कुछ तुम कहो कुछ हम कहें

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कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
निर्देशक रवि शंकर
लेखक जैनेन्द्र जैन (संवाद)
पटकथा पारुचूरी ब्रदर्स
कहानी उदय शंकर,
दीनराज
निर्माता डी॰ रामनायडू[1]
अभिनेता फ़रदीन ख़ान
ऋचा पल्लोद
फ़रीदा जलाल
गोविन्द नामदेव
मुकेश तिवारी
छायाकार अजयन विंसेंट
संपादक मार्थन्ड वेंकटेश,
माधव
संगीतकार अनु मलिक (गीत),
आर पी पटनायक (बैकग्राउंड स्कोर)
निर्माण
कंपनी
सुरेश प्रॉडक्शन[2]
वितरक ड्रीम मर्चंट एंटरप्राइज़
प्रदर्शन तिथि
28 जून 2002
देश भारत
भाषा हिन्दी

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें 2002 की हिन्दी भाषा में बनी एक भारतीय फिल्म है। इसका निर्देशन रवि शंकर ने किया है। इस फिल्म में फ़रदीन ख़ान और ऋचा पल्लोद हैं। ये फिल्म सिनेमाघरों में 28 जून 2002 में प्रदर्शित हुआ।

कहानी[संपादित करें]

विष्णुप्रताप सिंह (विक्रम गोखले) गाँव में अपनी बीवी (फ़रीदा जलाल) के साथ अपना साठवां जन्मदिन मनाते रहता है। वो इस मौके पर अपने पराया जैसा हो चुके बेटे से भी बात करता है। जिसके बाद उनका पोता, अभय (फ़रदीन ख़ान) अपनी माँ और बहन के साथ आता है। वो अपने व्यवहार से सारे परिवार वालों का दिल जीत लेता है। इसी के साथ वो विष्णुप्रताप के दोस्त की पोती, मंगला (ऋचा पल्लोद) का दोस्त भी बन जाता है। पर जल्द ही उन दोनों की दोस्ती, प्यार में बदल जाती है। उसकी मुलाक़ात वीरेंद्र प्रताप (गोविंद नामदेव) से होती है और लड़ाई शुरू हो जाती है। विष्णु प्रताप उन दोनों की लड़ाई देख लेता है और अभय को थप्पड़ मार देता है।

अभय को पता चलता है कि रुद्र के गुस्से की वजह बहुत पुरानी है। उसे पता चलता है कि बहुत पहले वीरेंद्र प्रताप और विष्णु प्रताप बहुत ही करीबी दोस्त हुआ करते थे। विष्णु की शादी वीरेंद्र की बहन से हो जाती है और पच्चीस साल पहले अभय के पिता, इंद्रा की शादी वीरेंद्र प्रताप की भांजी से तय हुई थी। पर शादी से बचने के लिए उस दिन ही इंद्रा घर छोड़ कर भाग जाता है। इस वजह से वीरेंद्र की बहन को काफी अपमान सहना पड़ता है और वो ख़ुदकुशी कर लेती है। वीरेंद्र इसका जिम्मेदार उस परिवार के बेटे को ठहराता है। अभय ये सब जानकर परिवार को फिर से मिलाने की तैयारी में लग जाता है। पर वो अब भी अभय को मार कर अपनी बहन और पिता का बदला लेना चाहता है।

काफी मेहनत के बाद अभय दोनों परिवार को एक करने में सफल हो जाता है। वो अपने दादा से मंगला से शादी करने की इजाजद मांगने की सोचता है, पर उससे पहले ही परिवार को हमेशा के लिए एक करने के लिए, मंगला की शादी वीरेंद्र के परिवार में तय हो जाती है।

दोनों परिवार वालों को हमेशा के लिए एक करने के लिए वो अपने प्यार की कुर्बानी देने का फैसला करता है, पर मंगला इस शादी के लिए तैयार नहीं होती और घर से भाग जाती है। अभय उसकी तलाश में निकल जाता है। रुद्र को जैसे ही मंगला के घर से भागने के बारे में पता चलता है, वो भी उसे ढूँढने निकल पड़ता है। मंगला को अभय ढूंढ निकालता है और उसे घर चलने को कहता है, उसके मनाते समय ही वो भी आ जाता है और अभय को मारने लगता है। जब उन्हें अभय और मंगला के प्यार के बारे में पता चलता है तो उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है और वे सभी फिर से अभय और मंगला के साथ एक हो जाते हैं।

कलाकार[संपादित करें]

संगीत[संपादित करें]

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
गाने
जारी जनवरी 2002
संगीत शैली फिल्म के गाने

सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत अनु मलिक द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायक / गायिकाअवधि
1."जब से देखा खोये खोये"कुमार सानु, अल्का याग्निक7:04
2."कुछ तुम कहो... कुछ हम कहें"हरिहरन5:25
3."हुआ सलाम दिल का"उदित नारायण, अल्का याग्निक5:58
4."ये क्या मजबूरी है"प्रशांत, केके2:55
5."चूड़ी चूड़ी"शान, प्रशांत, प्रीति, पिंकी5:56
6."आ र रा र रा"सोनू निगम, फरदीन खान6:32
7."तू ही है"शान, सुनिधि चौहान5:26

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Movie Preview Review Kuch Tum Kaho Kuch Hum Kahein". Hindisong.com. मूल से 23 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-07-23.
  2. "Kuch Tum Kaho Kuch Hum Kahein". मूल से 5 फरवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अगस्त 2013.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]