प्रेरणा के सिद्धांत
प्रेरणा व्यवहार की व्याख्या करने के लिए इस्तेमाल एक सैद्धांतिक निर्माण है। यह लोगों कि कार्वाई, इच्छाओं और ज़रूरतों के लिए कारणों का प्रतिनिधित्व करता है। प्रेरणा भी व्यवहार करने की दिशा के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है। एक मकसद एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए व्यक्ति को संकेत देता है या कम से कम विशिष्ट व्यवहार के लिए एक झुकाव विकसित करता है। उदाह्ररण के लिए, जब कोई खाना खा के, अपनी भूख की ज़रुरत को पूरा करता है, या जब कोई छात्र अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अपना सारा काम स्कूल में ही कर लेता है। दोनो उदाहरणों में हम क्या करते है और क्यों करते है इस में एक समानता पाई जाती है। मायर और मेयर के अनुसार, प्रेरणा शब्द लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा है जैसे अन्य मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं रहें है।
सिद्धांतों और मॉडलों के प्रकार:
[संपादित करें]अभिप्रेरण सिद्धान्त : आंतरिक और बह्य प्रेरणा
[संपादित करें]प्रेरणा को दो अलग सिद्धांत में विभाजित किया जा सकता है- आंतरिक प्रेरणा और बह्य प्रेरणा।
आंतरिक प्रेरणा:
[संपादित करें]आंतरिक प्रेरणा का अध्ययन १९७० के दशक से किया गया है। आंतरिक प्रेरणा का निरीक्षण करने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक क्षमता का विशलेषण करने, नई चीज़ों और नई चुनौंतियों के बाहर की तलाश करने के लिए स्वयम की इच्छा है।
यह ब्ल्कि बाहरी दबाव या इनाम के लिए एक इच्छा पर निर्भर से व्यक्ति के भीतर काम करना अपने आप मे एक ब्याज या भोग के द्वारा संचालित है, और मौजूद है। आंतरिक प्रेरणा की घटना पहले पशुओं के व्यवहार का प्रायोगिक अध्ययन के भीतर स्वीकार किया गया था। आंतरिक प्रेरणा एक प्रकृतिक प्रेरक प्रवृत्ति है और संज्ञानात्मक, सामाजिक और शारीरिक विकास मे एक महत्वपूर्ण तत्व है। आंतरिक रूप से प्रेरित हुए छात्रों की ही क्षमताओं में वृद्धि होगी, जो अपने कौशल मे सुधार करने के लिए काम स्वेच्छा के साथ ही काम में संलग्न होने की संभावना है।
बह्या प्रेरणा:
[संपादित करें]बह्य प्रेरणा एक वांछित परिणाम प्राप्त करने के क्रम में एक गतिविधि का प्रदर्शन करने के लिए संदर्भित करता है और यह आंतरिक प्रेरणा के विपरीत है। बह्य प्रेरणा व्यक्ति के बाहर के प्रभावों से आता है। बह्य प्रेरणा मे इस प्रश्न का उत्तर देना कठिन है कि, लोगों को प्रेरणा कहॉं सें मिलती है अपने कामों कों दृढता के साथ जारी रखने के लिए?
आम तौर पर जो परिणाम आंतरिक प्रेरणा से प्राप्त नही होता, उसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति बह्य प्रेरणा का प्रयोग करता है। आम बह्य मंशा पुरस्कार है जैसे पैसे या अच्छे अंक, वांछित व्यवहार दिखाने के लिए और सज़ा का खतरा निम्नलिखित दुर्व्यवहार के लिए है। प्रतियोगिता एक बह्य प्रेरक है क्योंकि वह जीतने के लिए और दूसरों को हराने के लिए कलाकार को प्रोत्साहित करती है ना की बस गतिविधि के आंतरिक पुरस्कार का आनंद लें।
सामाजिक मनोवैज्ञनिक अनुसंधान ने यह संकेत दिया है कि बह्य पुरस्कार अतिऔचित्य करने के लिए नेतृत्व कर सकता है और आंतरिक प्रेरणा मे एक कमी पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए - एक उत्साही भीड और एक ट्रॉफी जीतने की इच्छा भी बाह्य प्रोत्साहन कर रहें है।
मनोसामाजिक उद्देश्य
[संपादित करें]सामाजिक उद्देश्यों ज्यादातर हासिल कर ली जाते हैं या सीखे जाते हैं। हमारे परिवार प्रतिवेश, मित्रो, आदि इन उद्देश्यों को पाने के लिये मदद करते है। ये काफी जटिल होते है और एक व्यक्ति का सामाजिक वातावरण के द्वारा पाये जाते है। मनोवैञानिक के अनुसार मनुष्य मे चार प्रकार के मनोसामाजिक इरादों होते है।
संबद्धीकरण की आवश्यकता
[संपादित करें]ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को अच्छा लगता है जब वे एक समूह का हिस्सा हो। समूह के गठन मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। मनुष्य यह चाहता है कि वह अन्य लोगो के सात शारीरिक और मानसिक रूप से करीब हो और इस धारणा को संबद्धता बुलाते है। उन्हे सामाजिक संपर्क के लिए प्रेरणा मिलता है। लोगो में संबंद्धीकरण पाया जाता है जब वे असाहायता मह्सूस करते हैं या जी घबराते है या भी जब वे बहुत खुश होते है। जिन लोगो मै इस उद्धेश्य सर्वोपर होता है वे अपना संबंधो का अनुरक्षण करते है।
अधिकार की आवश्यकता
[संपादित करें]वह व्यक्ति प्रभावशाली कहा जाता है जो किसी अन्य व्यक्ति का व्यवहार और भावनाओं को अपने अनुसार बदल सकता है। जो इस कार्य मे सफल होता है और जिसकी क्षमता रहे यह पाने को, वह निश्चित प्रभावशाली व्यक्ति है। प्रेरणा के लक्ष्यों है अन्य लोगो को मनाना, प्रभावित करना,आकर्षित करना और उनके दृष्टिकोण में अपनी कीर्ति बढ़ाना। डेविढ मेकलील्ंड (१९७५) ने कहा था कि अधिकार प्रकत करने के लिये लोग चार प्रकार् के तरीका प्रयोग करते है :-
- मानव अपने बल बढाने के लिये अन्य स्रोत के द्वारा अपना अधिकार बढाना चाह्ता है। जैसे विख्यात लोग के बारे मे पढना और इससे आकर्षित होना आदि
- अपना शक्ति खुद बढाना ओर मान्सिक और शारीरिक बल को प्रकट करना
- इनसान् जो कुछ करता है वह दूसरे लोगों को प्रभाबावित करने के लिये करता है।
- जब कोइ एक सन्स्था के अंग हो, वह यह चह्ता है कि उस सन्स्था के लोग उससे प्रभाबावित हो। जैसे राजनीतिकपार्टी के नेता जिसका असर आम आदमी पर पडता है।
उपलब्धि की आवश्यकता
[संपादित करें]जब कोई उत्तीर्नता चाहता है, उस पर उपलब्धि होने का इच्छा ज़्यादा होता है। यह बचपन का प्रारंभिक वर्षों में देखा जाता है। जिन लोगो में यह अधिक्तर प्रकट होता है वे कटिन कार्य करना पसन्द करते हैं। वे अपने प्रदर्शन के बारे में प्रतिक्रिया पता करने के लिए इच्छा करते है ताकि चुनौतियों के अनुसार वे अपने लक्ष्यों बदल सकते है।
जिज्ञासा और अन्वेषण
[संपादित करें]कुछ लोग विशेष लक्ष्य के लिए नहीं बल्कि जिज्ञासा पाने के लिये काम करते है। इन विष्यो की खोज में यानि अनुभव की तलाश में, नई जानकारी प्राप्त करने में खुशी मिलता है। इस तरह की खोज् सिर्फ मनुष्य मे ही नहीं, जानवर मे भी होता है। लोग दोहराव से थक जाते है और नई जानकारी चाहते हैं। यह ज़्यादा से ज़्यादे बच्चो मे दिखाई पडता है। यह उनके व्यवहार और अभिव्यक्ति जैसे मुस्कुराहट और बडबडाहट के माध्यम से दिखाया जाता है। उनके मकसद पूरा न होने पर वे परेशान् हो जाते हैं। इसलिये हम हमेशा रोमानचिक अनुभवो की खोज मे लगे रहते हैं।
कुछ लोग विशेष लक्ष्य के लिए नहीं बल्कि जिज्ञासा पाने के लिये काम करते है। इन विष्यो की खोज में यानि अनुभव की तलाश में, नई जानकारी प्राप्त करने में खुशी मिलता है। इस तरह की खोज् सिर्फ मनुष्य मे ही नहीं, जानवर मे भी होता है। लोग दोहराव से थक जाते है और नई जानकारी चाहते हैं। यह ज़्यादा से ज़्यादे बच्चो मे दिखाई पडता है। यह उनके व्यवहार और अभिव्यक्ति जैसे मुस्कुराहट और बडबडाहट के माध्यम से दिखाया जाता है। उनके मकसद पूरा न होने पर वे परेशान् हो जाते हैं। इसलिये लोगो का स्वभाव है कि वे हमेशा नई और रोमान्चिक अनुभवो की खोज मे लगे रहते हैं।
सन्दर्भ
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- अभिप्रेरण (Motivation)