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"शुक्र": अवतरणों में अंतर

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===भूतल भूविज्ञान===
===भूतल भूविज्ञान===

13:00, 18 फ़रवरी 2013 का अवतरण

शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और छठंवा सबसे बड़ा ग्रह है। इसका परिक्रमा पथ 108¸200¸000 किलोमीटर लम्बा है. इसका व्यास 12¸103•6 किलोमीटर है.शुक्र का आकार और बनाबट लगभग पृथ्वी के बराबर है। इसलिए शुक्र को पृथ्वी की बहन कहा जाता है।

प्राकृतिक रंगो मे शुक्र

कक्षा :0.72 AU या 108,200,000 किमी ( सूर्य से)। शुक्र शुक्र की कक्षा लगभग पूर्ण वृत्त है।

व्यास : 12,103.6 किमी

द्रव्यमान : 4.869e24 किग्रा

भौतिक लक्षण

शुक्र चार सौर स्थलीय ग्रहों में से एक है | जिसका अर्थ है कि पृथ्वी की ही तरह यह एक चट्टानी पिंड है | आकार और द्रव्यमान में यह पृथ्वी के समान है और अक्सर पृथ्वी की "बहन" या "जुड़वा " के रूप में वर्णित किया गया है |[1] शुक्र का व्यास 12,092 किमी (पृथ्वी की तुलना में केवल 650 किमी कम) और द्रव्यमान पृथ्वी का 81.5% है | अपने घने कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वातावरण के कारण शुक्र की सतही परिस्थितियाँ पृथ्वी पर की तुलना मे बिल्कुल भिन्न है | शुक्र के वायुमंडलीय द्रव्यमान का 96.5% कार्बन डाइऑक्साइड और शेष 3.5% का अधिकांश नाइट्रोजन रहा है |[2]

भूगोल

20 वीं सदी में ग्रहीय विज्ञान द्वारा कुछ सतही रहस्यों को उजागर करने तक शुक्र की सतह अटकलों का विषय थी | अंततः इसका 1990-91 में मैगलन परियोजना द्वारा विस्तार में मापन किया गया | यहाँ की भूमि विस्तृत ज्वालामुखीकरण के प्रमाण पेश करती है और वातावरण में सल्फर वहाँ हाल ही में किए गये कुछ विष्फोटन का संकेत हो सकती है |[3][4]

शुक्र की सतह का करीबन 80% हिस्सा चिकने और ज्वालामुखीय मैदानों से आच्छादित है जिसका 70% सलवटदार चोटियों से युक्त मैदानों व 10% चिकनी या लोदार मैदानों को शामिल करता है । [5] दो उच्चभूमि महाद्वीप इसके सतही क्षेत्र के शेष को संवारता है जिसमे से एक ग्रह के उत्तरी अर्धगोलार्ध और एक अन्य भूमध्यरेखा के बस दक्षिण में स्थित है । The northern continent is called Ishtar Terra, after Ishtar, the Babylonian goddess of love, and is about the size of Australia. Maxwell Montes, the highest mountain on Venus, lies on Ishtar Terra. Its peak is 11 km above the Venusian average surface elevation. The southern continent is called Aphrodite Terra, after the Greek goddess of love, and is the larger of the two highland regions at roughly the size of South America. A network of fractures and faults covers much of this area.[6]

भूतल भूविज्ञान

आंतरिक संरचना

वातावरण और जलवायु

चुंबकीय क्षेत्र और कोर

कक्षा और घूर्णन

पर्यवेक्षण

इतिहास

शुक्र ग्रह सुंदरता और प्यार की देवी के नाम से जाना जाता है। (इसे यूनानी मे अफ्रोदिते(Aphrodite) तथा बेबीलोन निवासी इसे ईश्तर(Ishtar) कहते थे।) इसे यह नाम इस कारण दिया गया क्योंकि यह सबसे ज्यादा चमकिला ग्रह है।

शुक्र ग्रह को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता। यह सूर्य और चंद्रमा के अलावा आकाश में सबसे चमकदार पिंड है। बुध के जैसे ही इसे भी दो नामो भोर का तारा(यूनानी :Eosphorus ) और शाम का तारा के(यूनानी : Hesperus ) नाम से जाना जाता रहा है। ग्रीक खगोलशास्त्री जानते थे कि यह दोनो एक ही है।

आधुनिक खगोल विज्ञान

left। गैलीलीयो ने दिखाया की शुक्र कलाये दिखाता है क्योकि वह सूर्य की परिक्रमा करता है।

शुक्र भी एक आंतरिक ग्रह है, यह भी चन्द्रमा की तरह कलाये प्रदर्शित करता है। गैलेलीयो द्वारा शुक्र की कलाओं के निरिक्षण कोपरनिकस के सूर्यकेन्द्री सौरमंडल सिद्धांत के सत्यापन के लिये सबसे मजबूत प्रमाण दिये थे।

शुक्र की एक ही सतह पृथ्वी से दिखायी देती है।

१९६२ मे शुक्र ग्रह की यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान मैरीनर २ था। उसके बाद २० से ज्यादा शुक्र ग्रह की यात्रा पर जा चूके हैं जिसमे पायोनियर विनस और सोवियत यान वेनेरा ७ है जो कि किसी दूसरे ग्रह पर उतरने वाला पहला यान था। वेनेरा ९ शुक्र की सतह की तस्वीरे भेजने वाला पहला यान था। अमरीका के यान मैगेलन ने शुक्र की कक्षा मे परिक्रमा करते हुये उसकी सतह का राडार की सहायता से पहला नक्शा बनाया था। युरोपियन अंतरिक्ष एजेण्सी का विनस एक्सप्रेस यान अभी शुक्र की कक्षा मे है।

शुक्र का घुर्णन विचित्र है, यह काफी धीमा है। इसका एक दिन २४३ पृथ्वी के दिन के बराबर है जो कि शुक्र के एक वर्ष से कुछ ज्यादा है। शुक्र का घुर्णन और उसकी कक्षा कुछ इस तरह है कि शुक्र की केवल एक ही सतह पृथ्वी से दिखायी देती है। शुक्र को पृथ्वी का जुंड़वा ग्रह कहा जाता है क्योंकि

  1. शुक्र पृथ्वी से थोड़ा ही छोटा है। यह ग्रह व्यास मे पृथ्वी के व्यास का ९५% तथा द्रव्यमान मे पृथ्वी का ८०% है।
  2. दोनो की सतह मे क्रेटर कम है और सतह अपेक्षाकृत नयी है।
  3. घनत्व तथा रासायनिक संरचना समान है।

इन समानता से यह सोचा जाता था कि बादलो के निचे शुक्र ग्रह पृथ्वी के जैसे होगा और शायद वहां पर जीवन होगा। लेकिन बाद के निरिक्षणो से ज्ञात हुआ कि शुक्र पृथ्वी से काफी अलग है और यहां जीवन की संभावना न्युनतम है।

वातावरण

शुक्र ग्रह पर दबाव पृथ्वी के वायुमंडल दबाव का ९० गुना है जोकि पृथ्वी पर सागरसतह से १ किमी गहराई के तुल्य है। वातावरण मुख्यतः कार्बन डाय आक्साईड से बना है। यहां सल्फुरिक अम्ल के बादलो कई किलोमीटर मोटी कई परते है। यह बादल शुक्र ग्रह की सतह ढंक लेते है जिससे हम उसे देख नही पाते है। यह बादल ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करते है जिससे शुक्र का तापमान ७४० डीग्री केल्वीन तक बड़ा देते है। शुक्र की सतह का तापमान बुध से ज्यादा है जबकि वह सूर्य से दूगनी दूरी पर है। शुक्र पर बादलो मे ३५० किमी/घंटा की रफ्तार से हवा चलती है जो सतह पर अपेक्षाकृत धीमी (कुछ किमी /घंटा)है।शुक्र पर कभी पानी रहा होगा जो अब बास्पिकृत हो चूका है। शुक्र अब काफी सूखा ग्रह है। पृथ्वी भी शुक्र के जैसे ही होती यदि वह सूर्य से थोड़ा समीप होती।

भूपृष्ठ

शुक्र की सतह से अधिकांश रोलिंग मैदानों हैं। वहां काफी सारे समुद्र जैसे गहरे क्षेत्र है जैसे अटलांटा, गुयेनेवेरे,लावीनिया। कुछ उंचे पठारी क्षेत्र है जैसे ईश्तर पठार जो उत्तरी गोलार्ध मे है और आस्ट्रेलीया के आकार का है;अफ्रोदीते पठार जो भूमध्यरेखा पर है और दक्षिण अमरीका के आकार का है। इश्तर पठार का क्षेत्र उंचा है , इसमे एक क्षेत्र लक्ष्मी प्लेनम है जो शुक्र के पर्वतो से घीरा है। इनमे से एक महाकाय पर्वत मैक्सवेल मान्टेस है।

मैग्लेन यान से प्राप्त आंकड़े बताते है कि शुक्र की सतह का अधिकतर भाग लावा प्रवाह से ढंका है। उस पर काफी सारे मृत ज्वालामुखी है जैसे सीफ मान्स। हाल ही मे प्राप्त आंकड़े बताते है कि शुक्र अभी भी ज्वालामुखी सक्रिय है लेकिन कुछ ही क्षेत्रो मे; अधिकतर भाग लाखो वर्षो से शांत है।

शुक्र पर छोटे क्रेटर नही है। ऐसा प्रतित होता है कि उल्काये शुक्र के वातावरण मे सतह से टकराने से पहले ही जल जाती है। शुक्र की सतह पर क्रेटर गुच्छो मे है जो यह बताती है कि बड़ी उल्का सतह से टकराने से पहले छोटे टूकड़ो मे बंट जाती है।

शुक्र के प्राचीनतम क्षेत्र ८००० लाख वर्ष पूराने है। ज्वालामुखीयो ने शुक्र के पुराने बड़े क्रेटरो को भर दिया है।

शुक्र का अंतरिक भाग पृथ्वी जैसा है, ३००० किमी त्रिज्या की लोहे का केन्द्र ;उसके आसपास पत्थर की परत। ताजा आंकड़ो के अनुसार शुक्र की पपड़ी ज्यादा मोटी और मजबूत है। पृथ्वी के जैसे ही शुक्र पर सतह पर दबाव बनता है और भूकंप आते है।

चुंबकिय क्षेत्र

शुक्र का कोई चुंबकिय क्षेत्र नही है।

चन्द्रमा

शुक्र का कोई चन्द्रमा नही है।

शुक्र को नंगी आंखो से देखा जा सकता है। यह आकाश मे सबसे चमकिला पिंड है।

बाहरी कड़ियां

  • सौर मंडल (उत्कृष्ट सामग्री से भरपूर हिन्दी चिट्ठा)

सन्दर्भ

  1. Lopes, Rosaly M. C.; Gregg, Tracy K. P. (2004). Volcanic worlds: exploring the Solar System's volcanoes. Springer. पृ॰ 61. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 3-540-00431-9.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  2. "Atmosphere of Venus". The Encyclopedia of Astrobiology, Astronomy, and Spaceflght. अभिगमन तिथि 2007-04-29.
  3. Esposito, Larry W. (9 March 1984). "Sulfur Dioxide: Episodic Injection Shows Evidence for Active Venus Volcanism". Science. 223 (4640): 1072–1074. PMID 17830154. डीओआइ:10.1126/science.223.4640.1072. बिबकोड:1984Sci...223.1072E. अभिगमन तिथि 2009-04-29.
  4. Bullock, Mark A.; Grinspoon, David H. (2001). "The Recent Evolution of Climate on Venus". Icarus. 150 (1): 19–37. डीओआइ:10.1006/icar.2000.6570. बिबकोड:2001Icar..150...19B. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  5. Basilevsky, Alexander T.; Head, James W., III (1995). "Global stratigraphy of Venus: Analysis of a random sample of thirty-six test areas". Earth, Moon, and Planets. 66 (3): 285–336. डीओआइ:10.1007/BF00579467. बिबकोड:1995EM&P...66..285B.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  6. Kaufmann, W. J. (1994). Universe. New York: W. H. Freeman. पृ॰ 204. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-7167-2379-4.
  वा  
सौर मण्डल
सूर्यबुधशुक्रचन्द्रमापृथ्वीPhobos and Deimosमंगलसीरिस)क्षुद्रग्रहबृहस्पतिबृहस्पति के उपग्रहशनिशनि के उपग्रहअरुणअरुण के उपग्रहवरुण के उपग्रहनेप्चूनCharon, Nix, and Hydraप्लूटो ग्रहकाइपर घेराDysnomiaएरिसबिखरा चक्रऔर्ट बादल
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