विक्की विश्वकर्मा

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विक्की विश्वकर्मा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सिआरपिएफ) के एक जवान हैं। कश्मीर में हो रही पथ्थरबाजी के विरुद्ध उन्होंने धैर्य और सहनशीलता दिखाई इसके लिये उनकी भारत में प्रशंसा की गई। [1] जम्मू कश्मीर में पिछले दिनों केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीआरपीएफ के जवानों पर पत्थरबाजों के हमले और बदसलूकी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। उस वीडियो सामने आने के बाद भारत में लोगों ने जवानों के साथ इस प्रकार के व्यवहार की भर्त्सना की थी।

वैय्यक्तिक[संपादित करें]

ओडिशा के संबलपुर जिले के रहने वाले सीआरपीएफ जवान विक्की विश्वकर्मा। वो पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में सीआरपीएफ बटालियन 50 में तैनात हैं। उन्होंने सीआरपीएफ 2011 में ज्वाइन की थी। इससे पहले भी वो 2012 में कश्मीर में तैनात रह चुके हैं। [2] सीआरपीएफ जवान की माँ ने कहा कि, 'उस समय वह बहुत भयभीत हो गई थीं, जब उनके बेटे की नियुक्ति सीमा पर की गई। परन्तु वह अब इस बात के लिए गर्व अनुभव करती हैं कि, उनका बेटा अपनी दायित्व का उचित रूप से वहन कर रहा है।' विकी के पिता ने कहा, 'मेरा बेटा देश की सेवा करता रहेगा', जबकि उसके भाई ने कहा कि उसने अपने भाई पर गर्व है। [3]

पृष्ठभूमि[4][संपादित करें]

ये घटना कश्मीर के बडगाम जिले में घटि थी। विश्वकर्मा की टुकड़ी के पास इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की सुरक्षा का दायित्व था। 26 वर्षीय विश्वकर्मा समेत अन्य जवानों के साथ घाटी के मुसलमानों ने गाली-गलौज और बदसलूकी की। कुछ कश्मीरी मुस्लीम युवक उन पर पत्थर फेंक रहे थे और पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगा रहे थे। यही नहीं वो जवानों से भी 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे बुलवाने के लिए भी पूरा जोर लगा रहे थे।[5] कश्मीरी युवकों ने उन्हें धक्के दिए, थप्पड़ मारे लेकिन इसके बावजूद विश्वर्मा सहित एक भी जवान ने अपना आपा नहीं खोया और संयम बनाए रखा। तमाम प्रकार के उकसावे के बावजूद जवानों ने अत्यंत संयम का परिचय दिया और अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

संयम का बयान[3][संपादित करें]

जब कश्मीरी मुस्लिम युवकों ने उसे गाली देने के साथ ही लात मार रहे थे, तब विश्वकर्मा ने कहा कि, पत्थरबाजी करने वालों से नहीं डरता। मैं अपनी अंतिम सांस तक देश की सेवा करुंगा[6]। मैं पत्थरबाजों से डरा नहीं था, बल्कि मौजूदा स्थिति को लेकर वह खबरदार था। क्योंकि वहां छोटी सी चूक से भी हालात बिगड़ सकते थे। सहन करना उनकी आदत है। उन्होंने बताया कि, देश के हित के लिये उसने पलटकर उन पत्थरबाजों को कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया, जो उन्हें गाली देने रहे थे। उन्होंने कहा कि, 'वह बहुत संवेदनशील इलाका है, मैं बस अपनी ड्यूटी पूरी करना चाहता था। यह कठिन है, लेकिन हमें ट्रेनिंग के दौरान यही सिखाया जाता है कि किसी भी स्थित में हम कैसे खुद के साथ-साथ देश की हिफाजत कर सकते हैं। वे लोग (पत्थर फेंकने वाले) पाकिस्तान जिंदाबाद, गो इंडिया गो बैक जैसे नारे लगाकर हमें उकसाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैं अपनी आखिरी सांस तक देश के लिए जीऊंगा, लेकिन मैं अपना कर्तव्य करना जारी रखूंगा, मैं अपने देश के लिए कुछ भी करूंगा.'

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाह्य कड़ीयाँ[संपादित करें]

उद्धरण[संपादित करें]

  1. "बदसलूकी के बावजूद शांत रहने वाले CRPF जवान की हुई प्रशंसा". मूल से 21 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.
  2. "2012 मे भी कश्मीर में नियुक्ति हुई थी". मूल से 21 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.
  6. "पत्थरबाज़ का सामना करने वाले CRPF जवान का जबरदस्त इंटरव्यू, बताया क्यों नहीं किया पलटवार". मूल से 21 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.