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फ्रेडरिक विंस्लो टेलर

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वैज्ञानिक प्रबन्धन के जनक टेलर
वैज्ञानिक प्रबन्धन के जनक टेलर

फ्रेडरिक विंस्लो टेलर (Frederick Winslow Taylor) (२० मार्च १८५६ - २१ मार्च १९१५) को वैज्ञानिक प्रबन्धन का जनक माना जाता है। वे एफ डल्यू टेलर के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। वे अमेरिका के मेकैनिकल इंजिनीयर थे जिन्होने औद्योगिक दक्षता (industrial efficiency) में सुधार का विधिवत अध्ययन किया। वे कुछ प्रथम प्रबन्धन-सलाहकारों में से एक थे।

टेलर का जन्म एक अमेरिका के फिल्डेल्फिया के जर्मनटाउन के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनकी आरम्भिक शिक्षा उनकी माता के द्वारा हुई। उन्होने दो वर्ष तक फ्रांस और जर्मनी में अध्ययन किया और अट्ठारह माह तक यूरोप में भ्रमण किया।

स्नातक होने के उपरान्त उन्होने हारवर्ड लॉ में प्रवेश लिया।

सन्‌ 1875 में फिलाडेल्फिया नगर के एक छोटे कारखाने में यांत्रिक तथा प्रतिरूपकार (patternmaker) के पद पर इन्होंने जीवनयात्रा आरंभ की।

पाँच वर्ष पश्चात्‌ जब ये मिडवे स्टील कंपनी में काम कर रहे थे तब कार्यकर्ताओं से वादविवाद में इन्हें इस बात का अनुभव हुआ कि कारखाने के किसी कार्य में एक दिन में कितना काम होना चाहिए, इसका सही निश्चय होना आवश्यक है। इस संबंध में किए अनुसंधान के फलस्वरूप इन्होंने प्रथम तो औजारों के इस्पात पर पानी चढ़ाने (मृदुकरण, tempering) की ऐसी रीति का आविष्कार किया जिसके द्वारा उच्च गति पर धातु को काटने का कार्य संभव हो सका। द्वितीय, इन्होंने कारखानों के प्रबंध के संबंध में उस प्रणाली को विकसित और पूर्ण किया जिसको आगे चलकर वैज्ञानिक पर्याय की संज्ञा दी गई। शेष जीवन इन्होंने इसी प्रणाली के सिद्धांतों के प्रवर्तन में बिताया।

इनकी लिखी पुस्तकों में 'ऑन दि आर्ट ऑव कटिंग मेटल्स' तथा 'दि प्रिंसिपुल्स ऑव सायंटिफिक मैनेजमेंट' प्रमुख है।

टेलर के कृतियाँ/प्रकाशन

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टेलर ने अनेकों पुस्तकें तथा लेख लिखे। कुछ का विवरण नीचे दिया गया है-

  • 1894 : Notes on Belting
  • 1895 : A Piece-rate System
  • 1896 : The adjustment of wages to efficiency; three papers .... New York, For the American economic association by the Macmillan company; London, S. Sonnenschein & co..
  • 1903 : Shop management; a paper read before the American society of mechanical engineers. New York.
  • 1906 : On the art of cutting metals, by Mr. F. W. Taylor; an address made at the opening of the annual meeting in New York, December 1906. New York, The American society of mechanical engineers.
  • 1911 : Principles of Scientific Management. New York and London, Harper & brothers.
  • 1911 : Shop management, by Frederick Winslow Taylor ... with an introduction by Henry R. Towne .... New York, London, Harper & Brothers.
  • 1911 : A treatise on concrete, plain and reinforced: materials, construction, and design of concrete and reinforced concrete. (2d ed). New York, J. Wiley & sons.
  • 1912 : Concrete costs. New York, J. Wiley & sons.

टेलर का वैज्ञानिक प्रबंध

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वैज्ञानिक प्रबंध, प्रारंभिक प्रंबंध की विचाराधारा की एक महत्त्वपूर्ण धारा जिसे ‘क्लासीकल विचारधारा’ कहा जाता है। क्लासीकल विचारधारा वर्ग की दो अन्य धाराएँ हैं। फेयॉल की प्रशासनिक ज्ञान एवं मैक्स वैबर्स की अफसरशाही। हम यहाँ अफसरशाही का वर्णन नहीं करेंगे। वैज्ञानिक प्रबंध के पश्चात् फेयॉल के सिद्धांतों का वर्णन किया जाएगा।

फैडरिक विंसलो टेलर (20 मार्च 1856 से 21 मार्च 1915 तक) एक अमरीका का फैडरिक विंसलो टेलर-वैज्ञानिक प्रबंध आंदोलन के संस्थापक मैकेनिकल इंजीनियर था जिसने औद्योगिक कार्यक्षमता में सुधार करना चाहा। 1874 में वह एक शिक्षार्थी मैकेनिक बना, जहाँ उसने नीचे के स्तर की कारखाना परिस्थितियों के संबंध में ज्ञान प्राप्त किया। उसने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। वह कार्यक्षमता आंदोलन के विद्वान नेताओं में से एक था। उसने उत्पादन की कारखाना प्रणाली के स्वरूप में परिवर्तन को बहुत अधिक प्रभावित किया। आप उसकी प्रशंसा अवश्य करेंगे वह औद्योगिक क्रांति के उस युग से जुड़ा था, बड़े पैमाने पर उत्पादन जिसकी विशेषता थी। आप यह भी समझते हैं कि प्रत्येक नए विकास को संपूर्णता प्राप्त करने में कुछ समय लगता है। टेलर के योगदान की उत्पादन की कारखाना प्रणाली को संपूर्णता दिलाने के प्रयत्नों के संदर्भ में देखना चाहिए।

टेलर का मानना था कि यदि कार्य का वैज्ञानिक रीति से विश्लेषण किया जाए तो इसको करने का सर्वोत्तम ढंग ढूँढ़ा जा सकता है। उसे सबसे अधिक उसके समय एवं गति अध्ययन के लिए याद किया जाता है। उसने किसी भी कार्य को उसके घटकों में विभाजित कर प्रत्येक को सेकेंड तक की समय अवधि में मापा। टेलर का विश्वास था कि समकालीन प्रबंध अभी अपनी शैशव अवस्था में था तथा उसका एक शास्त्र के रूप में अध्ययन करने की आवश्यकता थी। वह यह भी चाहता था कि कर्मचारियों को प्रबंध में सहयोग करना चाहिए, इसलिए श्रम संगठनों की कोई आवश्यकता नहीं है। सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्रशिक्षित एवं योग्य प्रबंधक तथा सहयोगी एवं नूतन विचार वाले कार्य दल के बीच साझेदारी से प्राप्त होंगे। दोनों पक्षों को एक दूसरे की आवश्यकता है।

1911 में ‘दि प्रिंसिपल्स ऑफ साइंटीफिक मैनेजमेंट’ शीर्षक से प्रकाशित लेख में उसने ‘साइंटीफिक मैनेजमेंट’ शब्द की रचना की। जब उन्हें बैथलेहम स्टील कंपनी से निकाल दिया गया तब उसने ‘शॉप फ्रलोर’ शीर्षक से एक पुस्तक लिखी जिसकी ठीक-ठीक बिक्री हुई। उसे ‘अमरीकन सोसाइटी ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स’ का प्रधान चुना गया जिस पद पर वह 1906 से 1907 तक रहे। वह 1900 (डार्ट माउथ कॉलेज) में स्थापित टक स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर रहे। 1884 में अपनी नेतृत्व क्षमताओं के कारण मिडवैले स्टील कंपनी में कार्यकारी अधिकारी बने। उसने अपने साथी कामगारों को अंतराल पर कार्य करने को कहा। उसने 1898 में बैथलेहम आयरन कंपनी में प्रवेश किया जो बाद में बैथलेहम स्टील कंपनी बनी। मूल रूप से उसे कार्यानुसार मजदूरी पद्धति लागू करने के लिए रखा गया था। मजदूरी प्रणाली के निर्धारण के पश्चात् उसका अधिकार बढ़ गया और शीघ्र ही उसे कंपनी के बड़े अधिकार सौंप दिए गए। अपने नए संसाधनों के मिलने पर उसने अपने कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि की तथा बैथलेहम को अनुसंधान कार्य का प्रदर्शन स्थल बना दिया। दुर्भाग्यवश इस कंपनी को उच्च शक्तिशाली लोगों को बेच दिया गया और टेलर की छुट्टी कर दी गई। 1910 में टेलर के स्वास्थ्य ने जवाब देना शुरू कर दिया। 1915 में उसकी निमोनिया के कारण मृत्यु हो गई। उसके योगदान का एक सामान्य दर्शन दिए गए बॉक्स से हो सकता है।

वैज्ञानिक प्रबंध में टेलर का योगदान

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नीचे दिए गए अंश टेलर के 1912 में यू- एस- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिवस् सर्वेशियल कमेटी के समक्ष दिए साक्ष्य एवं उसके सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य 1911 में प्रकाशित ‘दि प्रिंसीपल्स ऑफ साइंटीफिक मैनेजमेंट’ से लिए गए हैं।

वैज्ञानिक प्रबंध के अनुसार सर्वप्रथम अंगूठा टेक नियम के अंतर्गत विकसित कार्यपद्धति में विभिन्न सुधारों में से प्रत्येक की ध्यानपूर्वक जांच की आवश्यकता है दूसरे प्रत्येक कार्य पद्धतियों की सहायता से प्राप्त गति से समय एवं गति अध्ययन के पश्चात् उनमें से कईयों के अच्छे बिंदुओं को एक मानक कार्य पद्धति में एकीकृत कर लिया जाएगा। जिससे कि कामगार पहले की अपेक्षा अधिक तेजी से एवं अधिक सरलता से कार्य कर सकेगा। यह कार्यपद्धति पहले से प्रयुक्त विभिन्न कार्यपद्धतियों के स्थान पर मानक कार्यपद्धति के रूप में अपनाई जाती है तथा यह सभी कर्मचारियों के लिए तब तक मानक बनी रहती है जब तक कि गति एवं समय अध्ययन द्वारा कोई अन्य इससे भी श्रेष्ठ पद्धति इसका स्थान न ले ले। (वैज्ञानिक प्रबंध पृष्ठ 119)

वैज्ञानिक प्रबंध के मुख्य तत्व इस प्रकार हैं- (वैज्ञानिक प्रबंध पृष्ठ 129-130)

  1. समय अध्ययन
  2. क्रियात्मक अथवा विशिष्ट पर्यवेक्षण
  3. उपकरणों का मानकीकरण
  4. कार्य पद्धतियों का मानकीकरण
  5. पृथक नियोजन कार्य
  6. अपवाद द्वारा प्रबंध का सिद्धांत
  7. ‘स्लाइड रूल्स' एवं इसी प्रकार के अन्य समय बचाने वाले साधनों का प्रयोग
  8. कार्य का आवंटन एवं सफल निष्पादन के लिए बड़ी बोनस राशि
  9. ‘विभेदात्मक दर’ का प्रयोग
  10. उत्पाद एवं कार्य प्रणालियों की नेमोनिक प्रणाली
  11. कार्यक्रम प्रणाली
  12. आधुनिक लागत प्रणाली आदि

टेलर इन तत्वों को ‘प्रबंध के तंत्र के मात्र तत्व' अथवा 'विस्तृत विवरण’ कहता था। वह इन्हें प्रबंध के निम्नांकित चार सिद्धांतों के विस्तार के रूप में देखता था। (वैज्ञानिक प्रबंध पृष्ठ 130)

1- वास्तविक विज्ञान का विकास
2- कर्मचारी का वैज्ञानिक पद्धति से चयन
3- कर्मचारी का वैज्ञानिक रीति से शिक्षा एवं विकास
4- प्रबंध एवं कर्मचारियों के बीच नजदीकी एवं मित्रतापूर्ण सहयोग

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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