सदस्य:Srutha Keerthi RAG/प्रयोगपृष्ठ/1

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नवरात्रि - कोलू[संपादित करें]

नवरात्रि एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है, इसे हर साल पतझड़ के महीने में नवरात्रों के लिए मनाया जाता है। यह भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग कारणों से और तरीकों से मनाया जाता है। यह त्यौहार वर्ष में दो बार असिन और चैत में मनाया जाता है, पर मान्यता अनुसार शरद नवरात्रि जो की बरसात और पतझड़ के मौसम के बाद आती है वह ज्यादा प्रसिद्ध है| इसे मां दुर्गा की सम्मान में मनाया जाता है। इसी वजह से इसे दुर्गा पूजा भी कहा जाता है| यह आशिन शुक्ल प्रथमा को शुरू होकर अश्विन शुक्ल नवमी को खत्म होता है, दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है| इस दिन की दो मान्यताएं हैं पहला कि इस दिन भगवान राम ने रावण का अंत कर कर लंका में विजय प्राप्त की थी और दूसरा की मां दुर्गा ने इस दिन महिषासुर नामक दानव का वध किया था।

धार्मिक इतिहास[संपादित करें]

दक्षिण भारत में नवरात्रि की मान्यता और उसे मनाने का तरीका उत्तर भारत से काफी भिन्न है तमिलनाडु में इससे बोम्मई गोलू के नाम से मनाया जाता है, कर्नाटका में बोम्मलु हब्बा तथा आंध्र प्रदेश में इसे बोम्मला कोल्हू कहते हैं।ऐसे नवरात्रि कोलू भी कहते हैं।त्यौहार के दसवें अर्थार्थ आखरी दिन को विजयदशमी के नाम से मनाया जाता है| यह इस त्यौहार का सबसे महत्वपूर्ण दिन भी माना जाता है| नवरात्रि खुशी का प्रतीक है, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के सम्मान में मनाया जाता है। कोल्हु हिन्दु धर्म के अलग अलग कहानियो के पात्रो क प्रतीक होते है।

उत्सव काल[संपादित करें]

नवरात्रि के पेहले दिन गणपति पूजा की जाती है| इस प्रकार हम सभी देवताओं का नवरात्रों में स्वागत करते हैं अलग-अलग दिनों पर मां सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है| इसके पश्चात दक्षिण भारत में गोलू गुड़ियों की पूजा होती है| जिसके लिए विषम अंकों का ताक तैयार किया जाता है| इस पर लकड़ी के पटरों का प्रयोग कर-कर कोलू की विभिन्न गुड़ियों को सजाया जाता है| यह गुड़िया अक्सर आकार के हिसाब से सजाई जाती हैं और सबसे ऊपर वाले तख्त पर ईश्वर की मूर्तियों को विराजमान किया जाता है। यह गुड़िया अलग अलग किस्म की होती हैं इनमें से बहुत सारे जोड़ों की तरह शादी के कपड़ों में सजाए जाते हैं| यह गुड़िया है परिवारों के सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानी जाती है तथा इसे पीढ़ियों में आगे बढ़ाया जाता है।

नवमी[संपादित करें]

नवमी के दिन घरों में गोलू गुड़ियों की पूजा होती है और इसके पश्चात कुथुविलक्कु दीप जलाकर रंगोली के बीचो-बीच सजा दिया जाता है| प्रसाद के लिए बनाई गए पकवानों को सर्वप्रथम देवताओं को चढ़ा कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है, इसके बाद ही वह प्रसाद घर आए गए मेहमानों में बांटा जाएगा| सांयकाल में आस पड़ोस की सारी औरतें एक दूसरे के घर जाकर गुड़ियों की सजावट देखती हैं और इसी दौरान वह एक दूसरे को तो फिर और मिठाइयां भी देते हैं।

नवमी के दिन घरों में सरस्वती पूजा भी होती है| इस पूजा के दौरान घर की किताबें और वाद्य यंत्र सरस्वती मां के चरणों में चढ़ाकर उनकी भी पूजा की जाती है क्योंकि इन वस्तुओं को ज्ञान का स्रोत कहा जाता है।त्योहार के दसवें दिन अर्थार्थ विजयदशमी को इन सभी दिनों का सबसे शुभ दिन माना जाता है| दशहरा एक शुभ शुरुआत का प्रतीक है जिस दिन देवताओं ने बुराई को समाप्त कर अच्छाई का पताका फिर से लहरा दिया था| मान्यताओं के अनुसार कई बार बच्चे अपनी पढ़ाई भी इस दिन से ही आरंभ करते हैं।

दशहरा/विजयदशमी[संपादित करें]

विजयदशमी की सांझ को गोलू गुड़ियों में से किसी एक गुड़िया को प्रतिकात्मक रुप से सुला दिया जाता है और पूजा के कलश को उत्तर दिशा की ओर बढ़ा दिया जाता है| ऐसा करके हम नवरात्र की समाप्ति दर्शाते हैं।

निष्कर्ष[संपादित करें]

नवरात्र भारत के उन त्यौहारो मे से एक है जिसे हम सभी भारतीय अलग-अलग रूप मै पर एक साथ मनाते है। यह भारत कि सान्स्कृतिक एक्ता का प्रातीक है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

https://en.wikipedia.org/wiki/Golu https://www.artofliving.org/navaratri-golu-festival-dolls