ऊर्जा संरक्षण

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किसी काम को करने के लिए ऐसी विधि या प्रक्रम का पालन करना कि वह काम पूरा होने में कम ऊर्जा लगे, इसे ही ऊर्जा संरक्षण करना कहते हैं। उदाहरण के लिए आप यदि कार से हर दिन आना जाना कर रहे हैं और यदि आप उसके स्थान पर साइकल का उपयोग करें तो उससे कार में लगने वाले ईंधन की बचत होगी और आपने उस ऊर्जा का उपयोग न कर उसका संरक्षण किया।

घर में ऊर्जा संरक्षण के उपाय[संपादित करें]

कुछ एलईडी लाईट
  • जब उपयोग में न हो, बल्ब बुझा दें।
  • ट्यूब लाईट, बल्बों तथा अन्य उपकरणों पर जमी हुई धूल को नियमित रूप से साफ करें।
  • हमेशा आईएसआई मुहर लगे बिजली उपकरणों और साधनों का प्रयोग करें।
  • अपनी ट्यूब लाइट और बल्बों को ऐसी जगह लगाएँ जहाँ प्रकाश आने में दिक्कत न हो।
  • ऊर्जा बचाने के लिए एलईडी बल्ब का प्रयोग करें।

सीएफएल क्यों?

काम्पैक्ट फ्लूरेसेन्ट बल्ब (सीएफएल), इनकैन्डसेन्ट बल्ब आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले बल्ब की तुलना में 2-3 गुणा कम ऊर्जा का खपत करती है और इसकी प्रकाश गुणवत्ता पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। काम्पैक्ट फ्लूरेसेन्ट बल्ब 95 प्रतिशत कम बिजली की खपत करते हुए साधारण बल्ब से अच्छी रोशनी प्रदान करता है।

सीएफएल कुछ महँगा है परन्तु यह छोटा, सस्ता, अधिक रोशनी देनेवाला और विकसित रंगगुणवत्ता वाला होता है। विशिष्ट रूप से 23 वाट का काम्पैक्ट फ्लूरेसेन्ट बल्ब 90 प्रतिशत कम बिजली की खपत करते हुए साधारण बल्ब की तुलना में अच्छी रोशनी प्रदान करता है।

अपने घरों में फ्लूरेसेन्ट बल्ब का उपयोग प्रतिदिन चार घंटे से अधिक करें। प्रतिदिन चार घंटे से अधिक जलने वाले दो 75 वाट के बल्बों की जगह 15 वाट के ऊर्जा बचत लैंप को जलायें। इस तरह आप प्रतिदिन लगभग 18 किलोवाट बिजली बचा सकते हैं।

खाना बनाना

  • खाना बनाने में ऊर्जा क्षमतावाले चूल्हों का प्रयोग करें।
  • खाना बनाते समय बर्तन को ढक कर रखें। इससे खाना बनाते समय ऊर्जा की बचत होती है।
  • खाना बनाने से पहले अनाज को भिगोये रखें।

पुनः चक्रित कागज[संपादित करें]

कागज बनाते समय पुनः चक्रित कागज कम प्राकृतिक संसाधन और कम विषाक्त रसायन का उपयोग करता है। यह बताया गया है कि 100 प्रतिशत अवशेष कागज से एक टन कागज का निर्माण किया जा सकता है। यह लगभग 15 वृक्षों को बचाता है। लगभग 2500 किलोवाट ऊर्जा की बचत करता है। लगभग 20 हजार लीटर पानी बचाता है। लगभग 25 किलो ग्राम वायु प्रदूषण को कम करता हैI

कृषि कार्यों में ऊर्जा की बचत[संपादित करें]

सिंचाई[संपादित करें]

जल को पंपिंग के माध्यम से बाहर निकालना
  • इन पम्प सेटों की कार्यक्षमता में छोटे-बड़े संशोधनों सहित 25 से 35 प्रतिशत के सुधार की संभावना होती है, जैसे इसकी जगह आईएसआई वाले पम्पों को प्रयोग में लाना।
  • बड़े वॉल्व के चलते विद्युत / डीज़ल बचाने में मदद मिलती है क्योंकि कुँआ से पानी बाहर निकालने में अल्प ईंधन व ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • पाईप में घुमाव व गाँठ जितना कम होगा, उसी मात्रा में ऊर्जा को भी बचाया जा सकता है।
  • किसान पाईप की ऊँचाई को 2 मीटर तक कम करके डीजल की बचत कर सकते हैं।
  • पम्प अधिक कारगर तब होता है जब उसकी ऊँचाई कुएं के जल स्तर से 10 फीट से अधिक न हों।
  • अच्छी गुणवत्ता वाले पीवीसी सेक्शन पाईप का इस्तेमाल करें ताकि 20 प्रतिशत तक की ऊर्जा व विद्युत को बचाया जा सके।
  • निर्माणकर्ता के निर्देशानुसार पम्प सेटों में नियमित तौर पर तेल व ग्रीस का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • वोल्टेज व ऊर्जा संरक्षण की स्थिति को सुधारने के लिए मोटर सहित उपयुक्त आईएसआई मार्क वाले कैपासिटर का प्रयोग करना चाहिए।
  • दिन के समय बल्बों को बंद रखें।

ऊर्जा संरक्षण : कुछ जानकारियाँ[संपादित करें]

  • बल्व व ट्यूबलाइट पर जमी धूल को नियमित रूप से साफ़ करते रहे.
  • पंखो की ब्लेड नियमित रूप से साफ करते रहे और समय समय पर ग्रीसिंग आयलिंग करते रहे. पुराने किस्म के रेगुलेटर के स्थान पर नए टाईप के इलेक्ट्रानिक्स रेगुलेटर लगावे.
  • फ्रिज का दरवाजा बार-बार खोलने बंद करने से बिजली की खपत बढ़ती है।
  • टी.वी.म्यूजिक सिस्टम और टेपरिकार्ड आदि को स्टेंड बाई मोड में न रखे.
  • एक टी.वी. स्टेंड बाई मोड में रखने पर एक वर्ष में ७० यूनिट बिजली खर्च होती है।
  • गीजर में अधिकतम विद्युत खर्च होती है अतः उतना पानी गरम करे जीतनी जरूरत है थर्मोस्टेट की सेटिंग कम करके ४५-५० डिग्री रखना चाहिए.
  • क्या आप जानते हैं कि आपकी वार्षिक विद्युत खपत का २५ प्रतिशत रेफ्रिजेटर द्वारा खर्च होता है। फ्रिज के पीछे की तरफ़ लगी कूलिंग क्वाइल पर जमी धूल के कारण इसकी क्षमता घाट जाती है जिससे मोटर को बहुत अधिक कार्य करना पड़ता है और विद्युत खर्च बढ़ता है।
  • फ्रिज को बाहरी दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए.
  • वासिंग मशीन में सलाना खपत का २० प्रतिशत भाग खर्च आता है इसमे धुलाई के लिए गरम पानी का तापमान नियंत्रित कर विद्युत ऊर्जा की बचत की जा सकती है।
  • घरो के वातानुकूलन हेतु प्रयुक्त ए.सी.को सीधे धूप में न रखकर अथवा उसके लिए एक शेड बनाकर ६ प्रतिशत तक विद्युत ऊर्जा की बचत की जा सकती है।
ऊर्जा संरक्षण कुछ उपाय
  • घरो में पानी की टंकियो में पानी पहुँचाने के लिए टाइमर का उपयोग करके पानी के व्यर्थ व्यय को रोककर विद्युत ऊर्जा की बचत की जा सकती है।
  • साधारण १०० वाट के बल्ब के स्थान पर कम्पेक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (सी.एल.एफ) का प्रयोग कर ७५ से ८० प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत की जा सकती है साथ ही साधारण बल्ब की तुलना में लगभग आठ गुना चलते है। जिन प्रकाश बत्तियों का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है उनके स्थान पर प्राथमिकता के आधार पर सी.एल.एफ लैंप का प्रयोग करना चाहिए.
  • आई.एस.आई. चिन्हित विद्युत उपकरणों का इस्तेमाल करे.
  • शादी विवाह जैसे सामाजिक आयोजन धार्मिक आयोजन यथासंभव दिन में ही करे.
  • दिन में सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग करे तथा गैर जरुरी पंखे लाईट ए.सी. इत्यादि उपकरणों को बंद रखे . खासकर कार्यालयीन समय में भोजन अवकाश के दौरान और कक्ष से बाहर जाते समय.
  • आवासीय परिसरों की सड़क बत्तियों के लिए फोटो इलेक्ट्रिक कंट्रोल स्विच का उपयोग करना चाहिए.
  • भवनों के निर्माण के दौरान प्लाट के चारों तरफ़ उपलब्ध भाग को पेडो/लताओं से आच्छादित करके हम भवनों को गर्म होने से बचा सकते हैं जिससे भवनों में रहने वालो को सीलिंग फैन और कूलर इत्यादि का कम से कम उपयोग करना चाहिए.
  • कमरे की दीवार की भीतरी सतह पर हलके रंगों का प्रयोग करे ऐसा करने से कम वाट के प्रकाश उपकरणों से कमरे को उपयुक्त रूप से प्रकाशमान किया जा सकता है।
  • कमरे के लिए हल्के रंग के पर्दों का प्रयोग करें।
  • खाना बनाने हेतु बिजली के स्थान पर सोलर कुकर व पानी गर्म करने हेतु गीजर के स्थान पर सोलर वाटर हीटर का उपयोग कर हम बहुमूल्य विद्युत ऊर्जा का संरक्षण कर राष्ट्रहित में भागीदार बन सकते हैं। यदि गीजर का उपयोग करे तो इसे न्यूनतम समय तक उपयोग में लायें इसके लिए थर्मोस्टेट एवं टाइमर के तापमान की सेटिंग का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]