सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति | |
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सुधा मूर्ति (सन २०२३ में) | |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 8 मार्च 2024 | |
नियुक्त किया | द्रौपदी मुर्मू (भारत के राष्ट्रपति) |
चुनाव-क्षेत्र | मनोनीत (सामाजिक कार्य एवं शिक्षा) |
जन्म | 19 अगस्त 1950 Shiggaon, कर्नाटक, भारत |
जन्म का नाम | सुधा कुलकर्णी |
नागरिकता | भारतीय |
जीवन संगी | नारायणमूर्ति |
बच्चे | अक्षता मूर्ति एवं रोहन मूर्ति |
निवास | बंगलुरु, कर्नाटक |
शैक्षिक सम्बद्धता | BVB College of Engineering Indian Institute of Science |
व्यवसाय | Chairperson, Infosys Foundation, Writer (Marathi/Kannada/English) |
पुरस्कार/सम्मान | पद्म श्री (2006) दाना चिंतामणी अट्टीमब्बी अवार्ड (2010) पद्म भूषण (2023) |
सुधा मूर्ति एक भारतीय शिक्षिका, लेखिका और सांसद[2] हैं। इसके अलावा यह इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। इन्होंने इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति से शादी की थी। इन्हें 2006 में भारत सरकार द्वारा सामाजिक कार्यों के लिए मूर्ति को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से, एवं २०२३ में पद्म भूषण पुरूस्कार[3] से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
[संपादित करें]सुधा कुलकर्णी मूर्ति का जन्म डॉ. आर.एच. कुलकर्णी और विमला कुलकर्णी के लिए कर्नाटक के शिगगाँव में हुआ था। सुधा मूर्ति ने B.V.B कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई किया था। उसने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और तत्कालीन कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री देवराज उर्स से स्वर्ण पदक प्राप्त किया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान में एम.ई. उसने प्रथम स्थान पर आने के लिए भारतीय इंजीनियर्स संस्थान से स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
व्यक्तिगत जीवन
[संपादित करें]पुणे में टेल्को में काम करने के दौरान, वह अपनी आत्मा साथी श्री नारायण मूर्ति से मिलीं और उन्होंने शादी कर ली। उनके दो बच्चे हैं अक्षता और रोहन। वह इंफोसिस फाउंडेशन की सफलता के लिए स्तंभ हैं। वह अभी भी कंपनी बनाने के लिए अपने पति के साथ जुड़ी हुई है। प्रसिद्ध संगणक क्षेत्र के व्यावसायिक और इन्फोसिस इस प्रसिद्ध संस्था के सह संस्थापक एन.आर.नारायणमूर्ती ये उनके पति है। वे कॅलटेक (अमेरिका) इस प्रसिद्ध कंपनी के वैज्ञानिक श्रीनिवास कुळकर्णी इनकी और जयश्री कुळकर्णी-देशपांडे (प्रसिद्ध अमेरिकन व्यावसायिक गुरुराज देशपांडे की पत्नी) इनकी बहन है। सुधा मूर्ती ने नौ से ज्यादा उपन्यास लिखे है। उनके नाम पर अनेक कथासंग्रह हैं।
शैक्षणिक अर्हता
[संपादित करें]बी.वी. ब. कॉलेज ऑफ इंजिनीअरिंग यहाँ से बी. ई इलेक्ट्रिकल पदवी प्राप्त की। इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ सायन्स यहाँ से एम. ई. (संगणक शास्त्र) कॉम्प्युटर सायन्स इस विषय में एम्. टेक. यह पदवी प्राप्त की है।
सुधा मूर्ती मराठी, कन्नड और अंग्रेज़ी भाषा में लिखती है। सुधा मूर्ती ने संगणक वैज्ञानिक और अभियंता से अपने करिअर की शुरुआत की। टेल्को इस कंपनी में चुनी गई वह पहली महिला अभियंत्या थी। पुणे, मुंबई और जमशेदपूर यहाँ उन्होंने काम किया। ख्राईस्ट कॉलेज यहाँ उन्होंने प्राध्यापिका के पद पर काम किया। बंगलोर विश्वविघालय में वे अभ्यागत प्राध्यापिका के रूप में काम कर रही हैं। इन्फोसिस इस संस्था के कार्य में उनका विशेष सहभाग है। इस संस्था की विश्वस्त के रूप में वे कार्यरत है।
सामाजिक योगदान
[संपादित करें]वह विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और कुशल लेखिका है। १९ इन्फोसिस फौंडेशन इस एक सामाजिक कार्य करनेवाली संस्था की निर्मिती में उनका सक्रिय सहभाग था। वह इस संस्था की सह-संस्थापिका भी है।इन्फोसिस फौंडेशन के माध्यम से मूर्ती इन्होंने समाज के विविध क्षेत्राें में विकास काम को प्रोत्साहन दिया। कर्नाटक सरकार की सभी पाठशालाओं में उन्होंने संगणक और ग्रंथालय उपलब्ध करा दिए है। मूर्ती क्लासिकल लायब्ररी ऑफ इंडिया इस नाम का ग्रंथालय उन्होंने हार्वर्ड विश्वविघालय शुरू किया है। कर्नाटक के ग्रामीण भाग में और बैंगलोर शहर और परिसरात उन्होंने लगभग१०,००० शौचालये संस्था के माध्यम से बांधी है। तमिलनाडू और अंदमान यहाँ सुनामी के समय उन्होंने विशेष सेवाकार्य किया। महाराष्ट्र में हुए सूखे से ग्रस्त भागाें के लोगों को भी संस्था ने मदद की थी।
पुरस्कार और सम्मान
[संपादित करें]- २००४: चेन्नई में श्री राजा-लक्ष्मी फाउंडेशन द्वारा राजा-लक्ष्मी पुरस्कार
- २००६: भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री
- २००६: उन्हें साहित्य के लिए आर.के नारायण पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
- २०१०: कर्नाटक सरकार द्वारा दाना चिंतामणि अतीमब्बे पुरस्कार।
- २०११: भारत में औपचारिक कानूनी शिक्षा और छात्रवृत्ति को बढ़ावा देने में योगदान के लिए मूर्ति को मानद एलएल.डी (डॉक्टर ऑफ लॉ) की डिग्री प्रदान की गई।
- २०१३: समाज में उनके योगदान के लिए नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति को बसवा श्री-२०१३ पुरस्कार प्रदान किया गया।
- २०१८: मूर्ति को लोकप्रिय (नॉन-फिक्शन) श्रेणी में क्रॉसवर्ड बुक पुरस्कार मिला।
- २०१९: आईआईटी कानपुर ने उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि (मानद उपाधि) से सम्मानित किया।
- २०२३: भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण
- २०२३: साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार।
- २०२३: ग्लोबल इंडियन अवार्ड, जिसकी कीमत $५०,००० है, हर साल एक प्रमुख भारतीय को दिया जाता है जिसने अपने चुने हुए क्षेत्र में एक प्रमुख छाप छोड़ी है। उनके पति नारायण मूर्ति को भी २०१४ में यही पुरस्कार मिला था, इसलिए वे इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले जोड़े बन गए। उन्होंने यह राशि फील्ड इंस्टीट्यूट को दान कर दी।
प्रकाशित साहित्य
[संपादित करें]- अस्तित्व
- आजीच्या पोतडीतील गोष्टी
- आयुष्याचे धडे गिरवताना
- द ओल्ड मॅन अॅन्ड हिज गॉड (अंग्रेजी)
- बकुळ
- गोष्टी माणसांच्ता
- जेन्टली फॉल्स द बकुला (अंग्रेजी)
- डॉलर बहू (इंग्रजी), (मराठी)
- तीन हजार टाके (मूळ इंग्रजी, ’थ्री थाउजंड स्टिचेस’; मराठी अनुवाद लीना सोहोनी)
- थैलीभर गोष्टी
- परिधी (कन्नड)
- परीघ (मराठी)
- पितृऋण
- पुण्यभूमी भारत
- द मॅजिक ड्रम अॅन्ड द अदर फेव्हरिट स्टोरीज (अंग्रेजी)
- महाश्वेता (कन्नड व अंग्रेजी)
- वाइज अॅन्ड अदरवाइज (अंग्रेजी), (मराठी)
- सामान्यांतले असामान्य
- सुकेशिनी
- हाउ आय टॉट माय ग्रँडमदर टु रीड अॅन्ड अदर स्टोरीज (अंग्रेजी)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Hindi, India TV (8 March 2024). "सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए मनोनित, PM मोदी ने खुद ट्वीट कर दी जानकारी". India TV Hindi. अभिगमन तिथि 29 March 2024.
- ↑ "सुधा मूर्ति अब राज्यसभा सांसद: मोदी ने लिखा- उनकी मौजूदगी नारी शक्ति का प्रमाण; उनके ₹10 हजार से इंफोसिस की शुरुआत हुई थी". Dainik Bhaskar. 8 March 2024. अभिगमन तिथि 29 March 2024.
- ↑ The Hindu Bureau (8 March 2024). "Sudha Murthy Rajya Sabha nomination: "Doubly thrilled to receive this honour on Women's Day"". The Hindu. अभिगमन तिथि 29 March 2024.