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मुलेरा पोवाय्या गणेश
व्यक्तिगत जानकारी
राष्ट्रीयता भारतीय
जन्म ८ जुलाई १९४६
कोडागु, कर्नाटक
खेल
देश भारत
खेल हॉकी

मुलेरा पोवाय्या गणेश (जन्म ८ जुलाई १९४६) एक पूर्व भारतीय पेशेवर क्षेत्र के हॉकीप्लेयर है। वह भारतीय टीम के कप्तान और कोच भी थे। उन्हें १९७३ में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। एम पी गणेश एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारतीय खेलों में अपने लिए एक प्रभावशाली करियर बनाया है। उन्होंने भारतीय हॉकी टीम में एक खिलाड़ी के रूप में शुरुआत की लेकिन उन्होंने एक विशिष्ट खेल प्रशासक और कोच के रूप में भी एक निशान बनाया है। वास्तव में, इस पूर्व हॉकी कप्तान और कोच ने कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के सीईओ के रूप में भी कार्य किया, इस प्रकार उन्होंने अपने नेटवर्किंग कौशल और बहुमुखी प्रतिभा को साबित किया।

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

गणेश का जन्म कर्नाटक के कोडागु (जिसे पहले कूर्ग के नाम से जाना जाता था)में, 8 जुलाई १९४६ को हुआ था। उन्होंने फुटबॉल के साथ अपने खेल करियर की शुरुआत की और १९६० से १९६४ तक कूर्ग जिले के लिए खेला। उनका भारतीय सेना में चयन हुआ था पर उन्होने हॉकी को चुना और १९६६ से १९७३ तक हॉकी टूर्नामेंट में खेला। उन्होने अंग्रेजी में एमए पूरा किया,राष्ट्रीय संस्थान से स्पोर्ट्स कोचिंग में डिप्लोमा प्राप्त कीया और पटियाला से शारीरिक शिक्षा मे पीएचडी प्राप्त की।

व्यवसाय[संपादित करें]

गणेश १९६५ से १९७३ तक राष्ट्रीय हॉकी चैंपियनशिप के प्रतिनिधि बने और १९७४ राष्ट्रीय चैंपियनशिप में बॉम्बे के लिए खेले। १९७० में उन्को भारतीय टीम में एक जगह मिली। गणेश ने म्यूनिख में १९७२ के ओलंपिक खेलों में भारत के लिए खेला, और तीसरा स्थान प्राप्त कीया। वह भारतीय टीम के कोचों में से एक थे जिन्होंने मॉस्को में १९८० के ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वह दो बार एशियाई खेलों में भारत के प्रतिनिधि बने, पहले १९७० में बैंकाक में और फिर १९७४ में तेहरान में। दोनों बार रजत पदक के साथ वह भारत लौटे। वह भारतीय टीम में थे जिन्होंने १९७१ में बार्सिलोना में पहला विश्व कप में कांस्य पदक जीता था और एम्स्टर्डेम में अगले विश्व कप में रजत जीता था। घुटने की चोट के कारन उन्होने भारत के लिये आखरी बार १९७४ में खेला। वह भारतीय टीम के आधिकारिक कोच थे जिन्होंने १९८८ के ओलंपिक खेलों में सियोल, १९८९ में बर्लिन में चैंपियंस ट्रॉफी, १९९० मेऺ लखनऊ में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट और कराची में १९९० के विश्व कप में भाग लिया था। वह कुआलालंपुर में १९९८ के राष्ट्रमंडल खेलों और बैंकाक में १९९८ के एशियाई खेलों के लिए भारतीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष, कोचिंग कमेटी के अध्यक्ष थे। उसके बाद उन्होने विभिन्न खेल संगठनों के लिए एक प्रशासक की भूमिका निभायी।

उपलब्धियाँ[संपादित करें]

एम पी गणेश १९७० और १९७४ के दौरान बैंकाक और तेहरान एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली और भारत के लीये रजत जीतने वाली टीम का हिस्सा थे। वह भारतीय हॉकी के गौरव दिन थे जब गणेश की टीम १९७१ में बार्सिलोना में आयोजित पहले विश्वकप में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने १९७२ के म्यूनिख ओलंपिक में भी खेला और एम्सटर्डम मे १९७३ विश्व कप के दौरान भारत का नेतृत्व किया। बारीकी से लड़े युद्ध हारने के बाद भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। एक बार उनका खेल खत्म हो जाने के बाद, उन्होने भारतीय हॉकी टीम को प्रशिक्षित करने के लिए सफलतापूर्वक स्विच किया। वह बर्लिन ओलंपिक, १९८९ बर्लिन चैंपियन ट्रॉफी और कराची में १९९० के विश्व कप के दौरान भारतीय हॉकी टीम के कोच थे।

पुरस्कार[संपादित करें]

अर्जुन पुरस्कार -१९७३। कर्नाटक के सिल्वर जुबली स्पोर्ट्स अवॉर्ड -१९८१।

=सन्दर्भ[संपादित करें]

[1] [2]

  1. https://timesofindia.indiatimes.com/sports/hockey/top-stories/olympian-mp-ganesh-to-head-national-hockey-academy-in-delhi/articleshow/58945959.cms
  2. https://www.karnataka.com/personalities/mp-ganesh/