"उत्तरकाण्ड": अवतरणों में अंतर
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[[उत्तरकाण्ड]] [[रामायण]] का एक भाग ([[काण्ड]]) है । |
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[[उत्तरकाण्ड]] [[राम]] कथा का उपसंहार है। [[सीता]], [[लक्ष्मण]] और समस्त [[वानर सेना]] के साथ [[राम]] [[अयोध्या]] वापस पहुँचे। [[राम]] का भव्य स्वागत हुआ, [[भरत]] के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और [[शिव]] की स्तुति के साथ [[राम]] का [[राज्याभिषेक]] हुआ। वानरों की विदाई दी गई। [[राम]] ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हुये। [[रामराज्य]] एक आदर्श बन गया। |
[[उत्तरकाण्ड]] [[राम]] कथा का उपसंहार है। [[सीता]], [[लक्ष्मण]] और समस्त [[वानर सेना]] के साथ [[राम]] [[अयोध्या]] वापस पहुँचे। [[राम]] का भव्य स्वागत हुआ, [[भरत]] के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और [[शिव]] की स्तुति के साथ [[राम]] का [[राज्याभिषेक]] हुआ। वानरों की विदाई दी गई। [[राम]] ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हुये। [[रामराज्य]] एक आदर्श बन गया। |
07:43, 19 दिसम्बर 2008 का अवतरण
उत्तरकाण्ड वाल्मीकि रामायण का एक भाग (काण्ड) है ।
उत्तरकाण्ड राम कथा का उपसंहार है। सीता, लक्ष्मण और समस्त वानर सेना के साथ राम अयोध्या वापस पहुँचे। राम का भव्य स्वागत हुआ, भरत के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का राज्याभिषेक हुआ। वानरों की विदाई दी गई। राम ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हुये। रामराज्य एक आदर्श बन गया।