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'''अष्टछाप''', महाप्रभु श्री [[वल्लभाचार्य]] जी एवं उनके पुत्र श्री [[विट्ठलनाथ]] जी द्वारा संस्थापित ८ भक्तिकालीन कवियों का एक समूह था, जिन्होंने अपने विभिन्न पद एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया।<ref>हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास, [[बच्चन सिंह|डॉ॰ बच्चन सिंह]], राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, २00२, पृष्ठ- १२८, ISBN: 81-7119-785-X</ref> अष्टछाप की स्थापना १५६५ ई० में हुई थी।<ref>हिन्दी साहि्त्य का इतिहास, सम्पादक [[डॉ॰ नगेन्द्र|डॉ॰ नगेन्द्र]], नेशनल पब्लिशंग हाउस, नई दिल्ली, द्वितीय संस्करण १९७६ ई०, पृष्ठ २१७</ref>
'''अष्टछाप''', महाप्रभु श्री [[वल्लभाचार्य]] जी एवं उनके पुत्र श्री [[विट्ठलनाथ]] जी द्वारा संस्थापित ८ भक्तिकालीन कवियों का एक समूह था, जिन्होंने अपने विभिन्न पद एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया।<ref>हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास, [[बच्चन सिंह|डॉ॰ बच्चन सिंह]], राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, २00२, पृष्ठअष्टछाप की स्थापना १५६५ ई० में हुई थी।<ref>हिन्दी साहि्त्य का इतिहास, सम्पादक [[डॉ॰ नगेन्द्र|डॉ॰ नगेन्द्र]], नेशनल पब्लिशंग हाउस, नई दिल्ली, द्वितीय संस्क, पृष्ठ


== अष्टछाप कवि ==
== अष्टछाप कवि ==

10:40, 26 फ़रवरी 2017 का अवतरण

अष्टछाप, महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित ८ भक्तिकालीन कवियों का एक समूह था, जिन्होंने अपने विभिन्न पद एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया।सन्दर्भ त्रुटि: <ref> टैग के लिए समाप्ति </ref> टैग नहीं मिला

सन्दर्भ