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चामुण्डा देवी[संपादित करें]

मथुरा जिले का प्रसिद्ध मन्दिर।चामुण्डा देवी को सच्ची माता, चामुण्डी अथवा चामुण्डेश्वरी के नाम से जाना जाता है। यह एक देवी का डरावना रूप माना जाता है। चामुण्डा देवी, दुर्गा माता के सैनिको कि मुख्य योगिनीओ मे से एक है। उनका नाम चन्दा और मुंडा, उन दो राक्षसों के नाम से बनाया गया है जिनको उन्होनें मारा था। [1] रामाकृष्णा गोपाल भडांरकर कहते है कि चामुण्डा देवी को पहले विध्यं पर्वत पर रहने वाले मुण्डा लोग पूजा करते थे। चामुण्डा देवी मुण्डामाला पहनती थी और उनके चार,आठ,दस या बारह बाहें थे जिससे वें दामारु, त्रिशूल, तलवार, एक साँप,खतवंगा, वज्र,पानपत्र पकडती थी। उन्हें हड्डियों, खोपडी,साँप आदि जैसे गहनों से सजाया जाता था। उनके साथ पिशाच और भूत हमेशा रेहते थे। उनका वाहन एक उल्लू था और उनकी छवि में उनहें उल्लू पर बैठा हुआ दर्शाया गया हैं। उन्हें चंदा और मुण्डा जैसे राक्षसों को मारने का कार्य दिया गया था जिसे उन्होनें सफलतपूर्वक खत्म करने पर उन्हें चामुण्डा देवी का नाम दिया गया था। [2] देवी महात्मा, चमुण्डा देवी को काली के साथ पहचानती है। कांगडा जिला में चमुण्डा देवी का प्रसिध्द मंदिर है। इसके अलावा, गुजरात में छोटिला और पनुरा पर्वत पर चामुण्डा देवी का मंदिर है। भुवनेश्वर में भी वतिलाल दिओला पर चामुण्डा का मंदिर है। दुसरा मंदिर चामुण्डेश्वरी मंदिर है जो चामुण्डी पर्वत, मैसूर में हैं। यहा पर चामुण्डा देवी को दुर्गा माता के सहयोगी माना जाता हैं, जिसने भैंस राक्षस को मारा था। चामुण्डा माताजी मंदिर,मेहरानगर किला, जोधपुर को १४६० में चामुण्डा देवी की प्रतिमा की पूजा के लिए कायम किया गया था। चामुण्डा देवी को आज भी जोधपुर की राजसी परिवार मानते हैं और उनकी पूजा करते है। इस मंदिर में दशहरा के समय उत्सव मनाया जाता है।

चामुण्डी पहाड[संपादित करें]

चामुंडी पहाड़ी मैसूर, जो कर्नाटक राज्य, भारत में एक प्रमुख शहर है से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। चामुंडी हिल्स भारत में बल्कि विदेशों में भी न केवल प्रसिद्ध है। पहाड़ी प्रसिद्ध श्री चामुंडेश्वरी मंदिर के ऊपर। 'चामुंडी' या 'दुर्गा' 'शक्ति' का भयंकर रूप है। वह राक्षसों के कातिलों है, 'चंदा' और 'मुंडा' और भी 'महिषासुर', भैस अध्यक्षता में राक्षस।वह मैसूर महाराजाओं के संरक्षक देवता और मैसूर के इष्टदेव है। कई सदियों के लिए वे देवी, चामुंडेश्वरी आयोजित किया है, बड़ी श्रद्धा में।'स्कंद पुराण' और अन्य प्राचीन ग्रंथों 'Trimuta क्षेत्र' आठ पहाड़ियों से घिरा हुआ नामक एक पवित्र स्थान का उल्लेख है। पश्चिमी ओर झूठ बोल चामुंडी हिल्स, आठ पहाड़ियों के बीच से एक है। पहले के दिनों में, हिल भगवान शिव के सम्मान में जो 'महाबलेश्वर मंदिर' में रहता में 'Mahabaladri' के रूप में पहचान की थी। इस पहाड़ियों पर सबसे पुराना मंदिर है।

चामुण्डी पहाड

गुप्त नवरात्र (Gupt navratri)[संपादित करें]

हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2017) कहा जाता है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि का महत्त्व[संपादित करें]

देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. http://chamundeshwaritemple.kar.nic.in/about.html
  2. http://bangaloremirror.indiatimes.com/entertainment/lounge/Myth-about-Chamundeshwari/articleshow/21293190.cms