तरकशास्त्र (भारतीय दर्शन)
दिखावट
भारतीय दर्शन के सन्दर्भ में तर्कशास्त्र ज्ञान की प्रकृति, स्रोत तथा वैधता का विश्लेषण करने वाला विज्ञान है। तर्कशास्त्र डायलेक्टिक्स, लॉजिक, रीजनिंग और शास्त्रार्थ (डिबेट) का विज्ञान है। छः शास्त्र बताये गये हैं जिनमें व्याकरणशास्त्र, मीमांसाशास्त्र, तर्कशास्त्र और वेदान्त हैं।
तर्कशास्त्र में 'पूर्वपक्ष' और 'उत्तरपक्ष' की संकल्पनाएँ हैं। तर्कसंग्रह, तर्कशास्त्र का मूलभूत ग्रन्थ है।
तर्कशास्त्री
[संपादित करें]- आदि शंकराचार्य (788-820 ई.), उद्योत्कर (न्यायवार्तिक, 6वीं-7वीं शताब्दी), वाचस्पति मिश्र (तात्पर्यटीका, 9वीं शताब्दी), उदयनाचार्य (तात्पर्यपरिशुद्धि, 10वीं शताब्दी), जयन्त भट्ट (न्यायमंजरी, 9वीं शताब्दी), विश्वनाथ (न्यायसूत्रवृत्ति, 17वीं शताब्दी), तथा राधामोहन गोस्वामी (न्यायसूत्रविवरण, 18वीं शताब्दी)।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |