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'''अ''' [[देवनागरी]] लिपि का पहला [[वर्ण]] तथा [[संस्कृत]], [[हिंदी]], [[मराठी]], [[नेपाली]] आदि भाषाओं की वर्णमाला का पहला [[अक्षर]] एवं [[ध्वनि]] है। यह एक [[स्वर]] है। यह कंठ्य वर्ण है। । इसका उच्चारण स्थान कंठ है। इसकी ध्वनि को [[भाषाविज्ञान]] में [[श्वा]] कहा जाता है।
'''अ''' [[देवनागरी]] लिपि का पहला [[वर्ण]] तथा [[संस्कृत]], [[हिंदी]], [[मराठी]], [[नेपाली]] आदि भाषाओं की वर्णमाला का पहला [[अक्षर]] एवं [[ध्वनि]] है। यह एक [[स्वर]] है। यह कंठ्य वर्ण है। । इसका उच्चारण स्थान कंठ है। इसकी ध्वनि को [[भाषाविज्ञान]] में [[श्वा]] कहा जाता है।
== विशेष ==
== विशेष ==
अक्षरों में यह सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं । उपनिषदों में इसकी बडी महिमा लिखी है ।
अक्षरों में यह सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं । उपनिषदों में इसकी बडी महिमा लिखी है । तंत्रशास्त्र के अनुसार यह वर्णमाला का पहला अक्षर इसलिये है कि यह सृष्टि उत्पन्न करने के पहले सृष्टिवर्त की आकुल अवस्था को सूचित करता है ।

== साहित्यिक प्रयोग ==
== साहित्यिक प्रयोग ==
संस्कृत ग्रंथ श्रीमद्भग्वद्गीता में कृष्ण स्वयं को अक्षरों में अकार कहते हैं- 'अक्षराणामकारोस्मि'।
संस्कृत ग्रंथ श्रीमद्भग्वद्गीता में कृष्ण स्वयं को अक्षरों में अकार कहते हैं- 'अक्षराणामकारोस्मि'।

21:17, 26 जुलाई 2012 का अवतरण

देवनागरी लिपि का पहला वर्ण तथा संस्कृत, हिंदी, मराठी, नेपाली आदि भाषाओं की वर्णमाला का पहला अक्षर एवं ध्वनि है। यह एक स्वर है। यह कंठ्य वर्ण है। । इसका उच्चारण स्थान कंठ है। इसकी ध्वनि को भाषाविज्ञान में श्वा कहा जाता है।

विशेष

अक्षरों में यह सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं । उपनिषदों में इसकी बडी महिमा लिखी है । तंत्रशास्त्र के अनुसार यह वर्णमाला का पहला अक्षर इसलिये है कि यह सृष्टि उत्पन्न करने के पहले सृष्टिवर्त की आकुल अवस्था को सूचित करता है ।

साहित्यिक प्रयोग

संस्कृत ग्रंथ श्रीमद्भग्वद्गीता में कृष्ण स्वयं को अक्षरों में अकार कहते हैं- 'अक्षराणामकारोस्मि'।

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