होलिका

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होलिका

होलिका
संबंध असुरानी
जीवनसाथी वप्रीचिति
माता-पिता दिति (माता) , कश्यप (पिता)
भाई-बहन हिरण्याक्ष व हिरण्यकसिपु
संतान स्वरभानु
त्यौहार होलिका दहन

होलिका हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकसिपु नामक दैत्यों की बहन और कश्यप ऋषि और दिति की कन्या थी। जिसका जन्म जनपद- नगलाडांङा कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र नामक स्थान पर हुआ था।[उद्धरण चाहिए] होलिका राक्षसी भक्त प्रहलाद की बुआ थी। जब हिरण्यकश्यपु कई तरीको से भक्त प्रहलाद को न मार पाया तब अपने भाई असुर हिरण्यकश्यपु के आदेश पर प्रहलाद को मारने के लिए आग में प्रहलाद बच्चे को लेकर बैठ गयी थी। होलिका राक्षसी को ब्रह्मदेव से वरदान प्राप्त था की अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी अर्थात अग्नि में जलेगी नहीं।

कहानी[संपादित करें]

होलिका हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप नामक योद्धा की बहन और प्रह्लाद, अनुह्लाद, सह्लाद और ह्लाद की बुआ थी। साथ ही ये महर्षि कश्यप और दिति की कन्या थी। इनका जन्म जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र नामक पवित्र स्थान पर हुआ था। उसको यह वरदान प्राप्त था कि वें आग में नहीं जलेगी। इस वरदान का लाभ उठाने के लिए विष्णु-विरोधी हिरण्यकश्यप ने उनको आज्ञा दी कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश कर जाए, जिससे प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए। होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया। ईश्वर कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। हिरण्यकशिपु की हार होलिका के अंत और श्कीरी विष्णु भक्त प्रह्लाद की श्री हरि के प्रति अटूट भक्ति का प्रतीक जोकि यह बताता है कि ईश्वर के प्रति अटूट भक्ति भाव और समर्पण करने वालों का बाल भी बांका नही होता इसी खुशी में होली का उत्सव मनाया जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]