सदस्य:RahulSankruthyayana1830379

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RahulSankruthyayana1830379
जन्मनाम राहुल सान्क्रुत्यायना
लिंग पुरुश
जन्म तिथि २९-०३-१९९९
जन्म स्थान बेंगलूरू
देश  भारत
शिक्षा तथा पेशा
शिक्षा बी ए पेहला साल
महाविद्यालय क्रैस्ट विश्वविद्यालय
उच्च माध्यामिक विद्यालय आचार्य पाठशाला
शौक, पसंद, और आस्था
शौक कलाकृति बनाना, फुट्बोल, पुसतक पडना
सम्पर्क विवरण
ईमेल rahul.sankruthyayana@arts.christuniversity.in

परिचय

मेरा नाम राहुल सान्क्रुत्यायना हैँ. मेरा जन्म 29 मार्च 1999 को कर्नाटक के बेन्गलूरू शहर में हुआ था। मैं लालबाग के पास रहता हूँ । इसके कारण, मैं बचपन में बहुत व्यायाम करता था। मैं एक बहुत ही मिलनसार व्यक्ति हूँ । मुझे फुटबॉल पसंद है और मुझे किताबें पढ़ना पसंद हैं। मेरे पसंदीदा लेखक समय-समय पर बदलता रहता हैं। मेरे दोस्त कहते हैं कि मैं बहुत विनम्र व्यक्ति हूँ। मुझे लगता है कि मेरी सबसे बड़ी ताकत यह हैं कि मैं हमेशा हर चीज से सीखने की कोशिश करता हूँ।

परिवार

मेर पिताजी का नाम श्रीमान गंगाधर् और् माताजी का नाम श्रीमति राजलक्श्मि है. मेरा जन्म एक प्यारे और समर्थित कुटुम्भ मे हुआ और इस के लिए में धन्य हून। मेरा परिवार मुझे हमेशा प्यार और आदर देता हैं। मेरे परिवार में मेरे सब से दिलचस्प व्यक्ति मेरे दादा जी थे। मेरे कई चचेरे भाई-बहन थे जो मेरे साथ खेलते थे। मेरे चचेरे भाई-बहन अलग-अलग शहरों में रहते थे और वे छुट्टियों में बैंगलौर आते थे। छुट्टियों में मैं अपने चचेरे भाई-बहनों और अपने परिवार के बाकी लोगों के साथ विभिन्न स्थानों की यात्राओं पर जाता था । मेरे बचपन की इन यादों ने मुझे कई मायनों में एक बेहतर इंसान बनाया है, और मैं इस तरह के एक प्यारे परिवार के लिए बहुत आभारी हूं। मेरे घर में मेरे साथ छह बिल्लियाँ भी रहती हैं और मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ ।

शिक्षा

मेरी प्रार्थमिक शिक्षा आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल नामक विद्यालय से हुइ थी।इस पाठशाला के बारे में बात करें तो, यह ७५ साल पुरनी हैं। इसका निर्माण प्राध्यापक न. अनन्ताचार ने सन् 1935 में किया। मै "आइ सि एस ई" बोर्ड में पडकर सोचा कि आगे की शिक्षा मेरे लिये बहुत ही आसान होगा, पर धीरे से पता चला कि सफलता के लिये बहुत परिश्रम करनी पडती हैं । मैं बचपन से बहुत अच्चा विद्यार्थि था और हमेशा परीक्षा में ज्यादा अन्ख सफल करता था। मगर आठवी कक्क्षा के परीक्षा में अति आत्मविश्वास के कारण मैंने बाहुत बुरा किया और अच्छे अंक नही पा सका।इसके कारन मैंने कठिन् परिश्रम करना शुरु किया और दो साल के कठिन परिश्रम के बाद मेरी पढ़ाई सुधारने लगी, तब मुझे कठिन परिश्रम का महत्व पता चाला.

मै अपने पूर्व-विश्वविद्यालय कि शिक्षा राष्ट्रीय पि यु कॉलेज, जयनगर से किया. मैंने इस कॉलेज के बारे में बाहुत कुच सुना था, मगर वहान जाने के बाद पता चला कि वहा सिर्फ गुन्दे लोग पढते है और पढाई में दिलचस्पी नही रखने वाले लोग जाते हैं. में उदास हो गया और सोचने लगा की मेरा विध्याभ्यास बिगड चुका हैं। उस वक्त मेरे जीवविज्ञान के प्राध्यापक श्रीमती रत्ना ने मेरा प्रोत्साहन किया और भरोसा दिया और कहा कि उस कॉलेज से कई सारे अच्चे विध्यार्थिया सफल होकर गए हैं, और उन्होने कहा कि मुझे भि वैसा बनना हैं. इसलिये मैंने कठिन परिश्रम किया, और मुझे बहुत अच्छे दोस्त भि मिल गए जिन्होने हुमेशा मेरा प्रोत्साहन किया। मुझे बाहुत अच्छे अन्क नही मिले पर फिर् भी मैं खुश् हूं क्योंकि मेरा स्वाभाविक दिलचस्पी आर्ट्स में था । इसलिये मेंने एक साल के विराम ले लिया और पी यु के बाद के विभिन्न व्यवसाय विकल्पों का तलाश करने लगा और तय किया कि क्राइस्ट् विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान हि मेरे भविष्य के लिये कुशल हैं । जब मुझे मेइल मिला कि क्रिस्ट विश्वविद्यालय मे मुझे प्रवेश मिल है तोह मुझे चरम खुशी हुइ । यहां इतनी प्रतिस्पर्धा से निपटना काफी मुश्किल है,मेरे दोस्त और शिक्षक मुझे बहुत प्रेरित करते हैं और यही एकमात्र कारण है कि मैं हार नहीं मान रहा हूं।

शौक़

मैं मानव के मानस से मोहित हूँ और इस मोहि मनोवैज्ञानिक थ्रिलर किताबें और मनोवैज्ञानिक थ्रिलर चलचित्रों देखने से शुरू हुइ। दरस्सल मैं हर तरह के चलचित्र् देखने मेंआनन्द लेता हूं और बहुत् सारे किताब भि पढ्ता हूं।. मैं धन्य हूं कि मेरे परिवार में सब सदस्य किसि तरह संगीत से जुडे हुए है।मेरि माँ एक गजब गायकि हैं और उनका गाना बचपन से सुनने से मैं भि थोडा- बहुत गा सकता हूं। चित्रकारी करना और न्रुत्यु देखना भि मुझे बहुत पसन्द हैं । मै अब भि विज्ञान को पसन्द कर्ता हून मगर कला मेरी जुनून हैं। मै "गेम अफ थ्रोन्स" और "एनिमे" का बाहुत बढा प्रशंसक हूं, और अपने दोस्तों के साथ सामाजिक विशयों और मजेदार बाते करना पसन्द कर्ता हून । मुझे पौराणिक कथा और विविध धर्मों के धर्मशास्र पढने का शौक हैं. मुझे अनजान और दूर के स्थानों तक बैक मे जाना पसन्द हैं और जन्गल-पहाडों पर चले जाने से शान्ति गेहरी मेहसूस होता हैं। और मैं चाहता हूं कि यह शांति हमेशा बनी रहे। मुझे पेंटिंग करना भी पसंद है और बचपन में मैं कई चित्र-काला बनाता था ।