आ अब लौट चलें

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आ अब लौट चलें

आ अब लौट चलें का पोस्टर
निर्देशक ऋषि कपूर
लेखक रुमी जाफरी
पटकथा सचिन भौमिक
निर्माता राजीव कपूर
रणधीर कपूर
ऋषि कपूर
अभिनेता राजेश खन्ना,
अक्षय खन्ना,
ऐश्वर्या राय,
सुमन रंगनाथन
संपादक राजीव कपूर
संगीतकार नदीम-श्रवण
प्रदर्शन तिथियाँ
22 जनवरी, 1999
लम्बाई
178 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी

आ अब लौट चलें 1999 में बनी हिन्दी भाषा की रूमानी नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन ऋषि कपूर ने किया और मुख्य भूमिकाओं में अक्षय खन्ना, ऐश्वर्या राय और राजेश खन्ना हैं। अन्य सहायक कलाकारों में मौसमी चटर्जी, आलोक नाथ, कादर खान और परेश रावल शामिल हैं। ये ऋषि कपूर द्वारा निर्देशित एकमात्र फिल्म है। ये आर. के. फिल्मस से निर्मित आखिरी फिल्म भी है।[1] फिल्म सफल नहीं रही थी लेकिन अब इसको दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता है।[2]

संक्षेप[संपादित करें]

रोहन खन्ना (अक्षय खन्ना) एक पढ़ा-लिखा बेरोजगार लड़का है, जो अपने दादा (आलोक नाथ) और अपनी माँ (मौसमी चटर्जी) के साथ रहता है। वो हर दिन नौकरी की तलाश करता रहता है, पर उसे कोई भी नौकरी नहीं मिलती है। एक दिन रोहन का दोस्त, रंजीत अमेरिका से वापस आता है, जो रोहन को अमेरिका में आ कर नौकरी करने का सुझाव देता है। रोहन उसके भरोसे अमेरिका जाने की तैयारी करने लगता है। रोहन की माँ, उसे रोकती है और कहती है कि उसके पिता, बलराज (राजेश खन्ना) भी अमीर बनने का सपना देख कर चले गए थे और रास्ते में उनकी मौत हो गई। लेकिन अंत में वो मान जाती है।

रोहन अमेरिका में आ जाता है, पर बाद में उसे पता चलता है कि रंजीत अपनी अमेरिकी पत्नी के साथ मिल कर अपने भारत से लाये गए माता-पिता के साथ नौकर की तरीके से व्यवहार करता है। रंजीत उसकी मदद करने से भी इंकार कर देता है। रोहन को सरदार खान (कादर खान), टैक्सी ड्राइवर मिल जाता है, जो उसे रहने की जगह देता है। उस जगह पर उसे इकबाल सिंह (जसपाल भट्टी) मिलता है, जो उसे टैक्सी ड्राईवर की नौकरी दिलवाता है। अपने काम के पहले ही दिन, वो एक भारतीय महिला पूजा (ऐश्वर्या राय) को हवाई अड्डे पर मिलता है और वो दोनों दोस्त बन जाते हैं। उसका भाई उसकी जबर्दस्ती शादी एक अमेरिकी बूढ़े से कराने पर दबाव बनाता है, इस कारण वो वहाँ से चले जाती है। उसके पास अपने घर भारत में जाने के लिए पैसे नहीं रहते और इस कारण रोहन उसकी मदद करता है और अपने रहने वाले जगह पे ले जाता है। वहाँ उसका सभी स्वागत करते हैं। पूजा को रोहन से प्यार हो जाता है पर रोहन अपने काम से खुश नहीं रहता और ग्रीन कार्ड पाने के लिए एक एनआरआई लड़की से शादी करने की सोचता है, जिससे पूजा का दिल टूट जाता है।

पूजा को बलराज की देखरेख का काम मिल जाता है जो अभी भी जिंदा है और भारतीय अमेरिकी लोगों में सफल व्यवसायी बन गए हैं। बलराज को पूजा बहुत अच्छी लगती है और वो उसका हाथ अपने निकम्मे बेटे करन के लिए मांगता है। उसका बेटा एक ड्रग-डीलर से बहुत सारा पैसा उधारी लिए है। बलराज अपने बेटे से कहता है कि उसे पैसे तभी मिलेंगे, जब वो उसके पसंद की लड़की से शादी कर लेगा। उधर रोहन को एहसास हो जाता है कि एनआरआई लड़की लवलीन (सुमन रंगनाथन) और उसके स्वभाव में बहुत फर्क है और वो दोनों एक साथ नहीं रह सकते। उसे पूजा से प्यार का एहसास हो गया है। वो वापस आ जाता है और पूजा से माफी मांगने की कोशिश करता है। पूजा मान जाती है। रोहन उसे वादे के रूप में अपना लॉकेट देता है, जिसमें उसकी माँ की तस्वीर भी होती है। बलराज से पूजा कहती है कि वो रोहन से प्यार करती है। इससे करन को गुस्सा आ जाता है, क्योंकि उसे ड्रग-डीलर को देने के लिए पैसे मिलने एक मात्र रास्ता भी उसके शादी से इंकार करने के बाद बंद हो जाता है। वो झगड़ा करने लगता है और इस चक्कर में पूजा का पहना लॉकेट नीचे गिर जाता है। उसे बलराज उठा कर खोल के देखता है तो उसे लॉकेट में उसकी पत्नी की तस्वीर दिखती है। पूजा उसे बताती है कि ये रोहन का लॉकेट है। बलराज समझ जाता है कि रोहन उसका बेटा है, लेकिन वो ये बात पूजा को नहीं बताता और रोहन को नौकरी के लिए उसके ऑफिस आने बोल देता है। रोहन को वो नौकरी मिल जाती है और वो रंजीत के माता-पिता को उनके घर वापस ले जाने में मदद करता है। रोहन और पूजा अब भारत जाने की तैयारी करने लगते हैं।

वापस जाने से पहले रोहन को पता चलता है कि बलराज ही उसके पिता हैं। वो अपनी पत्नी से माफी मांगने के लिए कॉल भी करता है। फिर उसके माफ कर देने के बाद वो सब भारत लौटने वाले होते हैं कि बलराज का बेटा, करन भी वहाँ आ जाता है। तब पता चलता है कि वो ड्रग-डीलर को पकड़वा चुका है और दिल से माफी मांग रहा है। फिर सभी लौट जाते हैं।

मुख्य कलाकार[संपादित करें]

संगीत[संपादित करें]

सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत नदीम-श्रवण द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."आ अब लौट चलें"उदित नारायण, अलका याज्ञिक5:04
2."ओ यारों माफ करना" (I)कुमार सानु, सोनू निगम, शब्बीर कुमार, अभिजीत, विजयता पंडित7:26
3."ये कैसी मुलाकात है"कुमार सानु, अलका याज्ञिक5:14
4."तेरे बिन एक पल"उदित नारायण, जसपिंदर नरुला5:48
5."यही है प्यार"अलका याज्ञिक, जसपिंदर नरुला, उदित नारायण6:34
6."प्यार की शोकियाँ मस्तियाँ"जसपिंदर नरुला, बाली ब्रह्मभट्ट6:47
7."मेरा दिल तेरा दीवाना"अलका याज्ञिक5:17
8."ओ यारों माफ करना" (II)अलका याज्ञिक, कुमार सानु4:12

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "रणधीर कपूर ने बताया आखिर क्यों बेचना पड़ रहा है आरके स्टूडियो, वजह जानकर चौंक जाएंगे". हिन्दुस्तान लाइव. 29 अगस्त 2018. मूल से 9 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2018.
  2. "Birthday Special: फ्लॉप फिल्में देने के बाद भी नहीं थमा अक्षय खन्ना का फिल्मी सफर". पत्रिका. 28 मार्च 2018. मूल से 9 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितम्बर 2018.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]