सदस्य:Mohona.dey/प्रयोगपृष्ठ१

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
A Bengali Hindu Couple newly Married.

बंगाली हिन्दु शादीयाँ केवल पश्चिम बंगाल में ही नहीं, एवं बांग्लादेश मे भी देखी जाती हैं।

शादी की आयोजन[संपादित करें]

पुराने ज़माने मे "घोटोक" के द्वरा की जाती थी। आजकल यह काम मट्रीमोनिय्ल द्वारा की जाती है। बांग्लादेश मे रहने वाले हिन्दुओं एवं बांगाल लोग (बांग्लादेशी हिन्दु जो पार्टीशन के बाद हिन्दुस्तान मे आए) भी कुछ अपवादों के साथ समान परंपराओं का पालन करते है। हिन्दुस्तनी बंगाली हिन्दुओ और बांग्लादेशी हिन्दुओ की शादीयो मे तीन चीज़े की जाती है जो है: "गाए होलूद"; "बीए"; और "बोउ भात"। परन्तु इन तीनो को मनाने का डंग कभी-कभी अलग होता है। बांगाल शादीयों मे एक "आदान प्रदान" किया जाता है जिस्में ये जान्ने की कोशिश की जाती है की दोनो परीवरो मे कोई आनुवंशिक संबंध नही है। मगर हिन्दुस्तानी बंगाली सिर्फ सगाई समारोह किया जाता है। बांगालो मे पाटी पात्र के लिए शादी के कार्ड को गवाहो के सामने दुल्हा-दुम्हन हस्ताक्षर करते है। यह इस कारण शुरु हुआ क्युकींं सरकार इन्की शादी को नही मन्ना चाहती थी। और उन्हे उन्की शादी के प्रमाण पत्र की ज़रुरत थी। मगर यह आज तक किया जाता हे। हिन्दुस्तानी बांगाल बस रेजिसट्री करते थे और आज भी यही करते है। इन्के लिए "पाका कोथा" (पक्की बात) भी की जाती है। [1]

पूर्व-विवाह अनुष्ठान[संपादित करें]

"आशिर्बाद" (आशिर्वाद) - एक शुभ दिवस को छुनकर दुल्हन के परिवार के सदस्य दुल्हे को अपना आशिर्वाद देने उसके घर जाते है। विपरीतता से, दुल्हे का परिवार भी यही करते है। सोने के गहने भी दिये जते है।

वृद्धी - यह एक पूजा है जो शादी के पेहले किया जाता है। इस्में दुल्हन और दुल्हा अपने पूर्वजों को अपना सम्मान देते है। दोनो के परिवार के सारे सदस्य इसके लिये मौजूद होते है।

"गाये होलूद" - इस मे दुल्हन के घर के कुछ शदी शुदा महिलयें ओखली और मूसल मे हल्दी पीस कर दुल्हन के चेहरे और शरीर पर डाला जाता है। माना जाता है की यह दुलहन को और सुन्दर दिखलाता है। यह वर के परीवार मे भी मनाया जाता है। इसको बांगाल लोग स्नान बोलते है।

दोधी मंगल - शादी के सुबह सात शादी शुदा महीलएँ दुल्हन के हाथ मे पारंपरिक चुरीयाँ पेहनाती है। इनका नाम "शाखा" और "पोला" है। यह सफेद और लाल चुरीयाँ है जो हर हिन्दु, बंगाली बहू को पहन्ना आवश्यक है। इसके बाद दुल्हन और उनके माता-पिता दही और चावल खाते है। यह उनके दिन का आखरी भोजन होता है।

मुख्य अनुष्ठान[संपादित करें]

जब दुल्हा आता है। उसके हाथ मे दरपन होता है जिस्से व्ह सिन्दूर लगाता है। शादी के मुख्य अनुष्ठान दूल्हे के आने के बाद से शुरु होती है। उनका और बारात का स्वगत काफी धूम धाम से होता है। उसके बाद शादी कई रस्मे शूरु हो जाती है। दुल्हा दुल्हन क छेहरा सात फेरे खत्म होने तक नही देख सकते, क्यूकि वह पान के पत्ते से डके हुए रहते है। इस के लिये एक "पिरा" मे बिठा के, परिवार के लोग सिर के उपर चड़ा के उनको यह सब करवाते है। जब वर को दुल्हन का चेहरा देखने को मिलता है पान हटाने के बाद, उसको "शुभो-दृष्टी" कहाँ जाता है। इसके बाद इनको "माला बदल" करना पड़ता है। उसके बाद दुल्हा-दुल्हन को बहुत धूम-धाम से अन्दर लाया जाता है। इसको "बासार घर" बोला जाता है। परंतु इसको सिर्फ हिन्दुस्तानी बंगाली हिन्दुओ के द्वारा किया जाता है।

शादी के बाद के अनुष्ठान[संपादित करें]

अगली सुबह दुल्हा अपनी बहु के माथे पर सिन्दूर लगाता है। इसे "बाशी बीए" कहा जाता है। बांगाल लोगो मे, हम चार छोटे तालाब बनाते है और उसमे चार केले के पेड़ लगाए जाते है। इसके बीच दुल्हे को बेठाया जाता है। कुछ रसम रिवाज किये जाते है। मगर इसके बाद दुल्हन के भाई मिलके उसे हलके से मारते है। इसके बाद विदाई होती है। वर के घर मे उनको स्वागत किया जाता है। दुल्हन घर मे घुसने से पेहले, अपने पैर मे दूध और आलता का मिश्रण लगा के घर मे घुसती है। [2]

कुछ दिन बाद दुल्हे के घर के तरफ से "रिसेप्शन" का आयोजन किया जाता है।

  1. "weddingstreet". http://weddingstreet.in (अंग्रेज़ी में). |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  2. "bangladesh.com". bangladesh.com (अंग्रेज़ी में).