"खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Planck_satellite_cmb.jpg|thumb|ब्रह्माण्ड में हर तरफ़ फैला हुआ हल्का [[सूक्ष्मतरंग|सूक्ष्मतरंगी]] [[विकिरण]] [[महाविस्फोट सिद्धान्त|बिग बैंग]] के धमाके का सबूत माना जाता है]] |
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[[खगोल शास्त्र|खगोलशास्त्र]] में '''खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण''' (ख॰पा॰सू॰वि॰, [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: cosmic microwave background radiation, कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडियेशन) उस [[विकिरण]] (रेडियेशन) को बोलते हैं जो [[पृथ्वी]] से देखे जा सकने वाले [[ब्रह्माण्ड]] में बराबर स्तर से हर और फैली हुई है। आम [[प्रकाश]] देखने वाली दूरबीन से आकाश में कुछ जगह वस्तुएँ (जैसे ग्रह, [[मन्दाकिनी|गैलेक्सियाँ]], वग़ैराह) दिखाई देती हैं और अन्य जगहों पर अँधेरा। लेकिन [[सूक्ष्मतरंग]] (माइक्रोवेव) माप सकने वाले रेडिओ दूरबीन (रेडीओ टेलिस्कोप) से देखा जाए तो हर दिशा में एक हलकी सूक्ष्म्तरंगी लालिमा फैली हुई है। |
[[खगोल शास्त्र|खगोलशास्त्र]] में '''खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण''' (ख॰पा॰सू॰वि॰, [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: cosmic microwave background radiation, कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडियेशन) उस [[विकिरण]] (रेडियेशन) को बोलते हैं जो [[पृथ्वी]] से देखे जा सकने वाले [[ब्रह्माण्ड]] में बराबर स्तर से हर और फैली हुई है। आम [[प्रकाश]] देखने वाली दूरबीन से आकाश में कुछ जगह वस्तुएँ (जैसे ग्रह, [[मन्दाकिनी|गैलेक्सियाँ]], वग़ैराह) दिखाई देती हैं और अन्य जगहों पर अँधेरा। लेकिन [[सूक्ष्मतरंग]] (माइक्रोवेव) माप सकने वाले रेडिओ दूरबीन (रेडीओ टेलिस्कोप) से देखा जाए तो हर दिशा में एक हलकी सूक्ष्म्तरंगी लालिमा फैली हुई है। |
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वैज्ञानिक मानते हैं के यह ख॰पा॰सू॰वि॰ [[महाविस्फोट सिद्धान्त|बिग बैंग सिद्धांत]] का सबूत देता है। [[भारतीय संख्या प्रणाली|अरबों]] साल पहले, जब ब्रह्माण्ड पैदा हुआ था उसके फ़ौरन बाद उसका अकार आज के मुक़ाबले में बहुत छोटा था और उसमें खौलती हुई [[हाइड्रोजन]] की [[प्लाज़्मा (बहुविकल्पी)|प्लाज़्मा]] गैस फैली हुई थी। उस गैस की उर्जा से जो [[फोटॉन|फ़ोटोन]] (प्रकाश या सूक्ष्मतरंग के कण) पैदा हुए थे वे तब से ब्रह्माण्ड में इधर-उधर घूम रहे हैं और वही हम आज ख॰पा॰सू॰वि॰ के रूप में देखते हैं। |
वैज्ञानिक मानते हैं के यह ख॰पा॰सू॰वि॰ [[महाविस्फोट सिद्धान्त|बिग बैंग सिद्धांत]] का सबूत देता है। [[भारतीय संख्या प्रणाली|अरबों]] साल पहले, जब ब्रह्माण्ड पैदा हुआ था उसके फ़ौरन बाद उसका अकार आज के मुक़ाबले में बहुत छोटा था और उसमें खौलती हुई [[हाइड्रोजन]] की [[प्लाज़्मा (बहुविकल्पी)|प्लाज़्मा]] गैस फैली हुई थी। उस गैस की उर्जा से जो [[फोटॉन|फ़ोटोन]] (प्रकाश या सूक्ष्मतरंग के कण) पैदा हुए थे वे तब से ब्रह्माण्ड में इधर-उधर घूम रहे हैं और वही हम आज ख॰पा॰सू॰वि॰ के रूप में देखते हैं। |
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[[File:Planck_satellite_cmb.jpg|600px|center|thumb|कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडियेशन]] |
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== इन्हें भी देखें == |
== इन्हें भी देखें == |
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* [[महाविस्फोट सिद्धान्त|बिग बैंग सिद्धांत]] |
* [[महाविस्फोट सिद्धान्त|बिग बैंग सिद्धांत]] |
18:32, 26 सितंबर 2021 का अवतरण
खगोलशास्त्र में खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण (ख॰पा॰सू॰वि॰, अंग्रेज़ी: cosmic microwave background radiation, कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडियेशन) उस विकिरण (रेडियेशन) को बोलते हैं जो पृथ्वी से देखे जा सकने वाले ब्रह्माण्ड में बराबर स्तर से हर और फैली हुई है। आम प्रकाश देखने वाली दूरबीन से आकाश में कुछ जगह वस्तुएँ (जैसे ग्रह, गैलेक्सियाँ, वग़ैराह) दिखाई देती हैं और अन्य जगहों पर अँधेरा। लेकिन सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव) माप सकने वाले रेडिओ दूरबीन (रेडीओ टेलिस्कोप) से देखा जाए तो हर दिशा में एक हलकी सूक्ष्म्तरंगी लालिमा फैली हुई है।
वैज्ञानिक मानते हैं के यह ख॰पा॰सू॰वि॰ बिग बैंग सिद्धांत का सबूत देता है। अरबों साल पहले, जब ब्रह्माण्ड पैदा हुआ था उसके फ़ौरन बाद उसका अकार आज के मुक़ाबले में बहुत छोटा था और उसमें खौलती हुई हाइड्रोजन की प्लाज़्मा गैस फैली हुई थी। उस गैस की उर्जा से जो फ़ोटोन (प्रकाश या सूक्ष्मतरंग के कण) पैदा हुए थे वे तब से ब्रह्माण्ड में इधर-उधर घूम रहे हैं और वही हम आज ख॰पा॰सू॰वि॰ के रूप में देखते हैं।