अवगम

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नॅकर क्यूब और रुबिन गुलदस्ते ऐसे दो चित्र हैं, जिनका प्रत्यक्षीकरण एक से अधिक प्रकार से कियाजा सकता है

अपने वातावरण के बारे में इन्द्रियों द्वारा मिली जानकारी को संगठित करके उस से ज्ञान और अपनी स्थिति के बारे में जागरूकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को अवगम या प्रत्यक्षण (perception) कहते हैं।[1] इंद्रियों से प्राप्त किये गये ज्ञान को प्रत्यक्ष कहते हैं।

प्रत्यक्षण, तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) में संकेतों के प्रवाह से पैदा होता है और यह संकेत स्वयं इन्द्रियों पर होने वाले किसी प्रभाव से पैदा होते हैं। उदाहरण के लिए, आँखों के दृष्टि पटल (रॅटिना) पर प्रकाश पड़ने से दृश्य का बोध उत्पन्न होता है, नाक में गंध-धारी अणुओं के प्रवेश से गंध का बोध उत्पन्न होता है और कान के पर्दों पर हवा में चलती हुई दबाव तरंगों के थपेड़ों से ध्वनि का बोध होता है।[2] लेकिन बोध सिर्फ इन बाहरी संकेतों के मिलना का सीधा-साधा नतीजा नहीं है, बल्कि इसमें स्मृति, आशा और अतीत की सीखों का भी बहुत बड़ा हाथ होता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Pomerantz, James R. (2003): "Perception: Overview". In: Lynn Nadel (Ed.), Encyclopedia of Cognitive Science, Vol. 3, London: Nature Publishing Group, pp. 527–537
  2. Sensation and perception Archived 2011-11-09 at the वेबैक मशीन, E. Bruce GoldsteinCengage Learning, 2009, pp. 5–7, ISBN 978-0-495-60149-4