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अग्नाशय कैंसर

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अग्नाशय कैंसर
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
अग्नाशय की स्थिति
आईसीडी-१० C25.
आईसीडी- 157
ओएमआईएम 260350
डिज़ीज़-डीबी 9510
मेडलाइन प्लस 000236
ईमेडिसिन med/1712 
एम.ईएसएच D010190
अग्नाशय का कैंसर
अग्नाशय का कैंसर
विशेषज्ञता क्षेत्रगैस्ट्रोएंटरोलॉजी हेपेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी
लक्षणपीली त्वचा, पेट या पीठ में दर्द, अस्पष्टीकृत वजन घटना, हल्के रंग का मल, गहरे रंग का मूत्र, भूख न लगना
उद्भव40 साल की उम्र के बाद
संकटतम्बाकू धूम्रपान, भारी शराब का सेवन, मोटापा, मधुमेह, कुछ दुर्लभ आनुवंशिक स्थितियां
निदानचिकित्सा इमेजिंग, रक्त परीक्षण, ऊतक बायोप्सी
निवारणधूम्रपान न करना, कम शराब का सेवन, स्वस्थ वजन बनाए रखना, कम रेड मीट आहार
चिकित्सासर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, उपशामक देखभाल
चिकित्सा अवधिपांच साल की जीवित रहने की दर 6%
आवृत्ति393,800 (2015)

पैंक्रिएटिक कैंसर अग्नाश्य का कैंसर होता है। प्रत्येक वर्ष अमेरिका में ४२,४७० लोगों की इस रोग के कारण मृत्यु होती है। इस कैंसर को शांत मृत्यु (साइलेंट किलर) भी कहा जाता है, क्योंकि आरंभ में इस कैंसर को लक्षणों के आधार पर पहचाना जाना मुश्किल होता है और बाद के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। सामान्यत: इस कैंसर के लक्षणों में एबडोमेन के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है, भूख कम लगती है, तेजी से वजन कम होने की दिक्कतें, पीलिया, नाक में खून आना, उल्टी होना जैसी शिकायत होती है।

बड़ी उम्र (60 से ऊपर), पुरुष, धूम्रपान, खाने में सब्जियों और फल की कमी, मोटापा, मधुमेह, आनुवांशिकता भी कई बार पैंक्रिएटिक कैंसर की वजह होते हैं। पैंक्रिएटिक कैंसर से पीड़ित ज्यादातर रोगियों को तेज दर्द, वजन कम होना और पीलिया जैसी बीमारियां होती हैं। डायरिया, एनोरेक्सिया, पीलिया वजन कम होने की मुख्य वजह होती है।

अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने इसके लिए किसी भी तरह के दिशा-निर्देश नहीं बनाए हैं, हालांकि धूम्रपान को इस कैंसर के लिए 20 से 30 प्रतिशत तक जिम्मेदार माना जाता है। सितंबर 2006 में हुए एक अध्ययन में कहा गया था कि विटामिन डी का सेवन करने से इस कैंसर के होने की संभावना कम हो जाती है।

अग्न्याशय एक लंबी, सपाट ग्रंथि है जो पेट के पीछे क्षैतिज रूप से स्थित होती है। अग्नाशय का कैंसर अग्न्याशय के ऊतकों में शुरू होता है जो पेट में एक अंग होता है जो पेट के निचले हिस्से के पीछे होता है। अग्न्याशय में बनने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर उन कोशिकाओं में शुरू होता है जो अग्न्याशय (अग्नाशयी नलिका संबंधी एडेनोकार्सिनोमा) से पाचन एंजाइमों को ले जाने वाली नलिकाओं को रेखाबद्ध करती हैं।

अग्नाशयी कैंसर तब होता है जब अग्न्याशय में कोशिकाएं अपने डीएनए में परिवर्तन (म्यूटेशन) विकसित करती हैं। जब अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो अग्नाशयी कैंसर कोशिकाएं आस-पास के अंगों और रक्त वाहिकाओं और शरीर के दूर के हिस्सों में फैल सकती हैं। कम बार, कैंसर हार्मोन-उत्पादक कोशिकाओं या अग्न्याशय के न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाओं में बन सकता है। इस प्रकार के कैंसर को अग्नाशयी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर, आइलेट सेल ट्यूमर या अग्नाशयी अंतःस्रावी कैंसर कहा जाता है।

अग्न्याशय के एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड के दौरान, डॉक्टर गले के नीचे और पेट में एक पतली, लचीली ट्यूब (एंडोस्कोप) डालता है। यदि डॉक्टर को अग्नाशय के कैंसर का संदेह है, तो उसे निम्नलिखित में से एक या अधिक परीक्षणों से गुजरना पड़ सकता है: यदि डॉक्टर अग्नाशय के कैंसर के निदान की पुष्टि करता है, तो वह कैंसर की सीमा (चरण) को निर्धारित करने का प्रयास करता है। स्टेजिंग परीक्षणों की जानकारी का उपयोग करते हुए, डॉक्टर अग्नाशय के कैंसर को एक चरण प्रदान करता है, जो यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कौन से उपचार से सबसे अधिक लाभ होने की संभावना है। अग्नाशयी कैंसर का निदान करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों में अल्ट्रासाउंड, कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) और कभी-कभी पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन शामिल हैं। डॉक्टर अग्न्याशय के कैंसर कोशिकाओं द्वारा बहाए गए विशिष्ट प्रोटीन (ट्यूमर मार्कर) के लिए रक्त का परीक्षण कर सकते हैं।

पैंक्रिएटिक कैंसर का इलाज, इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर की अवस्था कौन सी है। रोगी की सजर्री की जाती है या फिर उसे रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी दी जाती है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार अब तक इस कैंसर का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है। कैंसर सोसाइटी का कहना है कि 20 से 30 प्रतिशत पैंक्रिएटिक कैंसर की वजह ज्यादा धूम्रपान करना होता है।

सन्दर्भ

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साँचा:Endocrine gland neoplasia