सदस्य:Randhir Prakashan

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भाषा की न्यूनतम इकाई वाक्य है और वाक्य की न्यूनतम इकाई शब्द है | वर्णो अथवा अक्षरों का ऐसा समूह जिसका कोई अर्थ हो “शब्द ” कहलाता है | दूसरे अर्थ में कहें तो एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि ही “शब्द ” है | प्रत्येक शब्द से जो अर्थ निकलता है , वह अर्थ–बोध कराने वाली शब्द की ही शक्ति है | भारतीय संस्कृति में इसलिए शब्द को ब्रह्म कहा गया है |

इसी प्रकार भाषा व्यक्त नाद की वह समष्टि है जिसकी सहायता से किसी समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार प्रकट करते है|भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है | यह हमारे व्यक्तित्व निर्माण, विकास और हमारी अस्मिता एवं सांस्कृतिक पहचान का साधन भी है | भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परंपरा से पूर्णतया विच्छिन्न है | भाषा का सम्बन्ध एक व्यक्ति से लेकर विश्व – सृष्टि तक है | व्यक्ति और समाज के मध्य में आने वाली इस परम्परा से अर्जित संपत्ति के अनेक रूप है |भाषा की सम्पदा के सदुपयोग का सबसे सुदृढ़ प्रमाण है, ज्ञानार्जन | भाषा के बिना की सम्भावना क्षीण है | पुस्तकें ऐसी मित्र हैं जो प्रत्येक स्थान व काल में सहायक होती हैं | इसी कारण लाखों लोग गीता, हनुमान चालीसा व गुरुवाणी सदैव अपने साथ रखते हैं | समय मिलने पर इन पुस्तको का पाठ संबल प्रदान करता है | अनेक लोग छोटी-छोटी ज्ञान की पुस्तकों का वितरण करके लाखों लोगो को तो विद्या प्रदान करते ही हैं साथ ही स्वयं भी मन की शांति अर्जित करते हैं |