हेलेन केलर
हेलेन एडम्स केलर | |
---|---|
हेलेन केलर बैठ कर मैग्नोलिया का फूल पकडे हुए, 1920. | |
जन्म |
27 जून 1880 टस्कम्बिया,अलाबामा, संयुक्त राज्य अमेरिका |
मौत |
जून 1, 1968 आर्कन रिज, ईस्टन, कनेक्टिकट, संयुक्त राज्य अमेरिका | (उम्र 87 वर्ष)
हस्ताक्षर |
हेलेन एडम्स केलर (27 जून 1880 - 1 जून 1968) एक अमेरिकी लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता और आचार्य थीं। वह कला स्नातक की उपाधि अर्जित करने वाली पहली बधिर और दृष्टिहीन थी। ऐनी सुलेवन के प्रशिक्षण में ६ वर्ष की अवस्था से शुरु हुए ४९ वर्षों के साथ में हेलेन सक्रियता और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँची। ऐनी और हेलेन की चमत्कार लगने वाले कहानी ने अनेक फिल्मकारों को आकर्षित किया। हिंदी में २००५ में संजय लीला भंसाली ने इसी कथानक को आधार बनाकर थोड़ा परिवर्तन करते हुए ब्लैक फिल्म बनाई। बेहतरीन लेखिका केलर अपनी रचनाओं में युद्ध विरोधी के रूप में नजर आतीं हैं। समाजवादी दल के एक सदस्य के रूप में उन्होंने अमेरिकी और दुनिया भर के श्रमिकों और महिलाओं के मताधिकार, श्रम अधिकारों, समाजवाद और कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया।
जीवन वृत
[संपादित करें]
हेलेन केलर | |
---|---|
1904 में केलर |
हेलेन एडम्स केलर २७ जून १८८० को अमेरिका के टस्कंबिया, अलबामा में पैदा हुईं।जन्म के समय हेलन केलर एकदम स्वस्थ्य थी।उन्नीस महीनों के बाद वो बिमार हो गयी और उस बिमारी में उनकी नजर, ज़ुबान और सुनने की शक्ती चली गयी| हेलन केलर के माता-पिता के सामने एक चुनौती आ खड़ी हुई कि ऐसा कौन शिक्षक होगा जो हेलन केलर को अच्छी शिक्षा दे पाए और हेलन केलर समझ पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि हेलन केलर सामान्य बच्चों से भिन्न थी। इसके बाद उन्हें आखिरकार एक शिक्षक मिल गया जिनका नाम था "एनि सुलिव्हान"। इन्होंने हेलन केलर को हर तरीके से शिक्षा दी, जिसमें उन्होंने मेन्युअल अल्फाबेट और ब्रेल लिपी आदि पद्धतियों से शिक्षा देने की कोशिश की। जैसे-तैसे संघर्षो का दौर बीतता गया और एक तरह से हेलन केलर ने राइट हमसन स्कूल फाॅर डीप से प्रारंभिक शिक्षा पूरी की।प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद अब हेलन केलर अपने आपको अकेला समझने लगी, क्योंकि उनकी जिज्ञासा थी कि वो भी सभी की तरह पढ़ाई करें। इसके लिए आगे 1902 में स्नातक की पढ़ाई करने के लिए हेलन केलर ने रेडक्लिफ काॅलेज में दाखिला लिया। वहां हेलन केलर सामान्य छात्रों के साथ पढ़ने लगी। यहां पढ़ते-पढ़ते हेलन केलर को लिखने का शौक जगा और वो लिखने लगी। हेलन केलर ने उस दौर में एक ऐसी पुस्तक लिखी जिन्होंने उनको बहुत बड़ी उपलब्धि दिलाई और उस पुस्तक का नाम है ‘‘द स्टोरी आफ़ माय लाइफ‘‘। अपने जीवन में संघर्षो के ऐसे दौर को पार करके हेलन केलर ने समझ लिया था कि जीवन में यदि संघर्ष किया जाए, तो कोई काम ऐसा नहीं है जिसे हम ना कर सकते हो। यही सोच लेकर हेलन केलर ने समाज के हित के लिए कदम बढ़ाया और वो अपने जैसे लोगों को जागरूक करने निकल पड़ी।
सन्दर्भ
[संपादित करें]विकिसूक्ति पर हेलेन केलर से सम्बन्धित उद्धरण हैं। |
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- जॉन ए. मैसी और ऐने सुलिवान के साथ एलेन केलर (1903) The Story of My Life. न्यूयॉर्क: डबलडे, पेज & कम्पनी।
- लैश, जोसेफ पी. (1980) Helen and Teacher: The Story of Helen Keller and Anne Sullivan Macy . न्यूयॉर्क: डेलाकोर्टे प्रेस, ISBN 978-0-440-03654-8
- हर्मन, डोरोथी (1998) Helen Keller: A Life. न्यूयॉर्क: क्नॉफ़. ISBN 978-0-679-44354-4
- "Keller, Helen Adams| World Encyclopedia. Philip's, 2008.| Oxford Reference Online.| Oxford University Press. | University of Edinburgh| February 10, 2012".