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साँचा:आज का आलेख ९ अक्तूबर २००९

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आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन का प्रतीक चिह्न
आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन का प्रतीक चिह्न
विश्व हिंदी सम्मेलन हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिंदी विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा विज्ञानी, विषय विशेषज्ञ तथा हिंदी प्रेमी जुटते हैं। पिछले कई वर्षों से यह प्रत्येक चौथे वर्ष आयोजित किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की राष्ट्रभाषा के प्रति जागरूकता पैदा करने, समय समय पर हिंदी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक व पाठक दोनों के स्तर पर हिंदी साहित्य के प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिंदी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकतापूर्ण व महत्वपूर्ण रिश्ते को और गहराई व मान्यता प्रदान करने के लिहाज से १९७५ में विश्व हिंदी सम्मेलनों की श्रृंखला शुरू हुई। इस बारे में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी ने पहल की थी । पहला विश्व हिंदी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग से नागपुर में संपन्न हुआ जिसमें विनोबाजी ने अपना बेबाक संदेश भेजा। विस्तार से पढ़ें...