"रूपिम": अवतरणों में अंतर

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'''परिभाषा''' - विभिन्न भाषा वैज्ञानिकों ने रूपिम को भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएँ द्रष्टव्य हैं-
'''परिभाषा''' - विभिन्न भाषा वैज्ञानिकों ने रूपिम को भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएँ द्रष्टव्य हैं-


डॉ. उदयनारायण तिवारी ने रूपिम की परिभाषा इस प्रकार दी है, ''पदग्राम (रूपिम) वस्तुतः परिपूरक वितरण या मुक्त वितरण मे आये हुए सहपदों (संख्यों) का समूह है।''
डॉ. उदयनारायण तिवारी ने रूपिम की परिभाषा इस प्रकार दी है,
:''पदग्राम (रूपिम) वस्तुतः परिपूरक वितरण या मुक्त वितरण मे आये हुए सहपदों (संख्यों) का समूह है।''


डॉ. सरयूप्रसाद अग्रवाल के अनुसार, ''रूप भाषा की लघुतम अर्थपूर्ण इकाई होती है जिसमें एक अथवा अनेक ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है।''
डॉ. [[सरयूप्रसाद अग्रवाल]] के अनुसार,
:''रूप भाषा की लघुतम अर्थपूर्ण इकाई होती है जिसमें एक अथवा अनेक ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है।''


डॉ. भोलानाथ तिवारी के मतानुसार, ''भाषा या वाक्य की लघुतम सार्थक इकाई रूपग्राम है।''
डॉ. [[भोलानाथ तिवारी]] के मतानुसार,
:''भाषा या वाक्य की लघुतम सार्थक इकाई रूपग्राम है।''


डॉ. जगदेव सिंह ने लिखा है, ''रूप-अर्थ से संश्लिष्ट भाषा की लघुतम इकाई को रूपिम कहते हैं।''
डॉ. जगदेव सिंह ने लिखा है,
:''रूप-अर्थ से संश्लिष्ट भाषा की लघुतम इकाई को रूपिम कहते हैं।''


;पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रदत्त परिभाषाएँ
;पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रदत्त परिभाषाएँ


ब्लाक का रूपिम के विषय में विचार है- ''कोई भी भाषिक रूप, चाहे मुक्त अथवा आबद्ध हो और जिसे अल्पतम या न्यूनतम अर्थमुक्त (सार्थक) रूप में खण्डित न किया जा सके, रूपिम होता है।''
ब्लाक का रूपिम के विषय में विचार है-
:''कोई भी भाषिक रूप, चाहे मुक्त अथवा आबद्ध हो और जिसे अल्पतम या न्यूनतम अर्थमुक्त (सार्थक) रूप में खण्डित न किया जा सके, रूपिम होता है।''


ग्लीसन का विचार है- ''रूपिम न्यूनतम उपयुक्त व्याकरणिक अर्थवान रूप है।''
ग्लीसन का विचार है-
:''रूपिम न्यूनतम उपयुक्त व्याकरणिक अर्थवान रूप है।''


आर. एच. रोबिन्स ने व्याकरणिक संदर्भ में रूपिम को इस प्रकार परिभाषित किया है- ''न्यूनतम व्याकरणिक इकाईयों को रूपिम कहा जाता है।''
आर. एच. रोबिन्स ने व्याकरणिक संदर्भ में रूपिम को इस प्रकार परिभाषित किया है-
:''न्यूनतम व्याकरणिक इकाईयों को रूपिम कहा जाता है।''


'''स्वरूप'''- रूपिम के स्वरूप को उसकी अर्थ-भेदक संरचना के आधार पर निर्धारित कर सकते हैं। प्रत्येक भाषा में रूपिम व्यवस्था उसकी अर्थ-प्रवति के आधार पर होती है। इसलिए भिन्न-भिन्न भाषाओं के रूपिमों में भिन्नता होना स्वभाविक है।
'''स्वरूप'''- रूपिम के स्वरूप को उसकी अर्थ-भेदक संरचना के आधार पर निर्धारित कर सकते हैं। प्रत्येक भाषा में रूपिम व्यवस्था उसकी अर्थ-प्रवति के आधार पर होती है। इसलिए भिन्न-भिन्न भाषाओं के रूपिमों में भिन्नता होना स्वभाविक है।

10:31, 19 अगस्त 2016 का अवतरण


रूपिम (Morpheme) भाषा उच्चार की लघुत्तम अर्थवान इकाई है। रूपिम स्वनिमों का ऐसा न्यूनतम अनुक्रम है जो व्याकरणिक दृष्टि से सार्थक होता है। स्वनिम के बाद रूपिम भाषा का महत्वपूर्ण तत्व व अंग है। रूपिम को 'रूपग्राम' और 'पदग्राम' भी कहते हैं। जिस प्रकार स्वन-प्रक्रिया की आधारभूत इकाई स्वनिम है, उसी प्रकार रूप-प्रक्रिया की आधारभूत इकाई रूपिम है। रूपिम वाक्य-रचना और अर्थ-अभिव्यक्ति की सहायक इकाई है। स्वनिम भाषा की अर्थहीन इकाई है, किन्तु इसमें अर्थभेदक क्षमता होती है। रूपिम लघुतम अर्थवान इकाई है, किन्तु रूपिम को अर्थिम का पर्याय नहीं मान सकते हैं; यथा-परमेश्वर एक अर्थिम है, जबकि इसमें ‘परम’ और ‘ईश्वर’ दो रूपिम हैं।

परिभाषा - विभिन्न भाषा वैज्ञानिकों ने रूपिम को भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएँ द्रष्टव्य हैं-

डॉ. उदयनारायण तिवारी ने रूपिम की परिभाषा इस प्रकार दी है,

पदग्राम (रूपिम) वस्तुतः परिपूरक वितरण या मुक्त वितरण मे आये हुए सहपदों (संख्यों) का समूह है।

डॉ. सरयूप्रसाद अग्रवाल के अनुसार,

रूप भाषा की लघुतम अर्थपूर्ण इकाई होती है जिसमें एक अथवा अनेक ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है।

डॉ. भोलानाथ तिवारी के मतानुसार,

भाषा या वाक्य की लघुतम सार्थक इकाई रूपग्राम है।

डॉ. जगदेव सिंह ने लिखा है,

रूप-अर्थ से संश्लिष्ट भाषा की लघुतम इकाई को रूपिम कहते हैं।
पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रदत्त परिभाषाएँ

ब्लाक का रूपिम के विषय में विचार है-

कोई भी भाषिक रूप, चाहे मुक्त अथवा आबद्ध हो और जिसे अल्पतम या न्यूनतम अर्थमुक्त (सार्थक) रूप में खण्डित न किया जा सके, रूपिम होता है।

ग्लीसन का विचार है-

रूपिम न्यूनतम उपयुक्त व्याकरणिक अर्थवान रूप है।

आर. एच. रोबिन्स ने व्याकरणिक संदर्भ में रूपिम को इस प्रकार परिभाषित किया है-

न्यूनतम व्याकरणिक इकाईयों को रूपिम कहा जाता है।

स्वरूप- रूपिम के स्वरूप को उसकी अर्थ-भेदक संरचना के आधार पर निर्धारित कर सकते हैं। प्रत्येक भाषा में रूपिम व्यवस्था उसकी अर्थ-प्रवति के आधार पर होती है। इसलिए भिन्न-भिन्न भाषाओं के रूपिमों में भिन्नता होना स्वभाविक है।

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