राष्ट्रीय कौशल विकास निगम

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राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation / NSDC) भारत की ऐसी पहली और एकमात्र संस्था है जिसका मूल उद्देश्य कौशल विकास है और जो निजी तथा सरकारी साझेदारी में काम करने वाली इकाई है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा कौशल विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों का एक बड़ा हिस्सा इस बात के लिए समर्पित है की असंगठित क्षेत्रों को इन प्रयत्नों का पूरा लाभ मिले। भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण (2008-09) में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के गठन की घोषणा की थी।

कई बार ऐसा होता है की कुछ इकाइयां कौशल के विकास का प्रयास तो करती हैं परन्तु उनसे फायदा लेने हेतु जो वित्त चाहिए होता है उसकी उनके पास कमी होती है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम यह वित्त प्रदान कर उनके लिए उत्प्रेरक का कार्य करती है। निजी तथा सरकारी साझेदारी का एक मॉडल भी तैयार करने में NSDC की बड़ी भूमिका है जिससे निजी इकाईयों को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा समर्थन देने तथा उनके साथ समन्वय बिठाने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम 21 भिन्न-भिन्न क्षेत्रों पर एकाकी रूप से ध्यान केन्द्रित करती है जिससे प्रत्येक सेक्टर की क्षमता को समझने तथा उसमे निजी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।

लक्ष्य[संपादित करें]

  • उद्योग जगत के साथ समन्वय करते हुए श्रमिकों के कौशल को अन्तराष्ट्रीय स्तर का बनाना तथा कौशल विकास के लिए विषय एवं उनकी गुणवत्ता स्तर को बनाने के लिए मूलभूत ढांचा तैयार करना
  • निजी क्षेत्र की जो इकाईयां कौशल विकास पर ध्यान दे रहीं हैं उनके साथ समन्वय करना तथा समर्थन देना और ऐसा करते हुए निजी और सरकारी क्षेत्र के समन्वय की एक मिसाल कायम करना। इस बात का भी ध्यान रखना की इस साझेदारी में निजी क्षेत्र का योगदान वित्त तथा क्रियान्यवन दोनों स्तरों पर हो
  • समाज के पिछड़े वर्गों तथा अविकसित क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाने का भरपूर प्रयास करना। उल्लिखित क्षेत्रों के साथ- साथ वैसे क्षेत्रों पर भी ध्यान देना जो असंगठित रूप से अपना कार्य कर रहे हैं
  • बाज़ार के नियंता की भूमिका अदा करना, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ नियंत्रण बिल्कुल नहीं है और अगर है भी तो वो प्रभावकारी नहीं है
  • उन योजनाओं को प्राथमिकता देना जो उत्प्रेरक का कार्य कर सके ना की सिर्फ अपने आप तक सिमित रहें
  • भारत में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसी योजना शुरू की है। जिसके बाद देश में रोजगार की रफ्तार में तेजी भी आएगी। इस योजना का नाम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना है जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 मार्च 2017 को इसका शुभारंभ किया था।  अधिक जानकारी के लिए आप http://newsyojana.com/government-yojana/know-whats-the-skill-development-plan-see-the-list-of-your-centers/600.php पर भी जा सकते हैं।

ढांचागत व्यवस्था[संपादित करें]

कम्पनी अधिनियम के धारा 25 के तहत NSDC वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली एक ऐसी कम्पनी है जो बगैर लाभ के काम करतीं है। इसकी मूल पूंजी 10 करोड़ रुपये है जिसमे से 49 प्रतिशत शेयर सरकार के पास है तथा 51 प्रतिशत निजी क्षेत्र के पास है।

संपूर्ण पारदर्शिता तथा निर्णय लेने की उच्च क्षमता जैसे मापदंडों पर NSDC खरा उतरे इसके लिए इसे एक स्वायत संस्था के रूप में गठित किया गया है। इसके निर्णय लेने की प्रक्रिया को कई स्तरों पर विभाजित किया गया है जिससे हर निर्णय पूरी तरह से जांचा परखा हो। ये स्तर हैं:

  • निदेशक मंडल
  • मंडलीय उप-समिति
  • कार्यकारिणी परिषद्
  • राष्ट्रीय कौशल विकास निधि (NSDF)

उल्लिखित प्रत्येक स्तर की NSDC के क्रियान्यवन में अपनी भूमिका है। इन स्तरों के कार्यकर्ता इस तरह अपनी रणनीति बनाते हैं की NSDC की मूल निति पूरे प्रभावकारी ढंग से लागू हो। वो इस बात का भी ख्याल रखते हैं की संस्था की लोच बरकरार रहे ताकि निजी क्षेत्रों के कौशल विकास में सहभागिता करने में कोई रुकावट नहीं हो।

निदेशल मंडल में 12 सदस्य शामिल होते हैं जिनमे से 4 सरकार द्वारा मनोनीत किये जाते हैं तथा बाकी 8 निजी क्षेत्र से आते हैं जिनमे चेयरमैन का पद भी शामिल है। NSDC के निर्णायक स्तरों में एक प्रमुख स्तर है NSDF जिसके 100 प्रतिशत स्वामित्व सरकार के पास हैं और यह पूर्णतया पेशेवर प्रबंधकों द्वारा संचालित होती है। इस वजह से यह फायदा होता है की NSDC अपने मूल विचार से विचलित नहीं होती।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कडियाँ[संपादित करें]