के ऊपर बर्फ के किनारों वाले तल में प्रवाहित होती हैं। यह जलधारा अपने साथ बड़े गोलाश्म, चट्टानी टुकड़े और छोटा चट्टानी मलबा बहाकर लाती है जो हिमनद के नीचे इस बर्फ की घाटी में जमा हो जाते हैं। ये बर्फ पिघलने के बाद एक वक्राकार कटक के रूप में मिलते हैं, जिन्हें एस्कर कहते हैं।