अनुच्छेद 45 (भारत का संविधान)
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भारत का संविधान |
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उद्देशिका |
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संबधित विषय |
अनुच्छेद 45 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 4 |
विषय | राज्य की नीति के निदेशक तत्व |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 46 (भारत का संविधान) |
अनुच्छेद 45 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 4 में शामिल है और संघ में छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा के उपबंधों का वर्णन करता है। इस अनुच्छेद के अनुसार भारत के सभी राज्य अपने यहाँ छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक उपबंध करने का प्रयास करेंगे। भारत में ये प्रावधान मुख्य रूप से समन्वित बाल विकास योजना कार्यक्रम के माध्यम से किये जाते हैं, जिसमें प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के कार्यक्रमों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का भी योगदान शामिल रहता है। इसका उद्देश्य छह साल से कम उम्र के बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को व्यापक विकास सेवाएँ प्रदान करना है।[1][2][3][4][5]
पृष्ठभूमि[संपादित करें]
संविधान सभा में 23 नवंबर 1948 को मसौदा अनुच्छेद 45 पर चर्चा प्रारंभ हुई। आरंभ में इसमें चौदह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया था। साथ ही इस अनुच्छेद पर चर्चा अनुच्छेद 36 के अंतर्गत की गयी थी परंतु संविधान सभा के एक सदस्य ने मसौदा अनुच्छेद 36 से इसे अलग रखने की माँग की। जिसके बाद इस बात पर सहमति हुई कि मसौदा अनुच्छेद की भाषा को अन्य निदेशक सिद्धांतों के अनुरूप लाया जाना चाहिए। विधानसभा के एक सदस्य मसौदा अनुच्छेद 36 को राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अनुरूप बनाना चाहते थें जबकि अधिकांश प्रावधान "राज्य इसके लिए प्रयास करेगा..." इस प्रकार के वाक्यांशों के साथ शुरू होते थें पर मसौदा अनुच्छेद 36 का आरंभ "प्रत्येक नागरिक का हकदार है..." के साथ शुरू हुआ जो एक निर्देशक सिद्धांत के बजाय कानूनी रूप से लागू करने योग्य मौलिक अधिकार की तरह पढ़ा जाता है। आगे चलकर मसौदा अनुच्छेद को एकल संशोधन के साथ अपनाया गया। 2002 में संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम 2002 के माध्यम से निदेशक सिद्धांत को मौलिक अधिकार में बदल दिया गया, जिस कारण इस अनुच्छेद के वर्तमान स्वरूप में भी संशोधन किया गया।[1]
मूल पाठ[संपादित करें]
“ |
राज्य इस संविधान के आरम्भ से दस वर्ष की कालावधि के भीतर सब बालकों को चौदह वर्ष की अवस्था समाप्ति तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिये उपबंध करने का प्रयास करेगा।[6] |
” |
“ | The State shall endeavour to provide, within a period and compulsory of ten years from the commencement of this Constitution, for free and compulsory education for all children until they complete the age of fourteen years.[7] | ” |
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ अ आ "Article 45: Provision for early childhood care and education to children below the age of six years" [अनुच्छेद 45: छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा का प्रावधान]. भारत का संविधान. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 45 in Constitution of India" [भारतीय संविधान में अनुच्छेद 45]. इंडियन कानून. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 45- संविधान में कहां लिखा है बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा, पढ़िए". भोपाल समाचार (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 45 of the Indian Constitution: Provision for Early Childhood Care and Education to Children below the Age of Six Years" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 45: छः वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा का प्रावधान]. संविधान सरलीकृत (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Explain the implication of Article 45 of the Indian Constitution?" [भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 के निहितार्थ की व्याख्या करें?]. नोट्स वर्ल्ड (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 20 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 20 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
टिप्पणी[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
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