आटचाला
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आटचाला बंगाल के मन्दिर स्थापत्य की एक शैली है। यह चतुर्मुखी चारचाला मन्दिर स्थापत्यशैली जैसी होती है। मूल मन्दिर के ऊपरी भाग में मूल मन्दिर की एक लघुकाय अनुकृति बनी होती है। [1]
गठनशैली
[संपादित करें]आटचाला स्थापत्यशैली के एकाधिक रूप देखने को मिलते हैं।[1] आटचाला मन्दिर १८वीं और १९वीं शताब्दी के बंगाल में, विशेषकर हुगली और हावड़ा जिलों के निर्माणशिल्पियों और पृष्ठपोषकों के मध्य जनप्रिय हुई थी। इस शैली के मन्दिर चारचाला मन्दिर के अनुरूप होते हैं, किन्तु उसके साथ एक अतिरिक्त क्षुद्राकृति छाद जोड़ कर मन्दिर की उच्चता में वृद्धि कर ली जाती है। बड़े आटचाला मन्दिरों में साधारणतः तीन प्रवेशद्वार होते हैं।
आटचाला मन्दिर
[संपादित करें]- १८वीं शताब्दी में निर्मित नालन्दा में अवस्थित रामेश्वरी मन्दिर
- यशोर का गुञ्जनाथ शिव मन्दिर (१७४०),
- वागेरहाट का जोड़ शिव मन्दिर (१८वीं शताब्दी)
- कुमिल्ला का चान्दिनार शिव मन्दिर (१९वीं शताब्दी)
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- 1 2 Amit Guha, Classification of Terracotta Temples, मूल से से 31 जनवरी 2016 को पुरालेखित।, अभिगमन तिथि: 20 January 2016
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