रावल मल्लिनाथ

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रावल मल्लिनाथ राजस्थान के लोकसन्त हैं। वे बाडमेर जिले के महवानगर के शासक राव शल्काजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। वह और उनकी पत्नी रानी रूपादे को पश्चिमी राजस्थान में लोग सन्त की तरह पूजते हैं।[उद्धरण चाहिए]

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मल्लीनाथ राजस्थान के बाड़मेर जिले के लोक देवता इनका जन्म 1395 ईस्वी में तिलवाड़ा में हुआ था इनके पिता जी का “ नाम रावल सलखा था और इनकी माता जी का जानी दे ” नाम था मल्लिनाथ जी के ताऊ जी का नाम का कान्हाड़दे था यह मारवाड़ के शासक थे मल्लिनाथ के ताऊ जी ने अपने भतीजा राव चूरा की नागौर और मंडोर को जीतने में सहायता की थी मल्लिनाथ एक साहसी पुरुष थे मारवाड़ की जनता ने सिद्ध पुरुष कहकर पुकारती थी इन्हें चमत्कारी योद्धा भी कहा जाता था 1378 ईस्वी में मल्लीनाथ ने मालवा के सूबेदार निजामुद्दीन को हराकर अपना जीत का परचम लहराया था

इससे उनकी प्रतिष्ठा और अधिक बढ़ गई थी बाड़मेर जिले का जो मालानी क्षेत्र है उसका नाम मल्लिनाथ के नाम पर ही पड़ा है बाड़मेर जिले के तिलवाड़ा गांव में इनका एक भव्य मंदिर है मल्लिनाथ जी का “ चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की ग्यारस से शुक्ल पक्ष की ग्यारस ” तक इनका मेला भरता है इनका मंदिर लूणि नदी के पास स्थित है राजस्थान राज्य का यह सबसे पुराना पशु मेला कहलाता है क्योंकि प्राचीन समय से ही इस मेले में पशुओं की बेच और खरीद होती आई है इस मेले में ग्रामीण परिवेश, सभ्यता एवं संस्कृति का दर्शन करने देसी विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं मेले के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु मल्लिनाथ की समाधि पर नतमस्तक होते हैं इनकी राजधानी मेवानगर बालोतरा में हैं