आभा झा

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आभा झा (जन्म: 5 जनवरी 1975) एक जानेमाने कवयित्री हैं जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है। वे मैथिली और हिंदी भाषा में अपनी रचनाएं करती हैं और बड़े ही आदर्श कवयित्री मानी जाती हैं। उनकी कविताओं को उन्होंने खास अंदाज़ में प्रस्तुत किया है, जिसके कारण लोग इनकी कविताओं की प्रतीक्षा में घंटों तक इंतजार करते हैं।

जन्म 5 जनवरी 1975
जन्मस्थल 🇮🇳 हरिपुर बख्शीटोल, मधुबनी जिलान्तर्गत, बिहार

प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा[संपादित करें]

आभा झा शेरमारू टीवी के लिए वाह भाई वाह के सेट पर कविताएं सुनाती हुईं

आभा झा का जन्म 5 जनवरी 1975 को बिहार के मधुबनी जिलान्तर्गत हरिपुर बख्शीटोल नामक गाँव में हुआ था।इनके पिता स्वर्गीय लक्ष्मी कान्त झा एक  शिक्षक थे और माता स्वर्गीय प्रतिमा देवी एक कुशल गृहिणी होने के साथ  अपनी भाषा, साहित्य में रूचि रखने वाली धार्मिक महिला थीं। आभा झा की प्राथमिक शिक्षा अपने ही गाँव में हुई तथा दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई उच्च विद्यालय लोहा  से हुई थी। तत्पश्चात् ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से इन्होंने स्नातक की डिग्री  एवं सामाजशास्त्र में प्रतिष्ठा अर्जित की। बचपन से ही इन्हें साहित्य के प्रति विशेष अभिरूचि थी। कालेज के दिनों में भी कविता और लघुकथा लिखना, सुनना और सुनाना पसंद करती थीं। स्नातक के अंतिम वर्ष की परीक्षा देने के तुरंत बाद ही आभा झा का विवाह श्री धर्मेन्द्र कुमार (एक राजपत्रित पदाधिकारी) के संग हुआ । संयुक्त परिवार की बड़ी बहू की जिम्मेवारी के साथ साथ  बच्चों के  लालन-पालन में  व्यस्त रहने के कारण अपने लिए  सोच पाना बेहद मुश्किल था। फिर भी थोड़ा बहुत समय निकालकर पठन - पाठन कर लिया करती थीं। वक्त के साथ - साथ बच्चे बड़े  हो गए और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ कम हो गईं। लोग टेलीफोन छोड़ कर हाथ में मोबाइल रखने लगे, ऐसे में आभा झा भी सोशल मीडिया में ऐक्टिव हुईं और देखते ही देखते इनके भीतर की सोई हुई कवित्व प्रतिभा पुनः जागृत हो उठी। 2017 के दिसंबर में उन्होने अपनी मैथिली कविता का पहला विडियो फेसबुक पर पोस्ट किया जिसे लोगों ने बहुत सराहा और तब से लेकर आजतक ये लगातार लिख रहीं हैं , गा रहीं हैं, सुना रहीं हैं और अपने चाहने वालों के दिल पर राज कर रही हैं।

कार्य और उपलब्धियाँ[संपादित करें]

शेरमारू टीवी के लिए वाह भाई वाह के सेट पर शैलेश लोढ़ा के साथ आभा झा

आभा झा  केवल साहित्य सृजन ही नहीं  करती अपितु अपने सधे हुए स्वर एवं आत्मविश्वासपूर्ण भाव भंगिमा के साथ पाठ करने में इनका कोई सानी नहीं है। ये कभी अपनी कविताओं के माध्यम से जब शृंगार रस की छटा बिखेरती हैं,  कभी सामाजिक विसंगति पर ठोस प्रहार करती हैं ,तो कभी राष्ट्रीय भावधारा की कविता लिख अपनी ओजमयी प्रस्तुति से जनसाधारण के मनमस्तिष्क पर छाप छोड़ने में सफल होती हैं। संवेदात्मक भावबोध, अभिव्यक्ति की प्रांजलता एवं प्रस्तुति में स्वर लय समावेश करना इनकी ख़ास विशेषता हैं जिस कारण अल्पावधि में ही ये छोटे बड़े सभी मंचों की चहेती एवम अग्रणी कवयित्री बन चुकी हैं। संस्थागत मंचों पर इनकी प्रस्तुति की बात करें तो ये विद्यापति सेवा संस्थान दरभंगा , झारखण्ड मिथिला मंच राँची, मैथिल समाज मुंबई, मिथिला सांस्कृतिक मंच हैदराबाद, अखिल भारतीय मिथिला संघ दिल्ली, विश्व मैथिल संघ दिल्ली , एवं साहित्य अकादेमी के  विविध कार्यक्रमों  सहित भारत के प्रायः सभी साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। मातृभाषा मैथिली ‌के साथ साथ राजभाषा हिंदी में भी लगातार लिखती आ रही हैं । गत कुछ वर्षों में हिंदी काव्य मंचों पर भी इनकी गरिमामयी उपस्थिति बढ़ी हैं । आकाशवाणी के हिंदी सप्ताह एवं  जी .टी. वी. के नववर्ष विशेष कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देने के साथ शेमारू टेलीवीजन के स्टार कवि शैलेश लोढ़ा के संचालन में  वाह भाई वाह कार्यक्रम में भाग ले चुकी हैं।

साहित्य जगत में इनकी पहचान मात्र लेखन या गायन तक ही  सीमित नहीं रही बल्कि अपनी प्रखर प्रतिभा एवम स्वच्छंद सोच के कारण अब इनको विभिन्न  संस्थाओं द्वारा निर्णायक मंडल में भी शामिल किया जा रहा है। ये अपने सरल, सकारात्मक एवं प्रोत्साही स्वभाव के कारण युवाओं के आदर्श बन चुकी हैं।

विशेष कृतियाँ[संपादित करें]

इनकी लिखी  प्रकाशित पुस्तक हैं -

  1. प्रथम प्रणय
  2. ऊर्मि

इसके अलावा  आज़ादी के अमृतमहोत्सव के अवसर पर भारत के वीर सपूतों पर केन्द्रित मैथिली भाषा में लिखे गये इनके गीतों को संस्कृति मंत्रालय द्वारा चयन किया गया जिसे संगीत नाटक अकादेमी द्वारा कंपोज़ किया गया है ।

एन. सी. ई. आर. टी. से छपने वाली पुस्तक के लिए भी इन्होंनें अनुवाद कार्य किया है। इनके द्वारा लिखे गये कई गीतों को श्री शंकर आनंद जी ने कंपोज़ किया है तथा अपने मधुर स्वर में गायन भी किया है ।  वी. एस. ए. रिकोर्डिंग स्टूडियो से कई गीत रिलीज हुए हैं जिनमें "अम्बे शरण" और "नमन नटराज" नाम के गीत काफी लोकप्रिय हैं । इन गीतों का प्रसारण नेपाली रेडियो के कार्यक्रम हैलो मिथिला से भी गया है । ये आनेवाली  मैथिली फ़िल्म के लिए भी कुछ गीत  लिख रही हैं, जो शीघ्र रिलीज होंगे । आगे विविध विधा में लिखने की योजना है ।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. https://www.youtube.com/watch?v=_lnaEalJZIg&ab_channel=WaahBhaiWaah वाह भाई वाह कार्यक्रम (एपिसोड 363) - यूट्यूब
  2. https://www.youtube.com/watch?v=PPZcKHw64R4&ab_channel=MithilaMirror मैथिली के बहुचर्चित कवियित्री Abha Jha के संग Lalit Narayan Jha की विशेष बातचीत
  3. https://www.youtube.com/watch?v=pGe1fg2uKRY&ab_channel=SahityaTak अपराधी मंच खड़ा देखो, व्यभिचारी संत बना देखो | Abha Jha | Mike Ke Lal | देशभक्ति कविता | Sahitya Tak
  4. https://navbharattimes.indiatimes.com/navbharatgold/jokes/hasya-kavi-and-kavita/maithili-hasya-kavita-kukurak-arji-by-aabha-jha/podcast/91129377.cms मैथिली : 'सरकार, पशुओं के लिए शौचालय बना दो' - Navbharat Times