ईरान: अवतरण इतिहास

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18 अप्रैल 2024

14 अप्रैल 2024

27 मार्च 2024

11 मार्च 2024

26 सितंबर 2023

12 जुलाई 2023

30 जून 2023

8 जून 2023

31 मई 2023

9 अप्रैल 2023

31 मार्च 2023

1 जनवरी 2023

30 नवम्बर 2022

3 सितंबर 2022

30 जून 2022

1 जून 2022

31 मई 2022

  • सद्यपिछला 13:5113:51, 31 मई 20222409:4064:68d:82f4:3838:b2ff:fe16:334b वार्ता 71,818 बाइट्स +2 →‎नाम: पाराग्राफ पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 13:4813:48, 31 मई 20222409:4064:68d:82f4:3838:b2ff:fe16:334b वार्ता 71,816 बाइट्स +1,088 उस काल में पर्शिया का साम्राज्य चार खण्डों में विभक्त था, जिनके नाम सुग्द, मरू, वरवधी और निशा था। बाद में हरयू( हिरात) और वक्रित( काबुल) भी इसी राज्य में मिला लिए गए थे। उस समय यहाँ प्रियव्रत शाखा के स्वारोचिष मनु के वंशज राज्य कर रहे थे। यहाँ के महाराज जानन्तपति अत्यराति चक्रवर्ती कहे जाते थे वे आसमुद्र क्षितीश थे। भारतवर्ष की सीमा के अंतिम प्रदेश और पर्शिया का पूर्वी प्रान्त सत्यगिदी सत्यलोक के नाम से प्रसिद्ध था। पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 13:2813:28, 31 मई 20222409:4064:68d:82f4:3838:b2ff:fe16:334b वार्ता 70,728 बाइट्स +641 →‎नाम: ईसा से लगभग चार हजार वर्ष पूर्व मूल पुरुष स्वायंभुव मनु उत्पन्न हुए। मनुपुत्र प्रियव्रत के प्रपौत्र नाभि के नाम पर पर्शिया का प्राचीन नाम नाभी था। भूमि बँटवारा के बाद अगिनन्ध्र के बड़े पुत्र नाभि को हिमवर्ष- हिमालय से अरब समुद्र तक का देश मिला। पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 13:0513:05, 31 मई 20222409:4064:68d:82f4:3838:b2ff:fe16:334b वार्ता 70,087 बाइट्स +852 →‎नाम: ऋषि वशिष्ठ ने अपनी यज्ञ विधि से संपूर्ण अरब प्रदेश को व्याप्त कर रखा था। प्रसिद्ध है कि अरब के साबा आदि धर्मक्षेत्रों की यज्ञ होम की सुगन्धित वायु मिस्र देश तक पहुँचती थी। इसीलिए एलेग्जेंडर ने बेबिलोनिया में अपनी राजधानी स्थापित करनी चाही थी, मिल्टन ने अपने काव्य में अरब की सुंगधित वायु से सागरों के महकने का उल्लेख किया है। पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 12:4512:45, 31 मई 20222409:4064:68d:82f4:3838:b2ff:fe16:334b वार्ता 69,235 बाइट्स +691 →‎नाम: सीरिया और अरब निवासी प्राचीन काल में सूर्य के उपासक थे। पर्शिया के डेजर्ट के निवासी प्राचीन काल में आदित्य कहाते थे। 'आद' अरबी भाषा में सूरज को ही कहते हैं। अरब या यारा भी अरबी भाषा में सूर्य के ही नाम है। अदन का प्राचीन नाम आदित्यपुर था और यह सूर्य की एक राजधानी थी। पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 11:1911:19, 31 मई 20222409:4064:68d:82f4:3838:b2ff:fe16:334b वार्ता 68,544 बाइट्स +2,101 →‎इतिहास: नव-पाषाण युग के बाद कृषि का आविष्कार हुआ। कृषि ही सम्यता की माता है। आर्य ही संसार में सबसे प्रथम कृषक थे। कृषि के उपयुक्त स्थान की खोज में पंजाब की भूमि में आए और इसी का नाम सप्त-सिन्धु रखा, परन्तु उनकी सम्यता का केन्द्र सरस्वती नदी तट पर था। सरस्वती तट पर ही आर्यो ने ताम्रयुग की स्थापना की थी। वे अपने पत्थर के हथियार को छोड़कर ताम्बे के हथियारों को काम में लेने लगे। मेसोपोटामिया तथा इलाम में यही सभ्यता प्रोटोइलामाइट सभ्यता कहाती है। सुमेरू जाति प्रोटोइलामाइट जाति के बाद मेसैपोटा... पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 10:4710:47, 31 मई 20222409:4064:68d:82f4:3838:b2ff:fe16:334b वार्ता 66,443 बाइट्स +1 →‎इतिहास: पाराग्राफ पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

29 मई 2022

  • सद्यपिछला 11:1811:18, 29 मई 20222409:4064:68d:82f4:38ca:3eff:fe12:6af4 वार्ता 66,442 बाइट्स +1,365 →‎इतिहास: भारत के उत्तरापथ में आर्यावर्त था जिसमें दो राज्य थे सूर्य मंडल और चंद्र मंडल। ये दोनों आर्य राज्य समुह थे। सूर्य मंडल में मानव कुल और चंद्र मंडल में एल कुल का राज्य था। सूर्य कुल ने आर्य जाति का निर्माण किया उसी प्रकार वरुण ने सुमेर जाती को जन्म दिया। सुमेर जाती इराक के सबसे प्राचीन शासक थी। प्रोटोइलामाइट सभ्यता से ही सुमेरू सभ्यता का जन्म हुआ है। जल प्रलय के पहले चाक्षुष मनु के वंशज का यहां राज्य था। मनु पुत्र चक्रवर्ती महाराज अत्यराति जानन्तपति यहां के राजा थे। चाक्षुष मनु का व... पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 10:5810:58, 29 मई 2022रोहित साव27 वार्ता योगदान 65,077 बाइट्स −15,175 2409:4064:68d:82f4:c88f:2fff:fe0b:73ce के सम्पादनों को हटाया (2409:4064:2c1f:3adb:bfd4:ca31:1fb1:a978 के पिछले संस्करण को पुनः स्थापित किया।) पूर्ववत करें टैग: Manual revert
  • सद्यपिछला 05:5905:59, 29 मई 20222409:4064:68d:82f4:38ca:3eff:fe12:6af4 वार्ता 80,252 बाइट्स +9,860 →‎इतिहास: चाक्षुष मनु के पांच पुत्र थे जिनका नाम अत्यराति जानन्तपति, अभिमन्यु, उर, पुर और तपोरत थे। चौथे पुत्र 'पुर' के राजधानी का नाम पुरसिया था। इन्हीं के नाम पर ईरान का प्राचीन नाम पर्शिया था। ईसा से लगभग चार हजार वर्ष पूर्व भारतवर्ष के मूल पुरुष स्वायंभुव मनु का जन्म हुआ था। इनके दोनों पुत्रों का नाम प्रियव्रत तथा उतानपाद थे। प्रियव्रत ने अपने दशों पुत्रों को पृथ्वी बांट दी। बड़े पुत्र अग्निन्घर् को उन्होंने जम्बूद्वीप(एशिया) दिया। इस उसने अपने नौ पुत्रों में बांट दिया। बड़े पुत्र नाभि... पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

28 मई 2022

  • सद्यपिछला 13:4313:43, 28 मई 20222409:4064:68d:82f4:c88f:2fff:fe0b:73ce वार्ता 70,392 बाइट्स +5,315 →‎नाम: प्राचीन काल में अरब देश को 'नाभि' कहते थे। उन दिनों इस भूमि पर वशिष्ठों (वशिष्ठ ऋषि) का खानदान रहता था तथा उन्हीं के वंश का यहाँ प्रभुत्व था। 'अदन' नगर उन दिनों वशिष्ठों का प्रमुख नगर था, जिसका प्राचीन नाम 'आदित्य नगर' था। संस्कृत में 'आदित्य' सूर्य को कहते हैं और अरबी भाषा में 'आद' सूर्य को कहते हैं। यारब, एदम, आद- ये सब सूर्य के पर्यायवाची शब्द है। लाल सागर का नाम सूर्य देव के नाम पर था। सिरियन, अरबी सूर्य के उपासक थे। अदन में उन्होंने आदित्य का एक मन्दिर बनवाया था जो सोने चाँदी की... पूर्ववत करें टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

23 मई 2022

21 मार्च 2022

7 अगस्त 2021

20 मई 2021

17 मई 2021

16 मई 2021

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"https://hi.wikipedia.org/wiki/ईरान" से प्राप्त