बहूद्देशीय जलाशय
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बहूद्देशीय जलाशय (=बहु+उद्देशीय जलाशय ; multipurpose reservoir) उन कृत्रिम झीलों को कहते हैं जिनका निर्माण अनेक उद्देश्यों की पूर्ति के उद्देश्य से किया जाता है।
बहुद्देशीय जलाशयों के निर्माण निम्नलिखित उद्देश्यों (एक या अधिक) की पूर्ति के लिये किया जाता है-
- जल आपूर्त
- बाढ़ नियंत्रण
- मृदा अपरदन (Soil erosion) को रोकने के लिये
- पर्यावरण का प्रबन्धन
- जलविद्युत उत्पादन
- नौकायन
- सिंचाई
भारत की बहूद्देशीय परियोजनाएँ
[संपादित करें]- दामोदर घाटी परियोजना
- भाखड़ा नांगल परियोजना
- रिहन्द बाँध परियोजना
- हीराकुड बाँध परियोजना
- कोसी परियोजना
- इंदिरा गाँधी (राजस्थान नहर) परियोजना
- चम्बल परियोजना
- नागार्जुन परियोजना
- तुंगभद्रा परियोजना
- मयूराक्षी परियोजना
- शरावती परियोजना - यह कर्णाटक में भारत के सबसे ऊँचे जोग जलप्रपात पर बनाया गया है।
- कोयना परियोजना - यह परियोजना महाराष्ट्र के कृष्णा की सहायक कोयना नदी पर है। मुंबई-पुणे औद्योगिक क्षेत्र को यहीं से बिजली भेजी जाती है।
- बगलिहार परियोजना - यह परियोजना जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 450 मेगावाट की जलबिजली परियोजना है।
- किशनगंगा परियोजना - यह जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर 330 मेगावाट की जलबिजली परियोजना है।
- केन-बेतवा लिंक परियोजना - इसका शुभारम्भ 2005 को प्रायद्वीपीय नदी विकास योजना के अंतर्गत किया गया। इस परिजना का नाम “अमृत क्रांति परियोजना” भी है।
- सरदार सरोवर परियोजना - मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात व अजस्थान की संयुक्त परियोजना है। यह नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर बन रही है। इसमें कुल 6 बहुद्देशीय, 5 जलबिजली, 15 सिंचाई परियोजनाएँ हैं।
- टिहरी परियोजना - उत्तराखंड में भागीरथी व भिलांगना नदी के संगम पर बनाया गया है।
- देवसारी बाँध परियोजना - उत्तराखंड की पिंडर घाटी में गढ़वाल के चमोली जिले में पिन्डनू नदी पर यह परियोजना है। भूकंप क्षेत्र 4 और 5 में यह आता है।