उत्सर्जकता

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लौहकार लौह पर तब कार्य करते हैं जब वह इतना तप्त होता है कि स्पष्टतः दृश्य तापीय विकिरण उत्सर्जित कर सके।

किसी सामग्री की सतह की उत्सर्जकता तापीय विकिरण के रूप में ऊर्जा उत्सर्जन में उसकी प्रभावशीलता है। तापीय विकिरण विद्युच्चुम्बकीय विकिरण है जिसमें दृश्य विकिरण (प्रकाश) और अवरक्त विकिरण दोनों शामिल होते हैं, जो मानव नेत्र को दिखाता नहीं है। उत्तप्त पिण्डों से उत्सर्जित तापीय विकिरण का एक भाग (चित्र देखें) नेत्र को आसानी से दिखता है।

किसी सतह की उत्सर्जकता उसकी रासायनिक और भूमितीय संरचना पर निर्भर करती है। मात्रात्मक रूप से, यह स्टीफ़न-बॉल्त्स्मन नियम द्वारा प्रदत्त समान तापमान पर एक सतह से तापीय विकिरण और एक आदर्श कृष्णिका से विकिरण का अनुपात है। अनुपात 0 से 1 तक भिन्न होता है।

तथापि, तरंगदैर्घ्य- और उपतरंगदैर्घ्य स्केल कण, [1] परासामग्री, और अन्य परासूक्ष्म संरचना [2] में 1 से अधिक उत्सर्जकता हो सकता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Bohren, Craig F.; Huffman, Donald R. (1998). Absorption and scattering of light by small particles. Wiley. पपृ॰ 123–126. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-471-29340-8.
  2. Golyk, V. A.; Krüger, M.; Kardar, M. (2012). "Heat radiation from long cylindrical objects". Phys. Rev. E. 85 (4): 046603. arXiv:1109.1769. PMID 22680594. डीओआइ:10.1103/PhysRevE.85.046603. बिबकोड:2012PhRvE..85d6603G. |hdl-access= को |hdl= की आवश्यकता है (मदद)