सदस्य वार्ता:Sushil Kumar Verma ddu

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 11:23, 18 नवम्बर 2017 (UTC)जनसंख्या बनाम कुपोषण, गरीबी, बेरोजगारीउत्तर दें

वर्तमान समय में देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है, पर इस सब के बीच बुनियादी मुद्दों पर बातचीत जरूरी है। बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण जैसे मुद्दों के अंत में निष्कर्ष निकलता है कि जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है, जो इन सबकी जड़ है। हम पूरे विश्व में गर्व से कहते हैं कि भारत युवाओं का देश है। लेकिन मौजूदा समय में बड़ी चुनौती यह है कि युवाओं की शक्ति का सही इस्तेमाल कैसे हो, इसके लिए युवाओं में कौशल का विकास किया जाना जरूरी है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि चीन ने अपनी बड़ी आबादी को ही अपनी ताकत बनाया है। इसी की बदौलत चीन आज विश्व का एक बड़ा ‘उत्पादन-हब’ है। लोग चीन के पक्ष में कहते हैं कि किसी खाने वाले का मुंह एक है, लेकिन हाथ दो हैं। यानी वह खाने से दुगनी कमाई कर सकता है। भारत में इस तरह की सोच को आगे बढ़ाने के लिए, युवाओं को उत्पादकता से जोड़ना जरूरी है। एक अनुमान के मुताबिक 2026 तक भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। इतनी बड़ी आबादी के लिए ज्यादा उत्पादकता भी जरूरी है, ताकि उसका भरण-पोषण हो सके। हमारे पास रोजगार और व्यवसाय पर निवेश सीमित है। उसका विभाजन बड़ी आबादी में होगा तो समस्या बढ़ेगी और इसका असर नौकरी के अवसरों पर भी पड़ेगा। रोजगार के अवसर भी कम होंगे। यह हमारी और सरकार की जिम्मेदारी बनती है। मौजूदा हालात में जनसंख्या नियंत्रण पर विचार किया जाना जरूरी है। उसके लिए परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता आवश्यक है और राजनीतिक विषयों में सहमति बनाने की जरूरत है। सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए गए जिससे जागरूकता आई है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। विश्व में चीन का पहला स्थान है और दूसरा नंबर सवा सौ करोड़ वाले भारत का है। भारत के कई राज्य विकास के मामले में पीछे हैं। वर्तमान में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, क्योंकि भारत के कई राज्य तो किसी छोटे देश के बराबर हैं। हम भले ही उपलब्धि के तौर पर कह सकते हैं कि भारत में कई देश बसते हैं, लेकिन जनसंख्या बढ़ोतरी से देश तबाह हो जाएगा। कुछ राजनीतिक पार्टी से जुड़े लोग माहौल को खराब करने की कोशिश करते हैं और इसके लिए किसी धर्म को जिम्मेदार बताया जाता है। लेकिन समस्या को धर्म से आगे बढ़ कर देखना होगा। आबादी को मानव संसाधन में बदलना जरूरी है। इसके लिए शिक्षा ही सबसे बड़ा साधन है। सुशील कुमार वर्मा गोरखपुर विश्वविद्यालय

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आर्यावर्त (वार्ता) 15:27, 15 जनवरी 2018 (UTC)उत्तर दें