सदस्य:Sarangarajan soumya 07/प्रयोगपृष्ठ

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स्वप्न विश्लेषण[संपादित करें]

फ्रायड़[संपादित करें]

सिगमंड फ्रायड का जन्म 6 मई को ऑस्ट्रियन साम्राज्य के फ्रीबर्ग, मोराविया में हुआ था जो अब चेक गणराज्य में है।उनका मनोविश्लेषण का निर्माण एक ही समय में मानव मानस का सिद्धांत था। [1]फ्रायड ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया कि दिमाग एक जटिल ऊर्जा-प्रणाली है, जिसकी संरचनात्मक जाँच मनोविज्ञान का उचित प्रांत है। उन्होंने अचेतन, शिशु कामुकता और दमन की अवधारणाओं को स्पष्ट और परिष्कृत किया, और उन्होंने मन की संरचना का एक त्रिपक्षीय खाता प्रस्तावित किया।फ्रायड के हितों और उनके पेशेवर प्रशिक्षण का दायरा बहुत व्यापक था। उन्होंने हमेशा खुद को सबसे पहले और सबसे पहले एक वैज्ञानिक माना, जो मानव ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास कर रहा था।उन्होंने 1873 में वियना विश्वविद्यालय में मेडिकल स्कूल में दाखिला लिया।[2]उन्होंने शुरू में जीव विज्ञान पर ध्यान केंद्रित किया, महान जर्मन वैज्ञानिक अर्न्स्ट ब्रुके के तहत छह साल तक शरीर विज्ञान में शोध किया।उन्होंने 1881 में अपनी चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की।1885-86 में, फ्रायड ने पेरिस में एक वर्ष का बड़ा हिस्सा बिताया, जहां वह फ्रांसीसी न्यूरोलॉजिस्ट जीन चारकोट के काम से बहुत प्रभावित हुए, जो उस समय हिस्टीरिया और अन्य असामान्य मानसिक स्थितियों के इलाज के लिए सम्मोहन का उपयोग कर रहे थे।[3]1900 में, आत्म-विश्लेषण की एक लंबी अवधि के बाद, उन्होंने प्रकाशित किया 'सपनों की व्याख्या' या 'द इंटरप्रेटेशन आॅफ ड्रीम्स', जिसे आमतौर पर उनका सबसे बड़ा काम माना जाता है।एडलर और युंग के बौद्धिक क्षमता के अनुयायियों को आकर्षित करके उन्हें शुरू में बहुत खुशी हुई, और जब वे दोनों मनोविश्लेषण के प्रतिद्वंद्वी स्कूलों पर चले गए तो उन्हें निराशा हुई।[4]

फ्रायड़ियन स्वप्न विश्लेषण का परिचय परिचय[संपादित करें]

सपने छवियों, भावनाओं, विचारों और संवेदनाओं की एक श्रृंखला है जो तब होती है जब हम सोते हैं। वे अनैच्छिक होते हैं और आमतौर पर नींद के रैपिड-आई मूवमेंट (आरईएम) चरण के दौरान होते हैं।[5] हालाँकि सपने नींद के चक्र में अन्य बिंदुओं पर हो सकते हैं, वे ‘आरईएम’ के दौरान सबसे ज्वलंत और यादगार होते हैं।विश्व के हर समाज मे यह माना गया है कि स्वप्नों मे भविष्यवाणी करने की शक्ति है। फ्रॅयड ने अपनी प्रमुख रचना, ‘दी इंटरप्रटेशन ऑफ ड्रीम्स’ 1899 मे प्रकाशिकी। इस किताब में वह कई मुख्य विचारों का उल्लेखन करते हैं, जैसे कि ‘अचेतना’। यह किताब मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत की जड़ है। वह इस किताब में ‘इड़’ की भूमिका पर ध्यान देते हैं [6]। उनके अनुसार मन के तीन हिस्से हैं, ‘इड़’, ‘ईगो’ और ‘सूपरईगो’। ‘इड़’ और ‘सूपरईगो’ लगातार संघर्ष में होते हैं और ‘ईगो’ इसको सुलझाता है। पहले में हमारी सबसे गहरी इच्छाएँ छुपी होती हैं और दूसरा नैति कर्तव्यों का स्मरण दिलाता है। फ्रायड़ को ऐसा लगता है कि स्वप्न हमारे इच्छाओं को प्रकाशित करते हैं, उन्होंने कहा, “स्वप्नों की व्याख्या मन की अचेतन गतिविधियों के ज्ञान का राजसी मार्ग है″।[7]। वह अपने मरीज़ों को उनके सपनो का अर्थ नहीं बताते थे, वह उन्ही को अपने सपनों के बारे में सोचने को प्रेरित करते थे। वह उन्हें आलोचनात्मक विचारों को शिथिल करने को कहते, वह इस विधि को ‘मुक्त साहचर्य’ कहते थे। उनकी इस क्षेत्र में रुचि तब बढ़ी जब उन्होंने देखा कि उनके मरीज़ों के मतिभ्रमों और उनके स्वप्नों में घनिष्ठ सम्बन्ध है। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण मान्यताएँ यह थी कि [8] १. स्वप्न छोटे होते हैं और निद्रा से उठने के पहले प्रकट होते हैं। २. स्वप्नों में जो दिखाई देता है, वह असली जीवन में हुआ होता है। ३. लोग उनके स्वप्नों को अधिकतर भूल जाते हैं ।

स्वप्न के प्रतीक[संपादित करें]

उनका मानना था कि स्वप्नों में मनुष्य की प्रस्तुति घरों के रूप में होती है अर्थात् अगर घर के दीवार निर्बाध हो तो यह पुरुष की प्रस्तुति है । इसी प्रकार अगर घर में बाल्कनी हो तो यह स्त्री का प्रतीक है। जन्म का प्रतीक पानी से जुडा होता है और मृत्यु का एक लम्बी यात्रा से । अधिकतर. स्वप्नों में ‘काम’ के प्रतीक होते है । साधारण सी वस्तु भी ‘यौन’ और ‘लिंग’ का प्रतीक हो सकती है , जैसे कि ‘३’ भी पुरुष जननांग का प्रतीक है ।महिला जननांगों को प्रतीकात्मक रूप से उन वस्तुओं द्वारा दर्शाया जाता है जो किसी चीज़ से भरी जा सकती हो ; गड्ढे, गुफाएँ, बोतलें, बक्से, आदि इसका उदाहरण बन सकते है । यह ‘पुरुष’ और ‘स्त्री’ का प्रतीक मिलकर ‘सम्भोग’ का प्रतीक बन जाता है [9]। फ़्रॉयड़ के विचार लुभावने है, उनके किताब में उन्होंने अपने रोगियों का अच्छी तरह से अध्ययन किया है परंतु इनके विचारों को आलोचना ने भी घेर लिया है ।

आलोचना[संपादित करें]

इनके सिद्धांत की सबसे बड़ी आलोचना यह है कि इसमें विज्ञान का अभाव है , उनके निष्कर्षों में भी अनुभवज्य समर्थन का अभाव है । वैज्ञानिकों का कहना है कि स्वप्न ‘अचेत’ का प्रतिबिम्ब नहीं है, उनके अनुसार लोग स्वप्न में वही दहते है जो उस समय उनके मन में चल रहा हो। इनका यह भी मानना था कि स्वप्न इच्छा पूर्ति का एक रूप है। कभी कभी स्वप्नों में, आघात, चिंता आदि जैसे विषय प्रकट होते है। इसीलिए उनका यह भी कहना था की स्वप्न केवल इच्छा की पूर्ति ही नहीं बल्कि समस्याओं से निपटने का एक तरीक़ा है । शोधकर्ताएँ इससे सहमत नहीं है, वह मानते हैं कि मस्तिष्क नई जानकरीयों और अनुभवों को ‘दीर्घकालीन स्मृति’ में शामिल करने कि कोशिश करता है और इसी के वजह से हम स्वप्न देखते हैं। फिर भी मनोविज्ञान के क्षेत्र में ‘द इंटर्प्रेटेशन ओफ़ ड्रीम्स’ का बहुत बड़ा स्थान है, क्योंकि इसी से ‘मनोविश्लेषण’ का प्रारंभ हुआ था। हम यह कह सकते हैं कि उनका सिद्धांत गलत साबित नहीं हुआ है, समस्या यह है कि यह सही साबित नहीं हुआ है।


कार्ल युंग[संपादित करें]

कार्ल युंग का जन्म ज़ुरिक, स्विट्सर्लंड में १८७५ में हुआ था। वह फ़्रायड़ के मित्र थे पर स्वप्नों के बारे में इनके विचार अलग थे । फ़्रॉड के अलावा यही ऐसे व्यक्ति है जिनके विचार आज भी चर्चित है।[10]युंग एक भाषाविद और पुजारी का बेटा था। उनका बचपन एकाकी था, परंतु एक ज्वलंत कल्पना से समृद्ध था, और कम उम्र से ही उन्होंने अपने माता-पिता और शिक्षकों के व्यवहार को देखा, जिसे उन्होंने हल करने की कोशिश की।युंग पारिवारिक परंपरा छोड़ औषधीयों का अध्ययन करने लगे और मनोचिकित्सक बनें।[11] कार्ल युंग के अनुसार मनुष्य का शरीर,मन और भावनाएँ एक साथ काम करते हैं।युंग इन्हें साइकी के नाम से बुलाते थे। इनका यह मानना था की साइकी सबसे बढ़कर है और इसी से हमारा चरित्र बनता है।युंग मानते थे कि स्वप्नों की व्याख्या करना जरूरी नहीं है। उनके अनुसार साइकी तीन हिस्सों में बटा है- ईगो, व्यक्तिगत चेतना और सामूहिक चेतना।[12]एफया पांच साल की अवधि (१९०७ और १९१२ के बीच), वह फ्रायड के करीबी सहयोगी थे।आंशिक रूप से दृष्टिकोण के अंतर के कारण उनका सहयोग समाप्त हो गया|

युंग के आध्यरूप[संपादित करें]

आद्यरूप इनके सिद्धांत का महत्वपूर्ण अंग है । वह मानते थे कि यह आध्यरूप मनुष्य के सार्वभौमिक ऊर्जा का परिणाम है और यह हमारे स्वप्नों में आकार हमारी विकासवादी ड्राइव का प्रतिनिधित्व करते है ।युंग के अनुसार यह आध्यरूप हमारे सामूहिक चेतना से आते थे । वह मानते थे कि जन्म से ही हमारे मन में कई विचार होते है जो हमें हमारे पूर्वजों से मिलती हैं। यह विचार जिसमें मनुष्य होना सिखाती हैं।[13] जंग ने ४ मुख्य आध्यरूपों को पहचाना, यह थे १.‘पर्सोना’ - इसका अर्थ है छिपना अर्थात् इस अध्यारोपित द्वारा हमारे सारे सामाजिक रूप चित्रित होते हैं। २. ‘शैडो’- इसका अर्थ है परछाई, इसमें हमारे जीवन और सम्भोग के सहज ज्ञान है।जो भी समाज या हमारे निजी गुणों के विरुद्ध होते है , वह इस आध्यरूप का हिस्सा होते हैं।यह साँप. राक्षस, आदि के रूप में दिख सकता है। ३. ‘आनिमा’ और ‘ आनिमस’- आनिमा एक पुरुष के मन में स्त्री का चित्रा होता है और आनिमस एक स्त्री के मन में पुरुष का।। यह हमारा सच्चा चरित्र होता है न की वो जो हम समाज को दिखाते हैं। ४. ‘सेल्फ़’- यह हमारे अचेतना और चेतना का चित्रण है।अगर हमारी चेतना और अचेतन एक साथ न हो तो मनुष्य मानसिक रोग से ग्रस्त हो सकते हैं। इस प्रकार ऐसे और कई आध्यात्मिक है जैसे कि ‘रूलर’, ‘क्रीएटर’, ‘सेज’, आदि।

आलोचना[संपादित करें]

इनके आध्यरूप विज्ञान से सिद्ध नहीं किए जा सकते।इनके अनुसार भावनाओं और मन के प्रक्रियाओं में सम्बंध है परंतु इससे निष्पक्ष होना कठिन हो जाता है।

अल्फ्रेड एडलर[संपादित करें]

अल्फ्रेड एडलर ऑस्ट्रिया चिकित्सा वैद्य,मनोचिकित्सक।[14]अपने पूरे जीवन में एडलर ने सामाजिक समस्याओं के प्रति एक मजबूत जागरूकता बनाए रखी और उन्होंने एक मानवतावादी विकास करना शुरू किया,संपूर्ण रूप से मानवीय समस्याओं के प्रति दृष्टिकोण।१९०२ में वह सिगमंड फ्रायड के करीब थे|

एडलर का स्वप्न विश्लेषण[संपादित करें]

एडलर ने जोर देकर कहा कि चेतन और अचेतन मन समान हैं, और इस प्रकार व्यक्ति का जाग्रत व्यक्तित्व सपनों में परिलक्षित होता है। एडलर के अनुसार, सपने चेतन मन की अभिव्यक्ति होते हैं और व्यक्ति को आश्वासन, सुरक्षा और आत्म-मूल्य को होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसी तरह जाग्रत जीवन में स्थितियों का हल करते हौं। वे समस्या-समाधान की भूमिका निभाते हैं।[15]

आलोचना[संपादित करें]

दुर्भाग्य से, एडलर ने मनोचिकित्सा में सपनों के साथ काम करने के लिए कोई स्पष्ट मार्ग नही दिय।

सांख्यिकीय समर्थन[संपादित करें]

एक शोध कार्य से यह पता चलता है कि स्वप्न विश्लेषण द्वारा स्किट्सफ़्रीनीअ और बाइपोलर डिसॉर्डर टाइप एक जैसे रोगों का इलाज हो सकता है ।इससे मानसिक स्थिति का पता चल सकता है। इसका यह कारण हो सकता है कि आर. ई. एम स्वप्न को याद करने के दौरान रोगी को मन के बहुत अंदर तलाश करना पड़ता है । नैदानिक प्रभाव १९९५ के शोध कार्य में पता चला कि विवाह के टूटने के उपरांत लोगों के मनों को चैन देने में इसका उपयोग किया जा सकता है । इससे ओ.सी.डी जैसे रोगों से पीड़ित लोगों के मानसिक स्थिति को सुधारा जा सकता है। [16]

स्वप्न विश्लेषण की निरार्थकता[संपादित करें]

कई वैज्ञानिकों का मानना है की यह तरीक़ा निरर्थक है और इसका कोई उपयोग नहीं है। शोध कार्यों से पता चला है की स्वप्नों में कोई लुप्त अर्थ नहीं है बल्कि यह केवल आर.ई.एम के दौरान न्यूरोन के चलने का परिणाम है ।स्वप्नों का अर्थ हम पूरी तरह से निकाल नहीं सकते ।[17]

  1. https://www.britannica.com/biography/Sigmund-Freud
  2. https://iep.utm.edu/freud/)
  3. https://iep.utm.edu/freud/
  4. https://iep.utm.edu/freud/
  5. https://www.thoughtco.com/dream-interpretation-4707736
  6. https://www.verywellmind.com/the-interpretation-of-dreams-by-sigmund-freud-2795855
  7. https://www.freud.org.uk/education/resources/the-interpretation-of-dreams/
  8. https://flo.health/menstrual-cycle/lifestyle/sleep/freuds-dream-theory
  9. https://www.psychologytoday.com/us/blog/out-the-ooze/201801/the-freudian-symbolism-in-your-dreams
  10. https://dreamstudies.org/carl-jung-dream-interpretation/
  11. https://www.britannica.com/biography/Carl-Jung
  12. https://www.thesap.org.uk/articles-on-jungian-psychology-2/carl-gustav-jung/dreams/#:~:text=Jung%20saw%20dreams%20as%20the,process%20that%20he%20called%20individuation.
  13. https://www.verywellmind.com/what-are-jungs-4-major-archetypes-2795439
  14. https://en.wikipedia.org/wiki/Alfred_Adler
  15. https://epublications.marquette.edu/cgi/viewcontent.cgi?article=1130&context=edu_fac
  16. https://www.linkedin.com/pulse/dream-analysis-effective-alyssa-garcia
  17. https://www.linkedin.com/pulse/dream-analysis-effective-alyssa-garcia