"चौपाई": अवतरणों में अंतर

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[[श्रेणी:हिन्दी साहित्य]]

14:21, 17 जून 2012 का अवतरण

चौपाई मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के १६ मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है।[1] गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में चौपाइ छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६-१६ मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


संदर्भ

  1. हिन्दी साहित्य कोश. वाराणसी: ज्ञानमण्डल लिमिटेड. १९८५. नामालूम प्राचल |accessday= की उपेक्षा की गयी (मदद)