"सुलतानपुर जिला": अवतरणों में अंतर
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सुल्तानपुर ज़िला सुल्तानपुर ज़िला سلطان پور ضلع | |
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उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर ज़िले की अवस्थिति | |
राज्य |
उत्तर प्रदेश भारत |
प्रभाग | फैजाबाद |
मुख्यालय | सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 4,436 कि॰मी2 (1,713 वर्ग मील) |
जनसंख्या | 3,790,922 (2011) |
जनघनत्व | 855/किमी2 (2,210/मील2) |
साक्षरता | 71.14 |
लिंगानुपात | 978 |
तहसीलें | 7 |
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | सुल्तानपुर, अमेठी |
राजमार्ग | 56 |
आधिकारिक जालस्थल |
उत्तर प्रदेश भारत देश का सर्वाधिक जिलों वाला राज्य है, जिसमें कुल ७० जिले हैं। सुल्तानपुर इसी राज्य का एक जिला है। राजपूत यहाँ बहुत है पर ओ कम पढ़े लिखे होने के कारण अपराध जादा करते है अच्छा स्कूल कॉलेज ना होने के वजह से यहाँ के लोग वाराणसी या इल्ल्हाबाद में पढाई करने जाते है
संक्षिप्त परिचय
- जिले का मुख्यालय सुल्तानपुर है ।
- क्षेत्रफल : 2672.80 वर्ग कि.मी.
- जनसंख्या : 2058000 (२०११ जनगणना)
- भाषा : अवधी
- साक्षरता : ७१.१४%
- एस. टी. डी (STD) कोड : ०५३६२
- जिलाधिकारी : (सितम्बर २००६ में)
- अक्षांश :२५*५९`- २६°१५’ उत्तर
- देशांतर : ८१*३२`- ८२°०५′ पूर्व
- औसत वर्षा : १००५ - मि.मी.
- घूमने का समय : नवम्बर से फरवरी
इतिहास
सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश का एक ऐसा भाग है जहां अंग्रेजी शासन से पहले उदार नवाबों का राज था। पौराणिक मान्यतानुसार गोमती नदी के तट पर पुरुषोत्तम राम के पुत्र कुश द्वारा बसाया गया कुशभवनपुर नाम का नगर था। खिलजी वंश के सुल्तान ने भरों को पराजित करके इस नगर को सुल्तानपुर नाम से बसाया। यहां की भौगोलिक उपयुक्त्तता और स्थिति को देखते हुए अवध के नवाब सफदरजंग ने इसे अवध की राजधानी बनाने का प्रयास किया था, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। स्वत्रंता संग्राम के इतिहास में सुल्तानपुर का अहम स्थान रहा है। प्रथम स्वत्रनता संग्राम में ०९ जून १८५७ को सुल्तानपुर के तत्कालीन डिप्टी कामिश्नर की हत्या कर इसे स्वत्रंत करा लिया गया था। संग्राम को दबाने के लिए जब अंग्रेजी सेना ने कदम बढ़ाया तो चांदा के कोइरिपुर में अंग्रेजों से जमकर युद्ध हुआ था। चांदा गभाड़िया नाले के पुल अमहट और कादू नाले पर हुए ऐतिहासिक युद्ध उत्तरप्रदेश की फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश नामक किताब में दर्ज तो है लेकिन आज तक उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में कुछ भी नहीं किया गया। ना स्तंभ बने न शौर्य लेख के शिलापट, यहां की रियासतों में मेहंदी हसन, रजा दियरा जैसी रियासतों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
औद्योगिक क्षेत्र
१. जगदीशपुर सुल्तानपुर शहर से लगभग ६० किमी की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग सं. ५६ पर स्थित है. निहालगढ़ , लखनऊ - वाराणसी मार्ग पर निकटतम रेलवे स्टेशन] है। निहालगढ़ तहसील मुसाफिरखाना से लगभग २७ किमी की दूरी पर स्थित है. अब यह भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड BHEL एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यह एक प्रमुख उर्वरक उत्पादक क्षेत्र है। यह स्थान अपने तेल शोधक कारखाने के लिए भी प्रसिद्ध है।
२. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, कोरवा अमेठी : लखनऊ से १३० कि.मी कि दूरी पर स्तिथ यह रायबरेली - सुल्तान पुर रोड पर स्थित है
विभिन्न शहरों से दूरी
- लखनऊ: १४१ किलोमीटर
- वाराणसी: १८० किलोमीटर
- इलाहाबाद: ९६ किलोमीटर
प्रमुख स्थान
- सुंदर लाल मेमोरियल हॉल: सुंदर लाल मेमोरियल हॉल सुल्तानपुर जिले के क्रिस्ट चर्च के दक्षिणी दिशा की ओर स्थित है। इसका निर्माण महारानी विक्टोरिया की याद में उनकी पहली जयन्ती पर करवाया गया था। वर्तमान समय में इसे विक्टोरिया मंजिल के नाम से जाना जाता है। लेकिन अब इस जगह पर म्युनसिपल बोर्ड का कार्यालय है।
- विजेथा: सुल्तानपुर स्थित विजेथा भगवान हनुमान को समर्पित मंदिर है। माना जाता है कि इस जगह पर हनुमान ने कलनेमी दानव का वध किया था। लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए गए थे, तो रावण द्वारा भेजे गए कलनेमी दानव ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया था। उस समय हनुमान जी ने कलनेमी दानव का वध किया था।
- कोटव: यह एक धार्मिक स्थल है। कोटव को कोटव धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर में भगवान शिव की सफेद संगमरमर से बनी खूबसूरत प्रतिमा स्थित है। यहां मंदिर के समीप पर ही एक खूबसूरत सरोवर स्थित है। प्रत्येक वर्ष अक्टूबर और अप्रैल माह में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान काफी संख्या में भक्त इस सरोवर में स्नान करने के लिए आते हैं।
- धूपप: सुल्तानपुर जिले स्थित धूपप यहां के प्रमुख स्थलों में से है। माना जाता है कि यह वहीं स्थान है जहां भगवान श्री राम ने महर्षि वशिष्ठ के आदेशानुसार इस नदी में स्नान किया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि जो भी व्यक्ति दशहरे के दिन यहां स्नान करता है उसके सभी पाप गोमती नदी में धूल जाते हैं। यहां एक विशाल मंदिर भी है। काफी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा के लिए आते हैं।
- लोहरामऊ: यह जगह सुल्तानपुर शहर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोहरमऊ यहां के प्रमुख स्थलों में से है। इस जगह पर देवी दुर्गा का विशाल मंदिर स्थित है।
- कोइरीपुर: यहां पर श्री हनुमानजी, भगवान राम और सीता, भगवान शंकर के काफी मंदिर है। इन मंदिरों का निर्माण स्थानीय लोगों ने मिलकर करवाया था। पूर्णिमा पर बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में काफी संख्या में लोग सम्मिलित होते हैं।
नगर पंचायत कोइरीपुर या यूँ कहे की मंदिरों का नगर,इस नगर के चारो तरफ मंदिर और तालाब है,जो इस टाउन एरिया को विशेष की श्रेणी में लाते है | नगर के पूर्व दिशा में माँ जालपा का मंदिर और पश्चिम में बजरंगबली का मंदिर है,और उत्तर दिशा में श्री राम जानकी जी का मंदिर स्थित है| यहाँ पर हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्म के लोग बड़े ही "भाईचारे" से रहते है,और एक दुसरे के उत्सवो में हर्षोल्लास के साथ शामिल भी होते है| शिक्षा के लिए इस नगर में कई विद्यालय है| जिनमे सरस्वती शिशु मंदिर,सूर्य नारायण, शिवा शिक्षण संस्थान,राम जानकी कान्वेंट स्कूल आदि प्रमुख है| इस नगर पंचायत के अध्यक्ष मो. कासिम राईन है(७ जुलाई २०१२ )| इस नगर में क्रिकेट का बड़ा ही जुनून देखनो को मिलता है, इस नगर में क्रिकेट के संस्थापक मुन्नू शर्मा जी को माना जाता है| ९० के दशक में इस नगर से जे पी (जय प्रकाश -लेफ्ट हैण्ड बैट्समैन & बॉलर)जिनके नाम जिला स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता में ६ गेंदों पे ६ छक्के मारने का रिकॉर्ड रहा है, संतोष मिश्र उर्फ़ "खन्ना"(जो की हार्ड हिटर के नाम से जाने जाते थे),प्रमोद साहू(ऐसा कोई भी ग्राउंड नहीं जहा पे इन्होने छक्का न जड़ा हो),स्व. हेमंत मिश्र(ये कीपिंग के जादूगर थे) रामकृष्ण मिश्र(आल राउंडर), शेषमणि मिश्र(आल राउंडर),राम पूजन ओझा आदि| बीते १० सालो में नयी टीम ने भी काफी नाम कमाया है, जिसके ओपनर फ़ास्ट बॉलर विवेक पाण्डेय उर्फ़ पी एल (जो की इसी टीम के सीनियर खिलाडी पप्पू पाण्डेय के छोटे भाई है) जिनके नाम कई रिकॉर्ड है....और इनकी गेंद में जो धार है शायद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ही देखने को मिलती है,और इनके साथ ही गोली,रज्जू(सदाबहार कप्तान ),लालबहादुर(ऑल राउंडर)दद्दू((इन्हें स्लिप से रन चुराने का बड़ा ही शौक था..फिल्डर कितने भी हो रन स्लिप से ही बनेगा)) जैसे खिलाडियो ने खूब नाम कमाया है |
- सतथिन शरीफ: प्रत्येक वर्ष यहां दस दिन के उर्स का आयोजन किया जाता है। शाह अब्दुल लातिफ और उनके समकालीन बाबा मदारी शाह उस समय के प्रसिद्ध फकीर थे। यहां गोमती नदी के तट पर शाह अब्दुल लातिफ की समाधि स्थित है।
भूगोल
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