आँख
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आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जन्तुओं की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर केंद्रित करता है (जिससे प्रतिबिम्ब बनता है); इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका कोशिकाओ के माध्यम से मस्तिष्क के पास भेजता है।आँखो का रंग और वर्णन आँखें काली, निली, भूरी, हरी और लाल रंग की हो सकती है। नेत्र यह तेजस्वी होते है। उन्हे कफ इन दोष से डर रहता है। इस कारण आँखो में सात दिन में कम-से-कम एक बार अंजन करना चाहिए।
नेत्र रोग :- आयुर्वेद में नेत्र के विविध रोगो का ( संख्या: ७६) वर्णन किया है।
इसी प्रकार उसपर उत्तम चिकित्सा भी बचाई है। ( नेत्र तर्पण, सेक, इ.) संरचना
संरचना[संपादित करें]
आंखे के विभिन्न भाग इस प्रकार है-
- श्वेतपटल
- रक्तक
- दृष्टिपटल
- नेत्रश्लेष्मला (कंजंक्टिभा)
- स्वच्छमण्डल
- परितारिका
- पुतली
- पूर्वकाल कक्ष
- पश्च कक्ष
- नेत्रोद
- नेत्रकाचाभ द्रव
- रोमक पिंड
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- मानव नेत्र
- नेत्रविज्ञान (Ophthalmology)