सदस्य:Vishakabhat/प्रयोगपृष्ठ/एलिज़ाबेथ लॉफ्टस
जीवनी
[संपादित करें]एलिज़ाबेथ लॉफ्टस जिनका जन्म नाम एलिज़ाबेथ फिश्मान था, एक अमेरिकी संज्ञानात्मक मनोवैज्ञानिक और मानव स्मृति पर विशेषज्ञ है। उन्का जन्म १६ अक्टूबर, १९४४ को हुआ था। उन्होनें मानव स्मृति पर व्यापक अनुसंधान किया है। प्रत्यक्षदर्शी स्मृति, गलत सूचना प्रभाव, असत्य धारण की निर्माण आदि के लिये वह जानी जाती है। प्रयोगशाला में काम करने के साथ-साथ उन्होनें अपने काम को कानूनी क्षेत्र में भी उपयोग किया है और सैकडिं न्यायालय मुकदमों में माहिर साक्षी गवाही दिया है। अपने काम के लिये वह दुनिया भर में जानी जाती है, उनको कई पुरस्कार मिली है और उन्होनें बहुत मानद डिग्री भी प्रप्त किया है। २००२ में "रिव्यू ओफ जेन्रल सैकोलोजी" में १०० सबसे प्रभावशाली मनोवैज्ञानिक शोधकर्ता में लॉफ्टस जी ने ५८ श्रेणी प्राप्त किया था। इस सूची में वह ही सब महिलाओं में से सर्वोच्च स्थान पर है। लॉफ्टस जी जन्म् बेल एर, कैलिफ़ोर्निया में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम सिडनी और रेबेका फिश्मान है।
बचपन
[संपादित करें]बचपन में उनको सच्चे और काल्पनिक अपराध के बारे में किताबें पडना और टेलिविजन देखना बहुत पसंद था। उनको गणित में भी आसक्ति थी। इसका एक कारण यह हो सकता है कि उनके पिता जी को भी गणित के लिये प्रेम था। उन्होनें एक साक्षात्कार में कहा है कि उन दोनों बीच में यह एक क्षेत्र था जिसे दोनों पसंद करते थे और उनके पापा उन्हें अपनी घर की पाट में हमेशा सहाय करते थे। उनके पिता जी एक डाक्टर थे और माता जी पुस्तकालय अध्यक्ष थे। जब एलिज़ाबेथ लॉफ्टस जी १४ साल की थी, उनकी माँ डुबकर मर गई। अपने ४४ वें जन्मदिन पर उनके चाचा जी ने उनसे कहा कि एलिज़ाबेथ जी ने ही अपनी माँ की लाश को पहले देखा था। इस ख़बर को सुनने से पहले, उनको इस घटना के बारे में याद नहीं थी। उनके चाचा से यह बात सुनने के बाद उनको उस घटना के बारे में एकाएक मन में विवरण वापस आने लगे। कुछ दिन बाद पता चला कि उनके चाचा गलत थे और उनकी माँ के लाश को पहले चाची ने देखा था। इससे उनको पता चला कि असत्य मेमोरी को ट्रिगर करने के लिये सिर्फ एक वाक्य काफी है। उनको यहाँ यह सीख मिला कि स्मृति सुझाव द्वारा प्रभावित किया जा सकता है।
शिक्षा
[संपादित करें]१९६६ में लॉफ्टस जी ने सर्वोच्च सम्मान के साथ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स से गणित और मनोविज्ञान में अपना बी.ए. प्राप्त किया। १९६७ में उन्होनें एम.ए. किया और १९७० मे पीएचडी किया (दोनों गणितीय मनोविज्ञान में और दोनों स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से)। वह अपने समूह में एकमात्र लड़की थी।
व्यवसाय
[संपादित करें]१९६८ में साथी मनोवैज्ञानिक जेफरी लोफ्टस जी से उन्होनें शादी की, और १९९१ में दोनों अलग हो गए पर दोस्त बने रहे। उन्होनें अपनी पहली अकादमिक नियुक्ति १९७० में न्यू स्कूल फोर सोशल रिसर्च, न्यूयॉर्क शहर में लिया था। वहाँ पर उनका अनुसंधान दीर्घकालीन स्मृति की जानकारी पर था। जलदी ही उनको सामाजिक प्रासंगिकता के बारे मे अन्वेषण करने की महसूस होने लगा। १९७० से १९७३ तक न्यू स्कूल उनिवर्सिटी में वह सहायक प्रोफेसर थे। १९७४ में वह बहुत व्यस्थ थे। उन्होनें परिवहन विभाग में काम किया, प्रयोगात्मक मनोविज्ञान पत्रिका में संपागक थे, और उन्होनें मेमोरी पर आलेख लिखा। इस आलेख के वजह से उनको अदालत में माहिर गवाह का काम मिला। १९७३ में उन्होनें अपनी पहली पुस्तक - ह्यूमन मेमोरी को प्रकाशित किया। १९७५-७६ मे अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन में संगी थे। १९७६ में उन्होनें काग्निटिव प्रोसेसस को प्रकाशित किया।
उपलब्धियाँ
[संपादित करें]१९७३ से २००२ तक उनको सहायक, एसोसिएट, और पूर्ण प्रोफेसर का पद मिला है। उन्होनें वाशिंगटन विश्वविद्यालय में (१९८४-२००२) कानून के सहायक प्रोफेसर रहे हैं। २००२ से अब तक वह उसी विश्वविद्यालय में कानून और मनोविज्ञान के विभाग का संबद्ध प्रोफेसर हैं। वह राष्ट्रीय विज्ञान संस्था में पात्र है और व्यवहार विज्ञान में उन्नत अध्ययन केंद्र के साथ शामिल है। उनको ६ मानद डॉक्टरेट मिला है और बीस से ज़्यादा पुरस्कार भी मेलि हैं।
पुरस्कार
[संपादित करें]ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक सोसाइटी के मानद साथी (और आजीवन सदस्य) उनका पहला पुरस्कार था। २००६ में उनको अमेरिकी दार्शनिक समाज में निर्वाचित किया गया। २०१६ मे उन्हें इसहाक असिमोव पुरस्कार और जॉन मैडॉक्स पुरस्कार मिला।
१९९१ - ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक सोसाइटी के मानद साथी (और आजीवन सदस्य)
[संपादित करें]१९९७ - जेम्स मैककिन्स कैटेल फेलो पुरस्कार
[संपादित करें]२००१ - विलियम जेम्स फेलो पुरस्कार
[संपादित करें]२००२ - क्वाड-एल पुरस्कार
[संपादित करें]२००४ - नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिये निर्वाचित हुई
[संपादित करें]२०१० - हावर्ड क्रास्बी वारेन पदक
[संपादित करें]२०१२ - विलियम टी। रॉसीटर पुरस्कार
[संपादित करें]२०१६ - जान म्याडक्स पुरस्कार
[संपादित करें]पुस्तकें
[संपादित करें]लर्निंग - १९७३
[संपादित करें]मानव मेमोरी: सूचना का प्रसंस्करण - १९७६
[संपादित करें]मेमोरी - १९८०
[संपादित करें]सैकालजी- १९८५
[संपादित करें]स्टाटिस्टिक्स - १९८८
[संपादित करें]द मिथ ऑफ़ द रिप्रसड मेमोरी -१९९४
[संपादित करें]आलोचना
[संपादित करें]केनेथ पोप ने कहा है कि लाफ्टस जी ने प्रतिफल को अस्पष्ट से कहा है। कई लोगों ने उनके काम में गल्तियों को ढूंढ निकालें हैं। इन आलोचकों को उत्तर देते हुए लाफ्टस जी ने बहुत कहा है। उनके काम की निंदा कई सारे लोग कर रहे थे पर अभी वह देश के सबसे प्रसिद्ध मनोविज्ञानी में से एक है।
सार्वजनिक उपस्थिति
[संपादित करें]अगस्त 2000 में, न्यूजीलैंड मनोवैज्ञानिक सोसाइटी के सम्मेलन जो हैमिल्टन, न्यूजीलैंड में हुआ था, लोफ्टस जी वहाँ मुख्य वक्ता थे। नवंबर २००६ में बियांड बिलीफ परिसंवाद हुआ था जिस में लॉफ्टस जी ने भाग लिया और वहाँ का वक्ता थे। २०१३ में, टोरंटो में, मनोचिकित्सक सोसाइटी की वार्षिक बैठक में भी लॉफ्टस जी मुख्य वक्ता थे।
संदर्भ
[संपादित करें][1] [2] [3] [4] [5] <ref>https://books.google.co.in/books/about/The_Myth_of_Repressed_Memory.html?id=13JZozT2kMYC&redir_esc=y</ref