वार्ता:माल्कम २

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समग्र चुनाव[संपादित करें]

समग्र चुनाव

आज के समय में विभिन्न जगहों विभिन्न संस्थाओं में नाना प्रकार के चुनाव करवाए जा रहे हैं , जिसके आधार पर जनता (यहां पर मुझे , निजी सस्थाओ या उपखंडों में भी जनता शब्द का प्रयोग करना उचित लगता है क्योंकि चुनाव आखिरकार जनता में से ही होता है न कि मजदूर,मध्यम , कुलीन वर्ग से ) वर्तमान के समय में एक चीज आपके नजर में खटकती होगी , दिखाई देती होगी कि संपूर्ण चुनाव एक निश्चित समयांतराल में क्यों नहीं होता , परंतु ये राजनीतिज्ञ लोगो को (जो बड़े बड़े राजनीतिक पदों पर , पार्टियों के अध्यक्षों आदि पदों पर )कम ही नजर आता होगा क्योंकि उन्हें सम्यांतराल में होने वाले चुनावों के चुनाव का प्रचार करने का मोका मिल जाता है और आने वाले बड़े बड़े चुनावी धन ( फंड ) का भी फायदा मिल जाता है । हां , मैं इस बात से भी सहमत हु कि संपूर्ण प्रकार के चुनाव एक साथ करवाना मुमकिन नही है पर संसद के सदस्य ,विधान सभा के सदस्य एव पंचायतीराज के सदस्यों के सदस्यों के चुनाव तो एक साथ करवाना तो बिल्कुल मुमकिन हो ही सकता है ,

समस्याएं - 
                    1. सैन्य सुरक्षा - यदि हम एक महत्वपूर्ण समस्या देखे तो इसमें सैन्य सुरक्षा जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि हमारे पास वर्तमान में 1 लाख व्यक्तियों पर 138 पुलिस देश में एव राज्य में 134  , इतनी सेना नहीं हैं जो हम एक साथ किए गए चुनाव में इनकी पूर्ति कर सके इसके लिए हमे स्थानीय पुलिस व्यवस्था के साथ साथ केंद्रीय सुरक्षा बलो एव केंद्रीय पुलिस की सहायता लेने की शक्त आवश्यकता होगी 
                    2. आतंक - आतंक में, मै  उस आतंक की बात कर रहा हू जिसमे स्थानीय जगहों पर सामान्य दो पार्टियों एव दो गुटों की लड़ाई सामने आती हैं जिसे पुलिस कब्जे में मुश्किल से ले पाएगी क्योंकि सारी पुलिस तो चुनाव कार्य में लगी होगी ।दूसरी बात की ये मौका देख पड़ोसी राष्ट्र को भी लगेगा की अब संपूर्ण पुलिस काम मे है इसलिए वो फायदा उठाने की कोशिश भी कर सकता है 
                   3 . चुनावी संस्थाएं - इसमें चुनावी संस्थाएं के लिए एक समय तो ऐसा आएगा की उसे समय नही मिलेगा कि मुझे क्या करना है पर बाद में वह एक लंबे अंतराल तक फ्री रहेगी उनके पास कोई काम नही रहेगा यह कोई मुख्य समस्या नही है 

  फायदे :-- 
          1. यदि हम धन के मामले में देखे तो अत्यंत भारी मात्रा में हमारा धन खर्च होता है क्योंकि एक उम्मीदवार चुनाव विजय के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में धन खर्च करने को आतुर हो जाता है  , और जब अगला चुनाव जो अलग उम्मीदवार जी संसद का सदस्य चुनाव तो वह भी इसी तरह धन खर्च करता है तो उसकी मात्रा में कमी आ जाएगी ।

2 . जनता गुमराह , जब समय अंतराल से चुनाव होता है तब राजनेताओं को समय मिल जाता है और वे इस समय मे जनता को गुमराह कर जाते हैं क्योंकि उनके पास ज्यादा समय होता है तो वे झूठी बातो से जनता को बेवकूफ बनाते हैं , नही तो जनता काम देख कर चुनाव करेगी ।

3 . राष्ट्र नेता का समय खराब - राष्ट्र के विभिन्न राज्यों का चुनाव अलग अलग समय पर होता है तब राष्ट्र नेता अपनी पार्टी के सहयोग के लिए बार बार जब जब चुनाव होता है चुनाव प्रचार के लिए स्थानीय क्षेत्रों में चले जाते है तो वह राष्ट्रीय कार्यों को समय नही दे पाता हैं । उनका ज्यादातर समय चुनाव प्रचार में ही गुजरता है ।

नित्कर्ष एवं निवेदन :- एक राष्ट्र एक चुनाव ।।

दशरथ कुमार आंजना ( कलबी) गांव आकोली ,सांचौर जालोर राजस्थान 343041 ○ Dashrath jalore (वार्ता) 11:21, (UTC)