सदस्य:Simranmeher/WEP 2018-19
भारत में कई प्रसिद्ध तैराके हैं जिन्होंने भारत देश का नाम रोशन किया है। उनमें से खजा़न सिंह का नाम सबसे ऊँचा है। वे भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रीय तैराकी चैंपियन रह चुके हैं। भारत के लिए सियोल में १९८६ के एशियन खेल में वे रजत पदक जीते।[1]
व्यक्तिगत जीवन
[संपादित करें]खजा़न सिंह टोकस का जन्म ६ मय सन १९६४ मनिर्का नमक गाँव में हुआ था। वे दिल्ली के सरोजिनी नगर में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययन कियेे। वे अपने पहले तैराकी प्रतियोगिता में नेशनल स्कूल चैंपियनशिप १९८१-१९८२ में पांच स्वर्ण पदक पाए। खजा़न जी १९८२ में बारहवी कमनवैल्गेम्स ब्रिसबेन में भारत की तरफ से भाग लिया। उनको नेेशनल एक्वेटिक चैम्पियनशिप दिल्ली १९८२ में 'छे - फुट खज़ाना' नाम दिया था। वहां उन्होने अपने प्रतियोगियों को मात देेकर पांच स्वर्ण पदक, दो रजत पदक और एक कांस्य पदक जीते। अगले वर्ष की नेशनालस त्रिवेंद्रम में है सात स्वर्ण पदक, दो रजत पदक और कांस्य पदक जीते।
व्यवसाय
[संपादित करें]सन १९८७ के अहमदाबाद नेशनल एक्वैटिक चैम्पियनशिप में खजान जी ने सात स्वर्ण पदक लकर सौ मीटर फ्रीस्टाइल में नेशनल रिकॉर्ड बनाया। पुलिस रिले टीम तरफ से उन्होंने रजत और कांस्य भी जीता। उनको ऐस तैराक, मास्टर फ्रीस्टाइल और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। खजान सिंह सन १९८६ की एशियन गेम्स सिओल के दो सौ मीटर बटरफ्लाई प्रतियोगिता में रजत लाए। पहली बार १९५१ के बाद भारत एशियन गेम्स कोई पदक जीता। उनके अगला पदक २४ वर्षों के बाद वीरधवल खड़े के संग २०१० के एशियन गेम्स में कांस्य लाए।[2]
श्रेष्ठ प्रदर्शन
[संपादित करें]खेल में कैरियर बनाने के बाद, वे सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स में डी.आई.जी. बने। अभी वे "खजान सिंह तैराकी एकेडमी", जवाहरलाल नेहरू उच्चविद्यालया के पास, चलते हैं। २०१० में अन्य अग्रणी खिलाड़ियों के संग मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स चित्रमय तस्वीर कमोंवैल्ट गेम्स में गए थे।