"अश्विनीकुमार (वैदिक देवता)": अवतरणों में अंतर
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अश्विनीकुमार अश्वेदव, प्रभात के जुड़वें देवता द्यौस के पुत्र, युवा और सुंदर। इनके लिए 'नासत्यौ' विशेषण भी प्रयुक्त होता है। इनके रथ पर पत्नी सूर्या विराजती है और रथ की गति से सूर्या की उत्पति होती है। ये देवचिकित्सक और रोगमुक्त करनेवाले हैं। इनकी उत्पति निश्चित नहीं कि वह प्रभात और संध्या के तारों से है या गोधूली या अर्ध प्रकाश से। परंतु उनका संबंध रात्रि और दिवस के संधिकाल से ऋग्वेद ने किया है। उनकी स्तुति ऋग्वेद की अनेक ऋचाओं में की गई है। वे कुमारियों को पति, वृद्धों को तारूण्य, अंधों को नेत्र देनेवाले कहे गए हैं। [[महाभारत]] के अनुसार [[नकुल]] और [[सहदेव]] उन्हीं के पुत्र थे। |
अश्विनीकुमार अश्वेदव, प्रभात के जुड़वें देवता द्यौस के पुत्र, युवा और सुंदर। इनके लिए 'नासत्यौ' विशेषण भी प्रयुक्त होता है। इनके रथ पर पत्नी सूर्या विराजती है और रथ की गति से सूर्या की उत्पति होती है। ये देवचिकित्सक और रोगमुक्त करनेवाले हैं। इनकी उत्पति निश्चित नहीं कि वह प्रभात और संध्या के तारों से है या गोधूली या अर्ध प्रकाश से। परंतु उनका संबंध रात्रि और दिवस के संधिकाल से ऋग्वेद ने किया है। उनकी स्तुति ऋग्वेद की अनेक ऋचाओं में की गई है। वे कुमारियों को पति, वृद्धों को तारूण्य, अंधों को नेत्र देनेवाले कहे गए हैं। [[महाभारत]] के अनुसार [[नकुल]] और [[सहदेव]] उन्हीं के पुत्र थे। |
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[[श्रेणी:हिंदू देवता]] |
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18:50, 8 अक्टूबर 2011 का अवतरण
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। स्रोत खोजें: "अश्विनीकुमार" वैदिक देवता – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
अश्विनीकुमार देवताओं के वैद्य हैं। अश्वनीकुमार दो भाई हैं।
अश्विनीकुमार अश्वेदव, प्रभात के जुड़वें देवता द्यौस के पुत्र, युवा और सुंदर। इनके लिए 'नासत्यौ' विशेषण भी प्रयुक्त होता है। इनके रथ पर पत्नी सूर्या विराजती है और रथ की गति से सूर्या की उत्पति होती है। ये देवचिकित्सक और रोगमुक्त करनेवाले हैं। इनकी उत्पति निश्चित नहीं कि वह प्रभात और संध्या के तारों से है या गोधूली या अर्ध प्रकाश से। परंतु उनका संबंध रात्रि और दिवस के संधिकाल से ऋग्वेद ने किया है। उनकी स्तुति ऋग्वेद की अनेक ऋचाओं में की गई है। वे कुमारियों को पति, वृद्धों को तारूण्य, अंधों को नेत्र देनेवाले कहे गए हैं। महाभारत के अनुसार नकुल और सहदेव उन्हीं के पुत्र थे।