जगरनॉट

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१८५१ में Illustrated London Reading Book में चित्रित जगरनॉट का रथ
२००७ का आधुनिक उत्सव

जगरनौट (आईपीए: /dʒʌɡɚnɔːt/) अंगेजी भाषा में प्रयोग होने वाला एक शब्द हैं।

यह शब्द संस्कृत शब्द जगन्नाथ से बना है। जगन्नाथ[1] (अर्थात "विश्व का स्वामी") जो कि भारत के प्राचीन वैदिक धर्मग्रन्थों में वर्णित भगवान कृष्ण के अनेक नामों में से एक है। भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध मन्दिरों में से एक जगन्नाथ मन्दिर पुरी, ओड़िशा में है। इस मन्दिर में सालाना रथ यात्रा महोत्सव होता है जिसमें भगवान जगन्नाथ (कृष्ण), देवी सुभद्रा तथा भगवान बलभद्र (कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता) की मूर्तियों को रथ में बैठाकर यात्रा पर ले जाया जाता है।


व्युत्पत्ति[संपादित करें]

भारत में

भारत में १५ सदिमे बंगाल के रास्ते बहुत ज्यादा मिस्नरीज भारत में मूर्ति पुजको का धर्म परिवर्तन करने बंगाल के रास्ते से आज के ओड़िशा राज्य में आए उनमें से एक क्लॉडियस बुकानन भी था जो कि बकियोकी तरही हिन्दुओं का विरोधी और उनसे द्वेष भावना रखने वाला था। इन सबने वहां पर भगवान जग्गनाथ मूर्ति पूजक भारतीयों की अटूट आस्था का प्रतीक लगे। ब्रिटिश लोग भारत के सबसे का ठीक तरीके से उच्चारण नहीं कर पाते थे इसलिए वह इसका उच्चारण जग्गानाथ की जगह जगरनॉट कहते थे। उन्होंने वहां पर धरती के स्वामी भगवान जग्गनाथ के जरिए हिंदू या सनातन धर्मियोको पूरी दुनिया में बदमान करने हेतु जग्गानाथ भगवान को खून पिचासू, हिंसक और लोगो का खून पीने वाला कहा जो कि किसी भी तरीके से सही या लॉजिकल भी नहीं था।

क्लॉडियस बुकानन ने अपनी विवादित पुस्तक में "भगवान जन्नाथ को और हिन्दुओं को खून पीचासू, हिंसक और बिछड़ा हुए कहा है।" उसने अपनी पुस्तक में यह भी कहा है कि "भगवान जग्गानाथ की निकालने वाली वार्षिक यात्रा में लोग उनके रथ के नीचे लेटके अपनी जान दे देते थे और इस तरह भगवान खुश होते थे।" यह सभी बाते का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं था। यह तो हिन्दुओं को बदनाम करने की साज़िश थी। इस तरह हिन्दुओं के देवता भगवान जग्गानाथ जो कि प्रेम, दया और कर्म कि बात करने वाले भगवान कृष्णा के प्रतीक है उन्हें बदनाम करने की साज़िश की और उनके द्वारा भगवान जग्गनाथ को जगरनॉट की उपाधि दी गई जो की गलत है।

समय के चलते आज उस शब्द का इस्तेमाल संभवित शब्द या रूपक शक्ति की व्याख्या के लिये होता है। यह प्रायः किसी बड़ी मशीन या किसी टीम या इकट्ठे कार्य करने वाले लोगों के समूह के लिये या किसी करिश्माई नेता द्वारा चलाये जा रहे उभर रहे राजनीतिक आन्दोलन के लिये प्रयुक्त होता है। इसका सम्बन्ध प्रायः कुचले जाने अथवा भौतिक हानि से जोड़ा जाता है। विक्टोरिया ऐरा में इस शब्द का प्रयोग शराबी व्यक्ति के लिए भी प्रयोग होता था।

जो कि भगवान जग्गानाथ के लिए बिल्कुल सही नहीं है और से हिन्दुओं को बदनाम करने की साज़िश है सायाद यहीं कारण है कि आज भारत का कोई भी सनातनी हिन्दू इस सब का प्रयोग नहीं करता।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "dictionary.reference.com". मूल से 12 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 सितंबर 2010.