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पाखंब

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पाखंब या इबुधोऊ पाखंब एक दिव्य प्राणी हैं जिनके प्रति भारत के मणिपुर क्षेत्र में लोग भारी आस्था रखते हैं। इन्हें अधिकतर सर्प-शरीर और मृग-सींगो रखने वाले एक अझ़दहा (ड्रैगन) के रूप में दर्शाया जाता है। गणतंत्र की स्थापना से पहले जब मणिपुर एक रियासत था तो इन्हें कई राजकीय चिन्हों में दर्शाया जाता था। माना जाता है कि इनका वास तालाबों, पर्वतों, गुफाओं, वनों व अन्य पवित्र स्थानों पर रहता है। मणिपुर के मेइतेइ समुदाय के एक महत्वपूर्ण पूर्वज के बारे में मान्यता है कि वे पाखंगबा के रूप में प्रकट हुए थे।[1]

मेइतेइ पूर्वज

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मान्यता है कि द्वापर युग के अंत में और कलियुग के आरम्भ में बब्रुबाहन का पुत्र हुआ जो दिन में देवताओं और रात में पुरुष का रूप धारण करता था। अन्य वर्णनों में कहा गया है कि "ब्रह्मदेव नारायण के नाभि-कमल से जन्में, मारीचि मुनि ब्रह्मदेव की भुजाओं से जन्में। मारीचि के पुत्र कश्यप मुनि, कश्यप के पूत्र सूरज, सूरज के पुत्र शबोर्न मुनि, शबोर्न के पुत्र इन्दु मुनि, इन्दु के पुत्र चित्रकेतू, चित्रकेतू के पुत्र चित्रधज, चित्रधज के पुत्र चित्रबीज, चित्रबीज के पुत्र चित्रसर्ब, चित्रसर्ब के पुत्र चित्ररत, चित्ररत के पुत्र चित्रवाणू। चित्रवाणू का कोई पुत्र न होकर चित्रांगदा नामक पुत्री थी। चित्रांगदा के पुत्र बब्रुबाहन। बब्रुबाहन के पुत्र सूप्रबाहू और सूप्रबाहू के पुत्र पाखंगबा (जोबिस्ता) थे। पाखंगबा मणिपुर के पहले सम्राट बने।"[2]

चित्रदीर्घा

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पोउबी लइ पफल - पाखंगबा का एक रूप
मणिपुर की राजधानी इम्फाल में पाखंगबा की एक प्रज्वलित प्रतिमा
कंगला महल के सामने दो खड़े कंगला-से - १८९१ के युद्ध में ध्वस्त होने के बाद इनका नवनिर्माण किया गया
भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था लागू होने से पूर्व का मणिपुर राजघराने का ध्वज, जिसमें पाखंगबा प्रदर्शित हैं

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Hastings Encyclopedia of Religion and Ethics, Volume 11
  2. The Meitheis, Thomas Callan Hodson, D. Nutt, 1908