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[[चित्र:Animal mitochondrion diagram hi.svg|right|120px|आक्सी श्वसन का क्रिया स्थल माइटोकान्ड्रिया]]<div style="font-size:95%;border:none;margin: 0;padding:.1em;color:#000">सजीव [[कोशिका|कोशिकाओं]] में भोजन के [[आक्सीकरण]] के फलस्वरूप [[ऊर्जा]] उत्पन्न होने की क्रिया को [[कोशिकीय श्वसन]] कहते हैं। यह एक [[केटाबोलिक क्रिया]] है, जो [[आक्सीजन]] की उपस्थिति या अनुपस्थिति दोनों ही अवस्थाओं में सम्पन्न हो सकती है। इस क्रिया के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा को [[एटीपी]] नामक [[जैव अणु]] में संग्रहित करके रख लिया जाता है, जिसका उपयोग सजीव अपनी विभिन्न जैविक क्रियाओं में करते हैं। यह [[जैव-रासायनिक क्रिया]] [[पौधा|पौधों]] एवं [[जन्तु|जन्तुओं]] दोनों की ही कोशिकाओं में दिन-रात हर समय होती रहती है। कोशिकाएँ भोज्य पदार्थ के रूप में [[ग्लूकोज]], [[अमीनो अम्ल]] तथा [[वसीय अम्ल]] का प्रयोग करती हैं जिनको आक्सीकृत करने के लिए आक्सीजन का परमाणु [[इलेक्ट्रान]] ग्रहण करने का कार्य करता है। कोशिकीय श्वसन एवं श्वास क्रिया में अभिन्न सम्बंध है एवं ये दोनों क्रियाएँ एक-दूसरे की पूरक हैं।[[दक्षिण अमेरिका| '''विस्तार से पढ़ें'''...]]
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17:32, 4 जनवरी 2010 का अवतरण

आक्सी श्वसन का क्रिया स्थल माइटोकान्ड्रिया
आक्सी श्वसन का क्रिया स्थल माइटोकान्ड्रिया
सजीव कोशिकाओं में भोजन के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होने की क्रिया को कोशिकीय श्वसन कहते हैं। यह एक केटाबोलिक क्रिया है, जो आक्सीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति दोनों ही अवस्थाओं में सम्पन्न हो सकती है। इस क्रिया के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा को एटीपी नामक जैव अणु में संग्रहित करके रख लिया जाता है, जिसका उपयोग सजीव अपनी विभिन्न जैविक क्रियाओं में करते हैं। यह जैव-रासायनिक क्रिया पौधों एवं जन्तुओं दोनों की ही कोशिकाओं में दिन-रात हर समय होती रहती है। कोशिकाएँ भोज्य पदार्थ के रूप में ग्लूकोज, अमीनो अम्ल तथा वसीय अम्ल का प्रयोग करती हैं जिनको आक्सीकृत करने के लिए आक्सीजन का परमाणु इलेक्ट्रान ग्रहण करने का कार्य करता है। कोशिकीय श्वसन एवं श्वास क्रिया में अभिन्न सम्बंध है एवं ये दोनों क्रियाएँ एक-दूसरे की पूरक हैं। विस्तार से पढ़ें...