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22 अप्रैल 2020
- 19:0219:02, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +2,158 सदस्य:Karan Gahlawat CRSU jind No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 17:5117:51, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास −468 सदस्य वार्ता:करन सिंह No edit summary वर्तमान टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 17:5017:50, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +3,385 सदस्य वार्ता:करन सिंह No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 17:4817:48, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +405 न सदस्य:करन सिंह नया पृष्ठ: KARAN SINGH GAHLAWAT VILLAGE . BHAIRON KHERA B.A GOHANA GOVT.PG  COLLEGE M.A HISTORY CRSU JIND B.ED SHEETLA COLLEGE LAKHAN MAZRA ROHTAK PGDCA GOVT.PG... टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 17:3117:31, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +1,199 सदस्य वार्ता:Karan Gahlawat CRSU jind No edit summary टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 17:3017:30, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +1,614 सदस्य वार्ता:Karan Gahlawat CRSU jind →हड़प्पा सभ्यतीक गांव: नया अनुभाग टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 17:2717:27, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +1,361 सदस्य:Karan Gahlawat CRSU jind भैंरों खेड़ा गांव एक हड़प्पा सभ्यतीक गांव है। यहां पुरानी मोहन जादड़ो हड़प्पा से संबंधित है। यह गांव जब ढ़िगाना से अलग हो कर के बना और यह नन्दगढ़ पंचायत के आदेश पर कार्य होता था इस से अलग हो कर जो पहला सरपंच बना वो 1.प्रभु 2.बदलू 3.दयान्द 4.वेद सिंह उर्फ बेदू 5.हरि सिंह 6.कृष्णा देवी गोर्धन.. पहली महिला सरपंच व उप-सरपंच प्रकाश 7. गोर्धन 8.बलवान 9.रनधीर धानक 10. सुमन रवीन्द्र 11.रवीन्द्र अब तक गांव में एक भव्य मंदिर है। गांव निजायपूर कि सिम लगती है। जीन्द गोहाना रोड ़़ ललित खेड़ा से दक्षिण कि... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 11:2911:29, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +1,568 लंगोट →इन्हें भी देखें टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 10:5710:57, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +932 लंगोट हरीयाना में कबुली झाड़ीया १९९५ के दशक में बाड़ के समय आई और अचानक इतनी ज्यादा फैल गई जिस प्रकार जम्मु कश्मीर में कबुली लोग व सेना आगई किसी व्यक्ति ने कहा दिया कि जिस प्रकार काबुली लोगों कि संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी इसी प्रकार यहां भी पहाड़ी किकर (किकर हरीयाना में झाड़ीयों को कहते हैं।) संख्या बढ़ती जा रही थी इस लिए इन्हें कबुली किकर बोलने लगे.... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 10:4510:45, 22 अप्रैल 2020 अन्तर इतिहास +929 न सदस्य:Karan Gahlawat CRSU jind हरीयाना में कबुली झाड़ीया १९९५ के दशक में बाड़ के समय आई और अचानक इतनी ज्यादा फैल गई जिस प्रकार जम्मु कश्मीर में कबुली लोग व सेना आगई किसी व्यक्ति ने कहा दिया कि जिस प्रकार काबुली लोगों कि संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी इसी प्रकार यहां भी पहाड़ी किकर (किकर हरीयाना में झाड़ीयों को कहते हैं।) संख्या बढ़ती जा रही थी इस लिए इन्हें कबुली किकर बोलने लगे.... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन