"जैन ग्रंथ": अवतरणों में अंतर
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'''जैन ग्रंथ''' शब्द, [[जैन धर्म]] पर लिखे गए ग्रंथो के लिए प्रयोग किया जाता |
'''जैन ग्रंथ''' शब्द, [[जैन धर्म]] पर लिखे गए ग्रंथो के लिए प्रयोग किया जाता है। यह जैन मूल ग्रंथ की टीका आदि के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है। |
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समस्त ग्रंथ, चार भाग में विभाजित है- |
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:(१) प्रथमानुयोग् |
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:(२) करनानुयोग |
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:(३) चरणानुयोग |
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:(४) द्रव्यानुयोग |
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==प्रमुख ग्रन्थ== |
==प्रमुख ग्रन्थ== |
12:35, 8 नवम्बर 2015 का अवतरण
जैन ग्रंथ शब्द, जैन धर्म पर लिखे गए ग्रंथो के लिए प्रयोग किया जाता है। यह जैन मूल ग्रंथ की टीका आदि के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है।
प्रमुख ग्रन्थ
षट्खण्डागम, समयसार, प्रवचनसार, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, इष्टोपदेश, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, आदिपुराण, धवला टीका, महाधवला टीका, कसायपाहुड, जयधवला टीका, योगसार, पञ्चास्तिकायसार, बारसाणुवेक्खा, आप्तमीमांसा, अष्टशती टीका, अष्टसहस्री टीका, तत्त्वार्थराजवार्तिक टीका, तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक टीका, समाधितन्त्र,, भगवती आराधना, मूलाचार, गोम्मटसार, द्रव्यसंग्रह, भद्रबाहु संहिता
तत्त्वार्थ सूत्र
आचार्य उमास्वामी द्वारा रचित ग्रन्थ है। इसे "मोक्ष-शास्त्र" भी कहते हैं|