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सौन्दर्यलहरी

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सौन्दर्यलहरी (शाब्दिक अर्थ : सौन्दर्य का सागर) आदि शंकराचार्य तथा पुष्पदन्त द्वारा संस्कृत में रचित महान साहित्यिक कृति है। इसमें माँ पार्वती के सौन्दर्य, कृपा का १०३ श्लोकों में वर्णन है।

सौन्दर्यलहरी केवल काव्य ही नहीं है, यह तंत्रग्रन्थ है। जिसमें पूजा, यन्त्र तथा भक्ति की तांत्रिक विधि का वर्णन है। इसके दो भाग हैं-

  • आनन्दलहरी - श्लोक १ से ४१
  • सौन्दर्यलहरी - श्लोक ४२ से १०३

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  • सौन्दर्यलहरी (संस्कृत डॉक्युमेण्ट्स पर)
  • सौन्दर्यलहरी का हिन्दी काव्यानुवाद -
सौन्दर्यलहरी - ३,
सौन्दर्यलहरी - ४,
सौन्दर्यलहरी - ५